Hindi Kids Poetry Collection Book Mutti Mein Hain Lal Gulal Poems by Prabhudayal Shrivastava, Children Poems in Hindi.
Hindi Baal Geet
Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता मुझे बात भी नहीं बताती, बालमन की रोचक हिंदी नटखट बाल कविता (natkhat baal kavita) मुझे बात भी नहीं बताती, पढ़िए मजेदार बाल गीत और शेयर कीजिए।
Prabhudayal Srivastava Ki Kavita
मुझे बात भी नहीं बताती
सुबह-सुबह से चें-चें चूँ-चूँ,
खपरैलों पर शोर मचाती।
मुर्गों की तो याद नहीं है,
गौरैया थी मुझे जगाती।
चहंग-चंहंग छप्पर पर करती,
शोर मचाती थी आँगन में।
उस की चपल चंचला चितवन,
अब तक बसी हुई जेहन में।
उठ जा लल्ला, प्यारे पुतरा,
ऐसा कहकर मुझे उठाती ।
आँगन के दरवाजे से ही,
भीतर आती कूद-कूद कर।
ढूँढ-ढूँढ कर चुनके दाने,
मुँह में भरती झपट-झपट कर।
कभी मटकती कभी लपकती,
कत्थक जैसा नाच दिखाती ।
आँखों में तुम बसी अभी तक,
पता नहीं कब वापस आओ।
मोबाइल पर बात करो या,
लैंड लाइन पर फोन लगाओ।
किसी कबूतर के हाथों से,
चिट्ठी भी तो नहीं भिजाती।
तुम्हीं बताओ अब गौरैया,
कैसे तुम वापस आओगी।
छत, मुंडेर, खपरैलों पर तुम,
फिर मीठे गाने गाओगी।
चुपके से कानों में आकर,
मुझे बात भी नहीं बताती?
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
ये भी पढ़ें; मैंने की दादी से बात : बाल कविता