हिन्दी लघुकथाएँ : खाली चम्मच लघुकथा संग्रह से सर्वश्रेष्ठ लघुकथा कहानियाँ

Dr. Mulla Adam Ali
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हिन्दी लघुकथाएं : हिंदी में लोकप्रिय लघुकथा कहानियाँ

20+ hindi short stories

खाली चम्मच लघुकथा संग्रह से संग्रहित लघुकथाएं : सन् 1971-72 से लघुकथा, व्यंग्य, बाल साहित्य में निरंतर साहित्य सृजन कर रहे श्री गोविंद शर्मा जी का यह चौथा लघुकथा संग्रह है खाली चम्मच, जिसमें 121 लघुकथाएं हैं। अब से पहले गोविंद शर्मा के तीन लघुकथा संग्रह 1. रामदीन का चिराग 2. एक वह कोना 3. खेल नंबरों का। हिन्दी लघुकथाओं के अंर्तगत आज गोविंद शर्मा के ये लघुकथाएं पढ़े 1. संवेदनशील लघुकथा 2. रिक्शा लघुकथा हिंदी में 3. अच्छी बातें लघुकथा 4. चोर-सिपाही लघुकथा 5. पानी की बूंदें लघुकथा 6. तूफान लघुकथा 7. सच लघुकथा 8. लघुकथा भैंस के आगे भलाई 9. दंगा-नंगा हिन्दी लघुकथा 10. बरसात लघुकथा 11. अपना-अपना दुख लघुकथा 12. लघुकथा वजह 13. बेइज्जती लघुकथा 14. जूते अलघुकथा 15. हिन्दी में लघुकथा वक्त अपना अपना 16. कद-नाप लघुकथा 17. प्रतिक्रिया लघुकथा 18. लघुकथा बीच की पीढ़ी 19. आशंका लघुकथा 20. खोया वक्त लघुकथा आदि। आप इन सुंदर लघुकथाओं को पढ़े और शेयर करें।


20+ Contemporary Hindi Short Stories

Samvedansheel Laghukatha : Short Story Sensitive in Hindi

1. संवेदनशील (Sensitive)

हमारे उन्होंने समाज सेवा के क्षेत्र में उतरने का मन बना लिया। आप इसे राजनीति के क्षेत्र में उतरना भी कह सकते हैं। अब वे बिना बुलाए ही लोगों के आयोजनों में जाने लगे। बधाई या शुभकामना देने का अवसर होता, तो बधाई मुबारक जैसे शब्दों का दस बार उच्चारण करते। शोक का अवसर होता तो ऐसी संवेदना दिखाते कि देखने वाले हैरान रह जाते। लॉकडाउन के दौरान हमारे यहाँ के खुजा जी का देहांत हो गया। खुजा जी उनमें थे, जिन्होंने हमारे बाजार के प्रांरम में अपनी दुकान खोली थी। अब यह दुकान उनके बेटे संभाल रहे थे।

सभी खुजा जी के स्वभाव की तारीफ कर रहे थे। एक ने कहा- खुजा जी ने सारी उम्र परिवार, समाज, देश का भला ही किया।

हमारे वे चुप रहने वाले नहीं थे। बोले, खुजा जी तो ऐसे थे, मरते- मरते भी अपने बेटों का भला कर गये।

किसी की समझ में नहीं आया कि उन्होंने क्या कहा है। इस पर खुद उन्होंने ही स्पष्ट किया- देखिये आजकल लॉकडाउन की वजह से वैसे ही दुकानें बंद हैं। यदि खुजा जी आगे-पीछे मरते तो बारह दिन दुकान बंद रखनी पड़ती। कितना घाटा उठाना पड़ता?

