बच्चों के लिए जानवरों पर लोकप्रिय कविताएँ : जानवरों पर कविताएँ - Poem On Animals In Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Poem On Animals In Hindi : Dr. Parashuram Shukla Children's Poetry

Poem On Animals In Hindi

बच्चों के लिए जानवरों पर लोकप्रिय कविताएँ : इस धरती पर मानव ही नहीं कई तरह प्राणी भी है जैसे पशु, पक्षी, पालतू जानवर, जंगली जानवर आदि। प्रकृति में जानवरों का भी महत्वपूर्ण स्थान है और वे प्रकृति का हिस्सा है। कुछ जानवर हमारे दैनिक जीवन में दिखाई देते हैं तो कुछ जंगल में निवास करते हैं। मानव और प्रकृति के लिए जानवरों का विशेष महत्व होता है ऐसे में आज आपके लिए हम लेकर आए हैं जानवरों पर सात बेहतरीन कविताएँ बच्चों के लिए और प्रकृति प्रेमियों के लिए। जानवरों पर बच्चों के लिए लोकप्रिय कविताएँ 1. बाघ पर कविता 2. हाथी पर कविता 3. तेंदुआ पर कविता 4. ऊंट पर कविता 5. मेरा घोड़ा कविता 6. मेरा टामी (कुत्ता) पर कविता 7. छत पर बंदर कविता। मध्यप्रदेश के रहनेवाले प्रमुख हिन्दी बाल साहित्यकार डॉ. परशुराम शुक्ल की कविताएं बच्चों के लिए जानवरों पर लिखी गई लोकप्रिय कविताएँ।

जंगली जानवर हो, पालतू जानवर हो, घरेलू हो या जलीय बच्चे जानवरों से प्यार करते हैं और उनसे आकर्षण होते हैं। जानवरों के बारे में कविताएँ बच्चों के लिए जानवरों के बारे में शिक्षित करने का एक हिस्सा है। कविता के साथ साथ जानवरों पर अनेक प्रकार के कहानियां भी आज हिंदी में उपलब्ध है जो जानवरों के आवास, विशिष्ट विशेषताओं और जीवनशैली के बारे में बताती है। इस आर्टिकल में बच्चों के लिए जानवरों पर विचारोत्तेजक, जानवरों पर कुछ हास्यप्रद, आसान और आनंददायक कविताएँ साझा कर चुके हैं।

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जानवरों पर कविताएँ : Poem on Animals in Hindi

