महात्मा गांधी जी पर कविताएं : गांधी जयंती पर कविताएं | Poems On Gandhi Jayanti In Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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महात्मा गांधी जी पर कविताएं - Mahatma Gandhi Poem In Hindi

Gandhi Jayanti Par Kavita

Gandhi Jayanti Par Kavita : गांधी जी लिखी पर गई कविताएं हिंदी में गांधी जयंती पर कविताएं। महात्मा गांधी के विषय पर बेहतरीन कविताएं, गांधी जयंती 2024, 2 अक्टूबर पर कविता हिंदी में 1. प्यारे बापू, तुम्हें प्रणाम 2. बापू तुम्हें नमन सौ बार। 

2 October Gandhi Jayanti 2024 : गांधी जयंती प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर मनाया जाता है, भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें बापू या महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है। गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ और निधन 30 जनवरी 1948. आज सोमवार 2 अक्टूबर 2024 महात्मा गांधी जयंती है। गांधी जयंती राष्ट्रीय त्यौहार है पूरे भारत में मनाया जाता है। सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। तो आइए 2 अक्टूबर बापू जयंती पर डॉ. फहीम अहमद की कविताएं महात्मा गाँधी को सम्मान देने और उनके अच्छे कार्यों को याद करते हुए लिखी गई हैं उन्हें पढ़ते हैं और शेयर करते हैं Mahatma Gandhi Jayanti Poem in Hindi 2024.

Poems on Gandhi Jayanti in Hindi : गांधी जयंती पर कविता प्यारे बापू, तुम्हें प्रणाम

1. प्यारे बापू, तुम्हें प्रणाम


प्यारे बापू, तुम्हें प्रणाम

आजादी के सेनानी, ओ,

प्यारे बापू, तुम्हें प्रणाम।

सत्य, अहिंसा के बलबूते

गोरों का कर दिया दमन।

त्याग, तपस्या कर दिलवाया

आजादी से भरा चमन।

अटल इरादा लेकर मन में

जीवन भर संघर्ष किया।

सादा जीवन जिया, विचारों

में ऊँचा आदर्श दिया।

शांति- पुजारी का लेता है

सारा जग श्रद्धा से नाम।

देशवासियों 'करो या मरो'

जोश जगाया जन-जन में।

अंग्रेजो अब 'भारत छोड़ो'

जगी चेतना हर मन में।

दीन-हीन का सेवक बनकर

किये कार्य कल्याण के।

जाग उठे सपने जन-मन में

नवल राष्ट्र निर्माण के।

प्रेम, दया व मानवता का

बाँटा दुनिया को पैगाम।


महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर 2023 गांधी जयंती पर हिंदी में कविता बापू तुम्हें नमन सौ बार

2. बापू तुम्हें नमन सौ बार


सत्य, अहिंसा के उन्नायक,

बापू तुम्हें नमन सौ बार।

लड़ी लड़ाई आजादी की,

दिया हमें अनुपम उपहार।


सदा सादगी को अपनाया,

सादा जीवन उच्च विचार।

अपने आदर्शों से तुमने,

सिखलाया है सद्व्यवहार।


देश प्रेम का भाव जगाकर,

खादी का ही किया प्रचार।

सभी स्वदेशी को अपनाएँ,

हो सबका सपना साकार।


देशवासियों 'करो या मरो',

संघर्षों को कर स्वीकार।

अंग्रेजों अब भारत छोड़ो,

दी उनको तगड़ी ललकार।


मानवता का पाठ पढ़ाया,

किया अछूतों का उद्धार।

नैतिकता के बने हिमायती,

सदा सभी को बाँटा प्यार।


लाख मुसीबत झेली फिर भी,

कभी न मानी तुमने हार।

प्रेम, दया के साधक हो तुम,

जग करता है जय जयकार।

- डॉ. फहीम अहमद
असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,
संभल, उत्तर प्रदेश

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