उनकी संवेदनशीलता से कई कसमसा कर उठ गये। पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने तो यही सोचा- लोग इसी तरह उठकर जाते रहेंगे, तभी उन्हें आगे बढ़ने की जगह मिलती रहेगी।

Rickshaw Laghukatha in Hindi : Short Story Rickshaw

2. रिक्शा (Rickshaw)

सामुदायिक भवन में आज जलसा था। इसमें समाज सेवक जी जनसहयोग से रिक्शा खरीद कर विकलांगों में वितरित करने वाले थे। वे जैसे ही घर से चलकर सामुदायिक भवन के मुख्य द्वारा पर आए, चौंक गए। वहाँ एक साफ सुथरा रिक्शा खड़ा था। उन्हें याद आ गया कि इस रंग के रिक्शे पिछले साल विकलांगों में उन्होंने वितरित किये थे। अब वह फिर नया रिक्शा लेने आ गया, वाह।

अभी वे यह सोच ही रहे थे कि एक विकलांग व्यक्ति सीढ़ियों पर बैठा नजर आया। उस विकलांग ने हँसते हुए नमस्ते की और बोला- सर जी, पिछले साल आपने ही मुझे यह रिक्शा दिया था...।

तो, इस साल फिर नया रिक्शा लेने आगये? हर साल मुफ्त का रिक्शा नहीं मिलता है। फिर यह रिक्शा तो बिल्कुल सही-सलामत दिख रहा है। तुम्हें नया रिक्शा देकर दूसरों का हक नहीं छीनूँगा।

नहीं-नहीं, सर जी मैं नया रिक्शा लेने नहीं आया हूँ। आपने पिछले साल मुझे यह रिक्शा दिया था तो मैं इस पर बैठकर घर से दूर एक वर्कशाप में जाने लगा। मोटरों को ठीक करने का काम सीखने लगा। क्योंकि मेरे सिर्फ पैर खराब हैं, हाथ तो बिल्कुल सही हैं। मैं मैकेनिक का काम सीख गया। मुझे आमदनी भी होने लगी है। उस वर्कशाप के कबाड़ में पड़े सामान से मैंने स्वयं अपने लिये एक रिक्शा बना लिया है। वह देखिये, उधर खड़ा है। अब मैं उसका ही इस्तेमाल करता हूँ। यह तो मैं इसलिये अपने साथ लाया हूँ कि आपको वापस कर दूँ ताकि आप किसी और जरूरतमंद को दे सकें।

मंच से लबे-लंबे भाषण देने वाले समाज सेवक जी अब कुछ बोल नहीं सके। वे कभी उस व्यक्ति को कभी नये को तो कभी पुराने रिक्शा को देखते रहे।


Laghukatha Achhi Baatein : Short Story Good thing's in Hindi

3. अच्छी बातें (Good things)

हम लोगों के पास दूसरों को बताने के लिये अच्छी बातों की कोई कमी नहीं होती है। उसके पास भी नहीं थी। इसीलिये तो जब एक मिखादी ने उससे भीख मांगी- तो वह उपदेश देने, अच्छी बात बताने पर उत्तर आया- कमाकर खाना चाहिए। भीख नहीं मांगनी चाहिए। अपनी पत्नी और बच्चों को यही सिखाओ। उन्हीं के लिये भीख मांगते हो त?

जी नहीं, भीख तो मैं आप जैसे सेठों के लिये मांगता हूँ।

क्या कह रहे हो? हम तुम्हारी मांगी भीख पर गुजारा करते हैं? अ हम खूब काम करके काफी धन कमाने वाले हैं।

आप लोग कैसे कमाते हैं, यह मुझे ही नहीं सबको मालूम है। अपनी कमाई के कारण हर समय डरते रहते हो। कमी कोई चुरा न है, इन्कमक्या का छापा न पड़ जाये, पुलिस पकडने न आ जाये। इन सब सी पी राहत पाने के लिये हम जैसों को एक दो रुपये देकर पुण्य कमाते हो और डर, चिंता को दूर भगाते हो। हम भिखारी न हो तो तुम लोग अने डर और चिंता के नीचे दबकर कभी के रसातल में चले जाओ।

