चार बाल कविताएँ : Hindi Poems for Children | बच्चों की कविताएं

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavitayen : Dr. Faheem Ahmad Poetry for Childrens in Hindi

Faheem Ahmad Poetry for Childrens in Hindi

चार बाल कविताएँ : बच्चों की कविताएं हिंदी में फहीम अहमद द्वारा लिखी गई चार बच्चों की कविताएं 1. जंगल में बाल कविता 2. मिस्टर बादल बाल कविता 3. चलो प्रकृति की ओर बाल कविता 4. कबूतर बाल कविता। हिंदी के सर्वश्रेष्ठ बाल कविताएँ, मनोरंजक और ज्ञानवर्धक हिंदी बाल कविताएं। शिक्षाप्रद हिंदी बाल कविताएं। बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत कर, ज्ञानरंजक हिंदी बाल कविताएं। जंगल में हिंदी बाल कविता, मिस्टर बदल हिन्दी बाल कविता, चलो प्रकृति की ओर हिन्दी बाल कविता, कबूतर हिंदी बाल कविता। फहीम अहमद की हिंदी बाल कविताएँ। Hindi Poems for Children, Bal Kavita In Hindi, Hindi Poetry for Children's, Kids Poems in Hindi...

बाल कविता जंगल में : Poem on Jungle in Hindi - बाल कविता बच्चों की जंगल की सैर

1. जंगल में


मोटूमल जी चले घूमने

एक घनेरे जंगल में।

सरदी से काँपे जब थरथर

घुसे बड़े से कंबल में।


कंबल से बाहर जब देखा,

सोलह भालू खड़े हुए।

मोटूमल जी लगे काँपने

लेकिन भालू अड़े हुए।


देख तेंदुआ भालू भागे,

मोटूमल तो काँप गए।

तभी गुजर कर उनके पैरों

के करीब दो साँप गए।


घिग्घी बँधी, डरे वे काफी,

मगर तेंदुआ भगा अलग।

तभी सामने देखा अजगर

चीख गले में गई अटक।


दाएँ से दो गैंडे आए,

बाएँ से दस मोटे साँड।

पीछे से फिर पड़ी सुनाई,

उन्हें शेर की एक दहाड़ ।


चौतरफा जब घिरी मुसीबत

सिर पर रखकर पैर भगे।

गिरे चारपाई से नीचे,

सपना टूटा और जगे।


बाल कविता मिस्टर बादल : Badal Hindi Poems - Poem on Clouds in Hindi Mr. Badal Kavita

2. मिस्टर बादल


बूंदें बस दो-चार गिराकर,

मिस्टर बादल, कहाँ चले?

रस्ता देख रहे हैं कब से,

कौवे, तोते और कबूतर।

बकरी, भैंसें, मेढक, मछली,

देख रहे हैं सारे ऊपछल


सबके सब गरमी से व्याकुल,

तेरा जाना बहुत खले।


बरसो जरा तभी तो पापा

से ताजे भुट्टे मंगवाऊँ।

अम्मा से फरमाइश करके,

अभी पकौड़ी भी बनवाऊँ।


ज़रा भिगोकर ठंडे कर दो,

पेड़ों पर जो आम फले।


अभी मुझे लेना है सेल्फी

इंद्रधनुष के साथ अनूठी।

मिस्टर बादल अब छोड़ो भी

बहुत हुई यह रूठारूठी।


उमड़ घुमड़ पूरी कर जाओ,

मन में जो उम्मीद पले।


बाल कविता चलो प्रकृति की ओर : Poem on Nature in Hindi : Prakruthi Par Kavita

3. चलो प्रकृति की ओर


हरदम घर में कंप्यूटर पर

करते रहते काम।

चैटिंग, सर्फिंग और टाइपिंग

वही सुबह से शाम।


निकलो घर से खुली हवा में

करो बाग की सैर।

मत खिलवाड़ करो सेहत से

तभी रहेगी खैर।


ज्यादा देर अगर बैठे तो

है केवल नुकसान।

मेरी इन बातों पर भैया

क्यों न देते ध्यान।


होगा सिर में दर्द तुम्हारे

आँखें भी कमजोर।

छोड़ो भी अपना कंप्यूटर

चलो प्रकृति की ओर।


खुली फिजा में मिलती ठंडक

आओ इसके पास।

तुम्हें बुलाते फूल - तितलियाँ

और हरियाली वास।


बाल कविता कबूतर : Poem on Pigeon in Hindi - Kabutar Kavita

4. कबूतर

सुबह-सवेरे छत पे आए

मेहमान ये बिना बुलाए,

संगी-साथी को भी लाए।


एक झुंड में साठ कबूतर

छत पे पड़े हुए हैं दाने,

बिखराए मेरी अम्मी ने

आए सारे साथी खाने।


खाते हैं मिल-बाँट कबूतर

बिन टीचर स्कूल चला है,

नया जमाना नई कला है

प्यारा सा परिवार भला है।


करते सारे ठाठ कबूतर

लाए अपने-अपने बस्ते,

आपस में ही करें नमस्ते

पढ़ें गुटर-गूँ हँसते-हँसते।


रटते अपने पाठ कबूतर

इनको मुर्गा कौन बनाए,

और प्यार से जो समझाए

या गालों पे चपत लगाए,

खाएँ किससे डाँट कबूतर?


- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

ये भी पढ़ें; फहीम अहमद की छह कविताएँ : Faheem Ahmad Hindi Poetry

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