Poem on Tiger in Hindi : बाघ पर कविता

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1. बाघ पर बाल कविता

बाघ


राष्ट्रीय पशु मैं भारत का,

बाघ मुझे सब कहते।

वन्य जीव सारे जंगल के,

मेरे वश में रहते॥


साइबेरिया का मैं वासी,

अब भारत की शान।

मुझे देख सकते हो जाकर,

रूस, चीन, ईरान॥


रेत, घास, कीचड़, दलदल में,

मैं आवास बनाता।

हुई शाम सूरज ढलते ही,

मैं शिकार पर जाता॥


सांभर, चीतल, नीलगाय मैं,

बड़े स्वाद से खाता।

नहीं मिलें तो चिड़िया खाकर,

अपनी भूख मिटाता॥


मेरी परम शक्ति के सम्मुख,

हाथी शीश झुकाता।

राह छोड़ कर हट जाते सब,

जब मैं आता-जाता॥


Poem on Elephant in Hindi : हाथी पर कविता

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2. हाथी पर बाल कविता

हाथी


भारी भरकम मोटा तगड़ा,

हाथी सबसे जीव निराला।

दाँत अनोखे बाहर निकले

रंग रूप सब काला-काला।।


दिन भर वन में विचरण करता

तोड़ पत्तियाँ, गन्ने खाता।

और नदी के तट पर जाकर,

नित्य नियम से खूब नहाता।।


जंगल का राजा शेरू भी

हाथी दादा से भय खाता।

और देखकर आता इसको

राह छोड़ पीछे हट जाता।।


Poem on Leopard in Hindi : तेंदुआ पर कविता

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3. तेंदुआ पर बाल कविता

तेंदुआ


साइबेरिया का मैं वासी

सभी जगह मिल जाता।

चुस्ती, फुर्ती कसा हुआ तन

मेरा रूप सजाता।।


भारत लंका, अफ्रीका से,

मेरा गहरा नाता।

रूस, कोरिया, चीन आदि में

जम कर धूम मचाता।।


काली काली चित्ती धब्बे

तन पर पाये जाते।

रंग सुनहरा भूरा पीला

मेरा रूप सजाते।


तैर सकूँ मैं पानी में भी

पेड़ों पर चढ़ जाता।

चाहे जैसी हो जमीन मैं,

सरपट दौड़ लगाता।।


नाम तेंदुआ, मेरा बच्चों!

आओ मुझको जानो।

जंगल में तुम आकर देखो,

और मुझे पहचानो।।


Poem on Horse : Mera Ghoda Kavita - मेरा घोड़ा कविता

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4. मेरा घोड़ा बाल कविता 

मेरा घोड़ा


मेरा घोड़ा बड़ा निराला,

सरपट दौड़ लगाता है।

जहाँ न पहुँचे मोटर गाड़ी,

वहाँ मुझे पहुँचाता है।

ताल तलैया घाटी पर्वत,

सब की सैर कराता है।

लेकिन जब मन होता उसका,

टट्टू सा अड़ जाता है।


Poem on Camel in Hindi : ऊँट पर कविता

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5. ऊँट बाल कविता

ऊँट


सब जीवो में जीव अनोखा,

मेरा कहना मानो।

रेगिस्तानी इस जहाज को,

बच्चों तुम पहचानो।।


दो मीटर से ज्यादा ऊँचा,

कूबड़ वाली काया।

लम्बी टाँगें लम्बी गर्दन,

रूप अनोखा पाया।


शाकाहारी घास, पत्तियाँ,

बड़े स्वाद से खाता।

एक बार में सौ लीटर तक,

यह पानी पी जाता।।


बोझा और सवारी ढोता

खेती भी यह करता।

काम सैनिकों के भी आता,

नहीं किसी से डरता।।


सर्दी के मौसम में मादा,

प्यारा बच्चा देती।

दूध पिलाती, रक्षा करती,

बड़े प्यार से सेती।।


Poem on Dog in Hindi : मेरा टॉमी अन्तरयामी कविता

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6. मेरा टॉमी अन्तरयामी बाल कविता

मेरा टॉमी अन्तरयामी


मेरा टॉमी अन्तरयामी,

सब कुत्तों में कुत्ता नामी।


बदमाशों को यूँ पहचाने,

जैसे हो वह अन्तरयामी।


सावधान रहता है इससे,

मिलती है उनको नाकामी।


टॉमी को बस अच्छे लगते,

टोनी, टोना, गुड्डू, पामी ।


दोष नहीं कोई टॉमी में,

लेकिन एक बड़ी है खामी ।


भौंक-भौक कर दौड़ाता वह,

जैसे ही मिल जाती मामी।


Poem on Monkey in Hindi : छत पर मोटा बन्दर आया कविता

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7. छत पर मोटा बन्दर आया बाल कविता

छत पर मोटा बन्दर आया


छत पर मोटा बन्दर आया,

आकर के उत्पात मचाया।


जिसने उसे भगाना चाहा,

खो-खों करके उसे डराया।


उठा ले गया मेरा कुरता,

झण्डे - सा उसको फहराया।


डंडा लेकर आया भैया,

तो उसको कस कर दौड़ाया।


परेशान थे घर वाले सब,

एक उपाय समझ में आया।


मैंने रोटी एक खिलाई,

झट उसने कुरता लौटाया।

- डॉ. परशुराम शुक्ल

बाल साहित्यकार,

भोपाल (मध्यप्रदेश)

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