उसके मुँह से भी यही निकला- हद हो गई। जिससे बात करें, वहीं अच्छी बातों का भंडार, महान उपदेशक निकल आता है।


Chor Sipahee Hindi Laghukatha : Short Story Thief-Soldier

4. चोर-सिपाही (Thief-Soldier)

कोरोना काल में घर में बंद बच्चे सारा दिन क्या करते? कब तक टी.वी. मोबाइल देखते। कुछ खेलने की इच्छा तो होती ही है। उन्हें बताया कि हम बचपन में 'चोर सिपाही का खेल खेलते थे। कैसे? यह भी उन्हें समझाया। बच्चे यह खेल खेलने के लिये तैयार हो गये। पर दो बच्चे आपस में बहस करने लगे। दोनों ही चाहते थे चोर बनना। सिपाही कोई नहीं बनना चाहता था। आश्चर्य हुआ। उन्हें बताया कि बचपन में हम सब तो सिपाही बनना चाहते थे। कोई चोर बनना ही नहीं चाहता था।

एक बच्चा बोला क्या पड़ा है सिपाही बनने में। चोर बनने में मजा ही मजा। सिपाही बन कर दिन-रात अफसरों नेताओं और बड़े लोगों की जी हुजूरी करो। कभी यहाँ तो कभी वहाँ ड्यूटी पूरी करने के लिये भटको। किसी चोर को पकड़ो और वह रसूख वाला निकले तो अफसर या नेता के आदेश पर उसे छोडना पडता है। वह चोर तो सदा के लिये सिपाही का दुश्मन बन जाता है। सिपाही का क्या है. कभी भी उस पर रिश्वत्त खोरी या चोरी का इलजाम लगाया जा सकता है। कोरोना जैसी बीमारी के काल में भी सिपाही को कहीं भी ड्यूटी पर जाना पडता है। पत्थरों की मार सहनी होती है। संक्रमण का खत्तरा उठाना पड़ता है। चोर के लिये ऐसी मुसीबतें होती है क्या?

फिर खेल का नाम स्खते वक्त भी आपने इज्जत चोर को दी है. सिपाही को नहीं। नाम में चोर पहले है, सिपाही बाद में।

सोच लिया कि अपने बचपन के किसी और खेल का परिचय आगे से आज के बच्चों को नहीं दूँगा।


Paani Ki Boonde Laghukatha in Hindi : Short Story Water drops

5. पानी की बूंदें (Water drops)

रेल लाइन के साथ-साथ चलकर घर आना, बाजार जाना, आफिस जाना मेरा रोज का काम है। कई गाड़ियों गुरजती हैं इस रूट से। अक्सर यात्री खाने के खाली डिब्बे, पानी की खाली, अधभरी बोतलें बाहर फेंकते हैं। मैं रोज देखता हूँ, कचरा बीनने बाले लड़के आते हैं और खाने के डिब्बे से बचा खाना ले जाते हैं, फेंकी गई बोतलें ले जाते हैं। पर आज तो यह देखकर हैरान रह गया था कि साफ धुली हुई पेंट शर्ट पहने एक महाशय मेरे आगे-आगे जा रहे हैं। उनके हाथ में एक थैला भी है। अचानक उन्होंने फेंकी हुई पानी की बोतलें उठाना शुरू कर दिया। उनमें कोई आधी भरी थी तो कोई चौथाई। वे बोतल उठाते और उसे अपने थैले में रख लेते। वाह! मैंने तो कुछ और समझा था, पर यह तो कचरा बीनने वाला निकला। मैं उसके पीछे-पीछे चलता रहा। उस दिन रास्ते में दस के करीब बोतलें मिल गईं। आगे एक तिकोनी खाली जगह आई। इसे लोगों ने पौधे लगाकर पार्कनुमा बना दिया था। उस महाशय ने उसी पार्क में प्रवेश किया। मैं उसे देखने के लिये उत्सुकतावश वहीं खड़ा रहा। महाशय ने उन बोतलों के पानी से कभी किसी पौधे की सिंचाई की तो कभी किसी की। देखते-देखते आधी भरी या चौथाई भरी बोतलें उन्होंने खाली करदीं। अब बोतलों में एक बूंद भी नहीं थी। फिर सबको थैले में भरा और उस पार्क के पास रखे एक कचरा पात्र में सब फेंक दी। अब थैले में एक किताब बची थी। उन्होंने किताब को निकाला, पास ही पड़े एक बड़े पत्थर पर वह थैला बिछाया। उस पर बैठकर पढ़ने लगे। मैंने उन्हें क्या समझा और वे क्या निकले।

