बाल कविता : हंड़ी में दाल

Dr. Mulla Adam Ali
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Hindi Bal Kavita Sangrah Mutti Mein Hain Lal Gulal by Prabhudayal Shrivastava Poems for Kids, Hindi Children's Poetry, Bal Kavita.

Bal Geet Handi Me Daal

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Hindi Bal Kavita Handi Me Dal

हंड़ी में दाल


हंड़ी में चूल्हे पर,

पकने दो दाल।


दाल खदबदाएगी,

खूब महक आएगी।

मन मयूर नाचेगा,

नाक बहक जाएगी।

खुशियों से मत पूछो,

क्या होगा हाल।


शम्मी ने, मोहन ने,

रम्मी ने खाई है।

अम्मा को बापू को,

बहुत - बहुत भाई है।

दादी के हाथों की,

अमृत सी दाल।


ऐसी ये दाल गरम,

थाल सजा देती है।

चावल में घी के संग,

बहुत मजा देती है।

जैसे मिल बैठे हों,

सुर के संग ताल।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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