बच्चे के विषय पर बेहतरीन कविता : बच्चों का भविष्य

Dr. Mulla Adam Ali
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Bachchon Ka Bhavishya Poem in Hindi : Hindi Bal Kavita Bachchon Ka Bhavishya

Bachchon Ka Bhavishya Poem in Hindi

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बच्चों का भविष्य

आँखों को मलते

बच्चे सुबह उठते

लेकर भारी बस्ते

चले स्कूल के रास्ते


झुक गये अभी से कंधे

अपने पिता के कंधों से पहले

भावी उज्जवल भविष्य के सपने

तैरते है पिता की आँखों में


कल बनेगा बड़ा ये

और दो सहारा कंधों को मेरे

बेचारा, ज्ञान के बोझ से

दबकर, ऊँचाइयों की और निहारते

चाहे उसे पता नहीं कि

पहुँचते-पहुँचते वहाँ तक

उसके कंधे ही नहीं रहेंगे


लगेगी टाँगे भी थरथराने

जो खुद भी सम्भल पायेगा?

या नहीं? बनेगा सहारा??

सहारा अपने पिता को देगा

अपने कंधों का सहारा


अपनी मंजिल पाये या न पाये

मगर, उनके आज के सपनों को

कम से कम आज तो

जिन्दा रख पायेगा

आज तो, कम से कम।

- शोभा साहेबराव राणे

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