खैर, अब मेरे पैर के अग्रभाग में थोडा दर्द होने लगा। क्योंकि मैं रोजाना ऐसी बोतलों को फुटबाल की तरह ठोकर मार कर वहाँ से निकलता रहा हूँ।

Toofan Hindi Laghukatha : Short Story Storm in Hindi

6. तूफान (Storm)

हमने मकान की तीसरी मंजिल पर कोई पक्का निर्माण नहीं करवाया। खबों के सहारे टीन की चादर की छत लगा कर एक बड़ा सा बरामदा बना लिया। गरमी सरदी यह हमारे खूब काम आने लगा। बच्चों के लिये वहाँ झूला भी लगा दिया। हमारा खाली समय वहाँ बीतने लगा।

एक दिन अचानक तूफान आने का हो गया। हम सब नीचे आगये। तेज तूफान आ गया। कई घंटे बाद हम तूफान का असर देखने छत पर गये तो यह देख कर हैरान रह गये कि टीन की चादरें उड़ चुकी है। बच्चों का झूला, खिलौने, मेरी किताबें, श्रीमती का कुछ समान भी वह तूफान उड़ा ले गया। हमारे घर के पीछे खुला मैदान था। वहाँ झाँके तो देखा सामान मैदान में इधर-उधर बिखरा पडा है। मुझे कुछ तसल्ली हुई कि टीन की चादरें किसी के ऊपर नहीं गिरीं, किसी को चोट नहीं आई। फिर मैंने पास खड़े अपने बच्चे से कहा- देखा तूफान का नतीजा? तुमने तो जीवन में पहली बार ऐसा तूफान देखा है।

पाषा, उस दिन भी उसके लिये अचानक बडा तूफान आया था। किस दिन ? किस के लिये?

उस दिन जब आपने इसी टीन की छत के नीचे बने एक चिड़िया के घोंसले को अड़ों सहित दूर फेंका था।

हाँ, उस दिन भी इसने खूब विरोध किया था। पर मैंने अपनी जगह को गंदगी से बचाने के लिये ऐसा किया था। बच्चा है न, इसके लिये वह तूफान बड़ा था।


Sach Laghukatha in Hindi : Short Story Truth in Hindi

7. सच (Truth)

मैं बोर हो गया हूँ। राजनीति से उकता गया हूं। मैं राजनीति से बाहर आना चाहता हूँ। बहुत कोशिश पर चुका, इससे पीछा नहीं छूट रहा। तुम कोई रास्ता बताओ।"

"एक काम करो, आज से ही लोगों से सच बोलना शुरू कर दो। सच बताना शुरू कर दो। कुछ ही दिनों में राजनीति से बाहर फेंक दिये जाओगे।"

कुछ दिन बाद।

"बाहर आए राजनीति से?"

