मणिपुर घटना पर कविता : इंसानियत शर्मसार हुई | Poem on Manipur Violence

Dr. Mulla Adam Ali
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मणिपुर घटना पर पूनम सिंह की कविता : इंसानियत शर्मसार हुई

Poem on Manipur Violence

Poem on Manipur Violence : मणिपुर घटना पर आधारित पूनम सिंह की कविता इंसानियत शर्मसार हुई। Poem on Manipur Horror Incident by Poonam Singh. इंसानियत शर्मसार हुई मणिपुर घटना पर आधारित हिंदी कविता।

मणिपुर : इंसानियत शर्मसार हुई


- फिर इंसानियत शर्मसार हुई ,

 हैवानियत जीत गई, मानवता हार गई 

फिर लूटी गयी बहन, बेटी की आबरु 

इतने से न पेट भरा 

सड़कों पर निर्वस्त्र घुमाया


छी! नग्न हुई भारत माँ, 

गई देश की इज्जत 

 विदेशों मे भी बजा भारत के शर्मसार का डंका 


धूमिल हुई महान प्राचीन संस्कृति

जहाँ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा गूंजे

वहीं बेटी की इज्जत लुटे

 

 गूँगा, अन्धा बना हैं हिन्दुस्तान 


नौंच खाया दरिंदों ने, 


खेल गये नारी की अस्मिता से


 मूक बनी है जनता देखो

यह है भारत देश महान


बात-बात पर शोर मचाने वाले


 आज है देखो चुप बैठे


जिस देश में स्त्री पूजी जाएँ

उसी देश की नारी का हो रहा बलात्कार


लम्बी-लम्बी फेंकने वाले 


आज हैं चुप बैठे, क्या जबान कट गयी


या लकवा मार गया ?

 कुर्सी की लालच में इतना नीचे गिए


कब से मणिपुर धू धू कर जल रहा


क्या इनको फिक्र नहीं

 क्यों ठोस कदम नहीं उठाया. 

वोट माँगते, आर्यावर्त के नाम पर,

 नफरत का बीज बो रहें

जहाँ जाति, धर्म के नाम पर


भाई-भाई को आपस मे बाँट रहें


गंगा-जमुनी तहजीब के धागे को काट दिया

 ये घड़ियाली आँसू बहाने वाले

 राजनीति की सत्ता के भूखे


बस इनको कुर्सी से है मतलब 

देश में क्या हो रहा, इनको क्या लेना ?


किसी बेटी की आबरु लुटे,

 देश मे महंगाई बढ़े

  किसान आत्महत्या करे, 

बेरोजगार रोजगार मांगे

 यही है सत्ता का सच


आज फिर इंसानित शर्मसार हुई !

पूनम सिंह
सहायक आचार्य, हिंदी विभाग
हिन्दू कन्या महाविद्यालय सीतापुर 
सम्बद्ध- लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ
उ० प्र०261001

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