भारतेन्दु युग के साहित्यिक महत्व

Dr. Mulla Adam Ali
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The Bharatendu Era and The Development Tradition of Hindi

The Bharatendu Era and The Development Tradition of Hindi

भारतेन्दु युग के साहित्यिक महत्व

आधुनिक हिन्दी काव्य के प्रथम चरण को भारतेन्दु युग की संज्ञा प्रदान की गई है। यह नामकरण सुकवि भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र के महिमा मण्डित व्यक्तित्व को ध्यान में रखकर किया गया। भारतेन्दु युग के पूर्व कविता में रीतिकालीन प्रवृत्तियाँ विद्यमान थीं। अतिशय श्रृंगारिकता, अलंकार मोह, रीति निरुपण एवं चमत्कारप्रियता के कारण कविता जन-जीवन से कट गई थी। देशी रियासतों के संरक्षण में रहने वाले कविगण रीतिकाल के व्यामोह से न तो उबरना चाहते थे और न ही उबरने का प्रयास कर रहे थे। ऐसी परिस्थितियों में भारतेन्दु जी का काव्य-क्षेत्र में पदार्पण वस्तुतः आधुनिक हिन्दी काव्य के लिये वरदान सिद्ध हुआ। उन्होंने काव्य क्षेत्र को आधुनिक विषयों से संपन्न किया और रीति की बँधी-बँधायी परिपाटी से कविता-सुन्दरी को मुक्त करके ताजी हवा में साँस लेने का सुअवसर प्रदान किया।

भारतेन्दु युग में परंपरागत धार्मिकता और भक्ति भावना को अपेक्षतया गौण स्थान प्राप्त हुआ, फिर भी इस काल के भक्ति काव्य को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है - निर्गुण भक्ति, वैष्णव भक्ति और स्वदेशानुराग-समन्वित ईश्वर-भक्ति। इस युग में हास्य- व्यंग्यात्मक कविताओं की भी प्रचुर परिणाम में रचना हुई।

काव्य-रूप की दृष्टि से भारतेन्दु युगीन कवियों ने प्रधानतः मुक्तक काव्य की रचना की है। खड़ी बोली की कविताओं में व्यावहारिकता पर बल होने के फलस्वरुप ब्रजभाषा के कवि अन्य भाषाओं से शब्द चयन के विषय में क्रमशः अधिक उदार होते गए, अतः भोजपुरी, बुंदेलखंडी, अवधी आदि प्रांतीय भाषाओं के अतिरिक्त उर्दू और अंग्रेजी की प्रचलित शब्दावली को भी अपना लिया गया। दोहा, चौपाई, सोरठा, कुंडलिया, रोला, हरिगीतिका आदि मात्रिक छंद और कवित्त, सवैया, मंदाक्रांता, शिखरिणी, वंशस्थ, वसंततिलका आदि वर्णिक छंद कवि-समुदाय में विशेष प्रचलित रहे।

भारतेन्दु युग के कवियों की सबसे बड़ी साहित्यिक देन केवल यही मानी जा सकती है कि इन्होंने कविता को रीतिकालीन परिवेश से मुक्त करके समसामयिक जीवन से जोड दिया । भारतेन्दु आधुनिक काल (Audhunik Kal) के जनक थे और भारतेन्दु युग के अन्य कवि उनके प्रभामंडल में विचरण करने वाले ऐसे नक्षत्र थे जिन्होंने अपनी खुली आँखों से जन-जीवन को देखकर उसे अपनी कविता का विषय बनाया। इस काल में कविता और जीवन के निकट का संबंध स्थापित हुआ और यही इस कविता का महत्व है।

- डॉ. एस. वी. राम कुमार

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