"कहाँ यार, सच बोलने से पत्नी रूठकर मायके चली गई। सच बताने से. मित्र, संबंधी नाराज हो गए हैं। पर राजनीति ने मुझे नहीं छोड़ा है। सच बोलने में ताकत भी खूब खर्च हो रही है। एक सच को सच साबित करने के लिये सौ झूठ बोलने पड़ रहे है।"

"लगता है तुम दूसरों के बारे में सच बोलने, बताने लगे हों। खुद के बारे में सच बताया करो।"

पागल हो गये हो क्या? अपने बारे में सच बताकर वर्षों से जनता में बनी अपनी छवि ध्वस्त कर दूँ? जाओ, जाओ, मुझे नहीं छोड़नी इस तरह राजनीति।


Bhains Ke Aage Bhalayi Laghukatha : Short Story Goodness and Buffalo

8. भैंस के आगे भलाई (Goodness before the buffalo)

भैंस ने अपने कान खड़े किये, सींग हिलाये और बोली- मालिक, मुझे बदनामी से बचाओ।

क्या हुआ? किसी ने तुम पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाया है?

नहीं मालिक, यह बीमारी हम पशुओं में नहीं है। यह तुम इंसानों में ही होती है।

मैं तो शुद्ध, गाढा प्रतिवक्त 10 लीटर देती हूँ। तुम उसमें पाँच लीटर पानी मिला देते हो। सब कहने लगे हैं कि यह भैंस बेकार है, बहुत पतला दूध देती है।

अरी, तू रही अक्ल की दुश्मन। मैं बेईमान नहीं हूँ। न ही मुनाफे के लिये यह कर रहा हूँ। मैं तो तेरी तारीफ करवा रहा हूँ। चाहता हूँ कि लोग कहें कि औरों की भैंस एक वक्त में दस लीटर से ज्यादा दूध नहीं देती है। यह भैंस कितनी अच्छी है, रोज वक्त का पन्द्रह लीटर दूध देती है... उफ, भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा, कहते हुए मालिक ने अपना माथा पीट लिया।


Danga-Nanga Laghukatha Hindi : Short Stories

9. दंगा-नंगा (Riot-Naked)

तुम्हारे अपराध साबित हो गये हैं। तुम्हें 366 दिन की जेल की सजा दी जाती है।

- साहब, मैंने कोई दंगा नहीं किया। मैं तो एक अखबार में स्तंभकार हूँ। व्यंग्य लिखता हूँ।

- हमने वीडियो में देखा है। तुम तीन लोगों से भिड़े हुए हो।

साहब, उन तीनों ने मिलकर मुझ पर हमला किया था। मैं तो अपना बचाव कर रहा था।

इसलिये दंगा करने की सजा एक दिन की जेल है।

और बाकी के 365 दिन........?

तुम अपने लेखन द्वारा सिस्टम को नंगा कर अश्लीलता फैलाते रहे हो, उसकी सजा है यह।


Barsat Hindi Short Story : Rain Laghukatha in Hindi

10. बरसात (Rain)

शहर में सड़क पर भीड थी, तभी बरसात शुरू हो गई। लोग बरसात से बचने के लिये इधर-उधर भागने लगे। बस, एक वह भागा नहीं, पर ऊपर की ओर देखते हुए जोर से बोला अरे जाओ, हमारे खेतों पर बरसो। यहां पक्की सडक पर क्यों बरस रहे हो? यहाँ हमने कोई फसल नहीं उगानी।

उसकी बात सुनकर सब हँस पडे। बस, एक वह नहीं हँसा। वह यानी सड़कें बनवाने वाला इंजीनियर । बोला- ठीक ही तो कह रहा है यह। खेतों पर ही बरसना चाहिए। आजकल की बरसात पता नहीं कौन सी ताकत की गोली खाकर बरसती है कि पहली बरसात में ही नई बनी सड़क टूट जाती है, धँस जाती है या बह जाती है।


Laghukatha Apna Apna Dukh : Short Story Everyone has their own sorrows

11. अपना-अपना दुख (Everyone has their own sorrows)

बहुत दिनों से वर्षा नहीं हुई। फसलें सूखने लगी। गाँव के लोग दुखी हो गये। मंदिर के पुजारी ने सलाह दौ-भगवान की नाराजगी दूर करो। मंदिर प्रायष्ण में अखंड जागरण करो। भगवान राजी हो जायेंगे। बरसात होगी।

