Gyanpeeth Puraskar Kya Hai? India's highest literary honour Jnanpith Award History, Selection process, committees, and rules in Hindi, List of Jnanpith Award (1965 to 2025)
Jnanpith Award
आप इस लेख जरिए पढ़िए ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास क्या है, इसकी स्थापना कब हुई, पुरस्कार का उद्देश्य, पहला पुरस्कार विजेता और भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान की चयन प्रक्रिया क्या है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास | हिंदी साहित्य का सर्वोच्च सम्मान
भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले लेखकों को दिए जाने वाला भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार है। आज हम इस लेख में ज्ञानपीठ पुरस्कार से संबंधित जानकारी जैसे इसका इतिहास, उद्देश्य, चयन प्रक्रिया और पहले विजेता आदि के बारे में जानेंगे।
ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है?
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट या उच्चस्तरीय साहित्यिक लेखन के लिए दिए जाने वाला भारत का सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार है। इस पुरस्कार की स्थापना भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने तथा साहित्यिक उत्कृष्टता को पहचान करने के उद्देश्य से की गई है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना कब हुई?
भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट द्वारा 1961 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत हुई, साहू शांति प्रसाद जैन और उनकी पत्नी रामाप्यारी जैन ने इसकी स्थापना की थी। इस ट्रस्ट का उद्देश्य भारतीय भाषाओं के समृद्ध साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाना था।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का उद्देश्य
- भारतीय भाषाओं में रचित उत्कृष्ट साहित्य को सम्मानित करना
- लेखकों को प्रोत्साहन देना
- भारतीय भाषाओं की विविधता और साहित्यिक परंपरा को बढ़ावा देना
- यह पुरस्कार हिंदी, उर्दू, बंगाली, कन्नड़, तमिल, मलयालम, मराठी, ओड़िया आदि भाषाओं में लिखने वाले लेखकों को दिया जाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का पहला विजेता कौन था?
- मलयालम के कवि जी. शंकर कुरुप को वर्ष 1965 में पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला
- सुमित्रानंदन पंत हिंदी भाषा के पहले विजेता थे – जिन्हें यह सम्मान 1968 में मिला।
चयन प्रक्रिया और मानदंड
- एक विशेषज्ञ समिति द्वारा लेखक के समग्र साहित्यिक योगदान का मूल्यांकन किया जाता है।
- पुरस्कार केवल भारतीय नागरिक और जीवित लेखक को ही दिया जाता है।
- विभिन्न भाषाओं के विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर निर्णय लिया जाता है।
पुरस्कार में क्या मिलता है?
- एक प्रशस्ति पत्र
- एक स्मृति चिन्ह
- एक नकद राशि (वर्तमान में ₹11 लाख से अधिक)
ज्ञानपीठ पुरस्कार का महत्व
- यह पुरस्कार भारतीय साहित्य की उच्चतम उपलब्धि मानी जाती है।
- यह हिंदी सहित अन्य भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट लेखन को प्रोत्साहित करता है।
- इसके माध्यम से लेखक को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती है।
निष्कर्ष;
भारतीय साहित्य की समृद्ध परंपरा और विविधता का प्रतीक है ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास। यह पुरस्कार न केवल लेखकों को सम्मानित करता है, बल्कि भारतीय भाषाओं की गरिमा को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करता है।
FAQs: ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास
1. ज्ञानपीठ पुरस्कार क्या है?
उत्तर: भारतीय भाषाओं में उत्कृष्ट साहित्य रचने वाले लेखकों को दिए जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है, इसकी स्थापना 1961 में हुई थी।
2. ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत कब और किसने की थी?
उत्तर: साहू शांति प्रसाद जैन और रामाप्यारी जैन द्वारा 1961 में स्थापित किया गया था भारतीय ज्ञानपीठ संस्था।
3. ज्ञानपीठ पुरस्कार पहली बार किसे मिला था?
उत्तर: वर्ष 1965 में मलयालम कवि जी. शंकर कुरुप को पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था।
4. हिंदी के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कौन थे?
उत्तर: प्रकृति के बेजोड़ कवि सुमित्रानंदन पंत हिंदी के पहले विजेता थे, जिन्हें 1968 में यह सम्मान मिला था।
5. ज्ञानपीठ पुरस्कार में क्या दिया जाता है?
उत्तर: पुरस्कार स्वरूप एक प्रशस्ति पत्र, एक स्मृति चिन्ह और नकद राशि (वर्तमान में ₹11 लाख से अधिक) प्रदान की जाती है।
6. ज्ञानपीठ पुरस्कार किन भाषाओं के लेखकों को दिया जाता है?
उत्तर: यह पुरस्कार भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं जैसे हिंदी, उर्दू, बंगाली, तमिल, मलयालम, कन्नड़, मराठी, ओड़िया आदि में लेखन करने वाले लेखकों को दिया जाता है।
7. क्या ज्ञानपीठ पुरस्कार हर साल दिया जाता है?
उत्तर: हाँ, यह पुरस्कार हर वर्ष दिया जाता है, लेकिन कभी-कभी कुछ वर्षों में दो लेखकों को संयुक्त रूप से भी सम्मानित किया गया है।
ये भी पढ़ें;
• विनोद कुमार शुक्ल को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार
• ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हिन्दी साहित्यकारों की सूची
बाहरी कड़ियां;
आधिकारिक वेबसाइट – भारतीय ज्ञानपीठ