First Hindi poet to receive the Jnanpith Award, Hindi's first Jnanpith Award winner Sumitranandan Pant literary introduction.
Sumitranandan Pant
भारतीय साहित्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने के उद्देश्य से 1961 में भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना की गई थी। इस पुरस्कार ने भारतीय भाषाओं में अनेक लेखकों को सम्मानित किया है, लेकिन हिंदी भाषा की बात करें तो इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पहले लेखक सुमित्रानंदन पंत है। आइए जानते हैं प्रकृति के बेजोड़ कवि माने जाने वाले सुमित्रानंदन पंत के साहित्यिक योगदान, विचारधारा और इस पुरस्कार से जुड़ी उनकी उपलब्धियों के बारे में।
हिंदी के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता सुमित्रानंदन पंत
एक साहित्यिक परिचय
ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है?
भारत की 22 मान्यता प्राप्त भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को प्रदान किया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ संस्था द्वारा हुई थी। ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त लेखक को प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न और नकद राशि दी जाती है।
सुमित्रानंदन पंत: हिंदी के पहले ज्ञानपीठ विजेता
प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत को साल 1968 को हिंदी साहित्य में उनके अद्वितीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया। छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत के कविता में प्रकृति, सौंदर्य, मानवता और आध्यात्मिकता की गूंज सुनाई देती है। पंत जी का जन्म कौसानी में 20 मई 1900 को हुआ था, सात वर्ष की उम्र में ही कविता लिखना शुरु कर दिया था, कला और बूढ़ा चांद पर 1960 को साहित्त्य अकादमी पुरस्कार, 1968 में चिदम्बरा काव्य रचना के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनका निधन 28 दिसम्बर 1977 को हुआ।
प्रमुख रचनाएँ
सुमित्रानंदन पंत की कुछ प्रमुख काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि।
भारतीय दर्शन, मानव मूल्यों और सौंदर्यबोध का अद्वितीय संगम इनके रचनाओं में देखने को मिलता है।
सुमित्रानंदन पंत की लेखनी की विशेषताएँ
- प्रकृति प्रेम: प्रकृति का अत्यंत सौंदर्यपूर्ण चित्रण पंत की कविताओं में होता है।
- दार्शनिक गहराई: आध्यात्मिकता और मानवता की गहरी समझ उनकी रचनाओं में झलकती है।
- छायावादी शैली: हिंदी कविता को कोमलता और भावनात्मक ऊँचाई प्रदान करने वाले छायावाद आंदोलन के अग्रणी कवि थे।
ज्ञानपीठ पुरस्कार और उनका महत्व
चिदंबरा काव्य रचना के लिए 1968 में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले हिंदी के प्रथम लेखक सुमित्रानंदन पंत जी है। पुस्रकार मिलने के बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मान्यता प्राप्त हुई। यह समान उनके व्यक्तिगत सम्मान का प्रतीक बना बल्कि हिंदी साहित्य को भी एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
निष्कर्ष;
हिंदी साहित्य के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है सुमित्रानंदन पंत का नाम, उन्होंने ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कर हिंदी भाषा को गौरवान्वित किया। ऐसे महान भारतीय लेखक के बारे में जानना, समझना और आगे बढ़ाना प्रत्येक साहित्य प्रेमी का कर्तव्य है।
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