गाँव के सब लोग इसके लिये तैयार हो गये। जागरण में झाना जोर से गायन हुआ कि आवाज भगवान तक पहुँच गई। भगवान प्रकट हुए और बोले- तुम्हारी मांग मंजूर है। अगले मंगलवार को इतनी बरसात होगी कि तुम्हारा तालाब लबालब हो जायेगा। खेत हरे-भरे हो जायेंगे। तुम लोग तौबा तौबा करने लगोगे।

इतनी सुनते ही एक को छोडकर सब लोग खुश हो गये। सारे खुशी के नाचने लगे। जो गुमसुम उदास मायूस बैठा था, वह मंदिर का पुजारी था। मंगलवार को ही ज्यादा भक्त आते हैं मंदिर में। नकदी चढ़ाते हैं और खाने का सामान भी चढ़ाते हैं। उससे अगले सात दिन बड़े मजे से कटते हैं। उस दिन तेज बरसात होगी तो कोई भक्त मंदिर तक नहीं आ सकेगा। तब मजबूरन अगले मंगल तक अधपेटा रहना होगा।

Best Laghukatha Vajah : Short Story Reason in Hindi

12. वजह (Reason)

नदी के सैलाब ने गर्व से सिर ऊँचा किया और मूंछों पर ताव देने लगा। क्यों न हो गर्व? उसने अभी-अभी देखा है, सौ वर्ष के लिये बने पुल को उसके पानी के साथ वह कर जाते हुए।

पर बेचारा ज्यादा पलों तक पुल के बह जाने का गर्व नहीं कर सका। उसे धमकी सुनाई दी- सैलाब के बच्चे, मूंछों को मरोड़ना बंद कर, सिर झुका कर चल, तेरे जैसे सैलाब हर नदी में आते हैं। इस पुल के बहने के श्रेय पर हक तेरा नहीं, मेरा है।

सैलाब ने उधर देखा, जिधर से यह आवाज आई थी। उसे देखते ही सैलाब सिर झुका कर शीघ्रता से आगे चला गया। क्यों न जाए? यह अधिकृत आवाज थी। इसे बोलने वाले को सरल भाषा में भ्रष्टाचार कहा जाता है।


Sarvshrest Laghukatha Beijjati : Hindi Short Story Insult

13. बेइज्जती (Insult)

पडोस की झोंपडी से कराहने की आवाज आई तो कक्का बोले-क्या हुआ रे गब्बू, क्या आज फिर पिट कर आया है?

नाहिं कक्का, सुबह से पेट में दर्द हो रहा है।

तो हस्पताल क्यों नहीं गया? आजकल वहाँ मुफ्त में इलाज होता है।

कक्का, ये डागदर लोग खराब बोलते हैं। बेइज्जती कर देते हैं। बड़ा आया इज्जत वाला... कैसे कर देते हैं? हमारी तो कभी किसी ने नहीं की।

कक्का, डागदर के पास जाता तो पेट दबाते हुए सबसे पहले पूछता- बता, क्या खाया था? बताओ, इसका मैं क्या जवाब देता? यह बेइज्जती नहीं है क्या?


Short Story Jootein in Hindi : Laghukatha Shoes

14. जूते

उस अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन में खिलाडी को बिना जूते खेलते देखकर सभी आश्चर्य कर रहे थे। क्या कोई देश इतना भी गरीब हो सकता है? अपने खिलाडी को जूते भी नहीं पहना सके।

पूछा तो उस खिलाड़ी ने बताया कि आज कल हमारे देश में चुनाव युद्ध चल रहा है। यह युद्ध लड़ने के लिये हमारे यहाँ जूतों की जरूरत होती है। मेरा एक जूता सत्तापक्ष के हाथ में है तो दूसरा मुख्य विपक्षी दल के हाथ में। जब मैं यहाँ से जीतकर जऊँगा तो मुझे मिल जायेंगे। क्या मिल जायेंगे?

