बालश्रम और उपेक्षित बचपन पर कविता : इनका कौन सहारा | Poem on Child Labour In Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Bal Kavita in Hindi : Inka Koun Sahara

Bal Kavita in Hindi Inka Koun Sahara

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इनका कौन सहारा


इनका कौन सहारा?

मम्मी मुझे जरा समझाओ

सोच सोच मैं हारा।

मेरे जैसे कितने बच्चे

जो हैं सीधे सादे सच्चे

अभी उमर में जो हैं कच्चे

थैलों में भर भर ले जाते क्यों

ये कूड़ा सारा?

दिखते तो हैं ये हम जैसे

बिना घरों के रहते कैसे

पास नहीं इनके हैं पैसे

कौन दिलाता टॉफी पाते

किससे ये गुब्बारा?

देख कभी न पाएं बस्ता

न जानें स्कूल का रस्ता

बच्चा बच्चा रहे तरसता

कोई प्यार नहीं क्यों देता

इनका कौन सहारा?

- फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

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