जूते।


Waqt Apna Apna Hindi Short Story : Hindi Laghukatha 

15. वक्त अपना अपना (Time has its own)

अचानक बाढ़ आ गई। भयंकर बाढ़। लोगों के गाँव, खेत, कल-कारखाने तो डूबे ही, वे भूतपूर्व नेताजी भी फंस गये बाढ़ में। वे और उनका परिवार एक ऊँचे टीले पर बड़ी मुश्किल से शरण ले सके। दो दिन के भूखे परिवार को अचानक ऊपर उड़ता एक हेलिकाप्टर दिखा। परिवार के एक सदस्य ने पूछा-क्या यह काप्टर हम पर पिज्जा, बर्गर गिरायेगा? कोई जवाब दे उससे पहले एक और बोला- आज तो मैं बिना सब्जी के रोटी खा सकता हूँ, चावल खा सकता हूँ।

भूतपूर्व नेताजी बोले नहीं तो एक बच्चे ने पूछ लिया- पापा, इस काप्टर में क्या है?

शून्य में ताकते नेता जी बोले- बेटा, इसमें वक्त है। यदि मेरा वक्त होता तो मैं इस समय उस हेलिकाप्टर में बैठा बाढ दर्शन कर रहा होता और जो इस समय उसमें बैठा है, वह शायद हमारी जगह बैठा आसमान की ओर ताकता नजर आता।


गोविंद शर्मा के लघुकथाएं : हिन्दी लघुकथा लेखन

16. कद-नाप

जब छोटे थे, तब साथ-साथ खेलते थे। बाद में एक अपने माता-पिता के साथ शहर चला गया।

एक दिन दोनों अचानक मिल गये। शहर वाला बोला- देखा मेरा कद? कितना बढ़ गया है। बढ़ता ही जा रहा है।

गाँव वाला बोला-खाक बढ़ रहा है। तेरा कद तो तेरे पहने कमीज पैंट के बराबर ही है। कद तो मेरा बढ़ रहा है। देख, मेरा पाजामा, मेरा कुर्ता मेरे कद से कितने छोटे हो गये हैं।


लघु कहानी प्रतिक्रिया : Laghu Kahani in Hindi

17. प्रतिक्रिया (Reaction)

एक प्रसिद्ध दैनिक के संपादकीय पृष्ठ पर मेरी लघुकथा प्रकाशित हुई। मैं खुश हो गया। पास बैठे मित्र पर अपनी खुशी उंडेलते हुए मैंने कहा- देख, मेरी लघुकथा। पढ़ कर बता, कैसी लगी।

उसने कुछ देर पूरे पन्ने को देखा। फिर बोला- इस पृष्ठ पर संपादकीय, यह बड़ा सा मुख्य आलेख इतनी लंबी कहानी और यह कविता भी। इनके सबके पास नीचे ही नीचे एक कोने में तुम्हारी लघुकथा। वाह । ऐसा लगता है जैसे बहुमंजिला इमारतों के पास झुग्गी डालने के लिये तुम्हें भी थोडी सी जगह मिल गई।

Choti Kahaniyan in Hindi : Small Story Middle Generation in Hindi

18. बीच की पीढ़ी (Middle generation)

उनका ज्यादा वक्त अपने छोटे पोते के साथ ही बीतता था। एक दिन उसे शहर घुमाने ले गये। बस स्टैंड रेलवे स्टेशन कालेज जी जो भी रास्ते में आते गए पोते को उनके बारे में विस्तार से बताते रहे। दूर लाल रंग की एक इमारत दिखाई दी। चाचा ने उसकी उपेक्षा करदी, पर पोते का ध्यान उस पर ही था। पोते ने पूछ लिया वह क्या है? दादा ने छोटा सा उत्तर दिया- एक स्कूल हैं।

पोते को जोर से हँसी आ गई। बोला- दादाजी आप झूठ बोल रहे है या आपको पता नहीं, वह क्या है। मैं एक दिन चालू के साथ उसके आगे से निकला था। वह वृद्धाश्रम है। साधू ने बताया कि जो बूढ़े हो जाते हैं, उन्हें घर से हटाकर यहाँ रहने के लिये भेज दिया जाता है।

दादा पोता दोनों चुप

थोड़ी देर चुप रहने के बाद पोता बोला- दादाजी मुझे आपके साथ ही रहना है। आप कभी भी बूढ़े मत होना। नहीं होवोगे ना?

ये कुछ बोले नहीं। पोते को अपने साथ चिपकाते हुए मन ही मन कहा- मैं बूढ़ा हूँ या नहीं, इसका फैसला न तुम कर सकते हो, न मैं। इसका पौसला करना हम दोनों के बीच की पीढी के हाथ में है।


अति लघु कहानियां हिन्दी में : Small Stories in Hindi

19. आशंका (Doubt)

सेवा निवृत्त बाला जी का वक्त पोते-पोतियों के साथ मजे से बीत रहा था। 6-7 वर्ष के गोलू के साथ उनका कुछ ज्यादा ही लगाव था। गोलू भी जब घर में होता अपने दादा के आसपास रहता। दोनों अक्सर रूठा-राठी खेलते थे। एक दिन गोलू ने दूध नहीं पिया। मम्मी-पापा उसे मनाते थक गये। उसे मनाने की बागडोर अब बाला जी को सौंप दी गई। उन्होंने दूसरी कोशिशों में असफल रहने पर अपने वाला ब्रह्मास्त्र चलाया। बोले- गोलू तुम कहना नहीं मानते न? अब तुम से नहीं बोलेंगे। अब मी तुमने दूध नहीं पीया तो हम तुम्हारे दादा कभी नहीं बनेंगे।

गोलू ने बाला जी की ओर देखा। उन्हें उम्मीद हुई कि गोलू मान जायेगा। पर गोलू बोला- मत बनिये मेरे दादा। मैं अपने लिये नया दादा वहाँ से ले आऊँगा।

कहाँ से?

वहीं से जहाँ बहुत सारे दादा दादी होते हैं। वह बड़ा सा घर चाचा ने मुझे कल ही दिखाया था। रेल फाटक के पास वाला लाल घर। चाचा ने बताया कि इसमें रहने वाले दादू दादी ही होते हैं।

मीत्तर तक हिल गये बाला जी। अभी तो गोलू ने वहाँ से नया दादा लाने की सोची है। यदि किसी ने मुझे वहाँ भेजने की सोच ली तो उस लाल घर में वृद्धाश्रम है।


रोचक लघुकहानी खोया वक्त : Kids Stories short in Hindi

20. खोया वक्त (Lost time)

सेवानिवृत्त बालाजी काफी देर से कुछ ढूँढ रहे थे। शायद चश्मा, कोई पुरानी किताब या आज का अखबार। उन्हें वह वक्त याद आने लगा, जब वे घर में नोटों की गड्डी लेकर आया करते थे। उन दिनों उनके मुँह से निकलता- 'अरे मेरा चश्मा कहाँ है' तो कई आवाजें एक साथ सुनने को मिलतीं। जैसे- मैं देखती हूँ, मैं लाकर देता हूँ, वह रहा दादू आदि आदि। अब वे कुछ भी कहें, कोई नहीं सुनता। आज भी यही हो रहा था तो मोबाइल पर झुके एक पोते ने पूछ लिया- क्या ढूँढ रहे हो दादू?

उन्होंने तलाश जारी रखते हुए कहा-अपना खोया हुआ वक्त ढूँढ रहा हूँ।

पता नहीं, पोते ने सुना या अपनी ही धुन में कहा- दादू, आराम से बैठो। खटपट बंद करो। इस उम्र में खोई हुई चीजें मिलती नहीं हैं।

- गोविंद शर्मा

ये भी पढ़ें; गोविंद शर्मा का चौथा लघुकथा संग्रह खाली चम्मच 121 लघुकथाएं : लघुकथा लेखन-कथन

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