मम्मी-पापा और मेरी उलझन: एक भावुक बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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My Little Confusion: A Child’s Poem on Mom and Dad, Hindi Emotional Children Poems by Dr. Surendra Vikram, Bal Kavita In Hindi.

My Little Confusion

my little confusion poem in hindi

Hindi Parenting Poetry : यह हिंदी बाल कविता एक बच्चे की मासूम नजर से उसके माता-पिता के जीवन, उनके प्यार और दूरियों को दर्शाती है। 'मुझको होती है उलझन' कविता, आज के परिवारों की सच्चाई को भावनात्मक रूप में प्रस्तुत करती है।

A Poem About Family and Feelings

मुझको होती है उलझन 


ठीक दस बजे घर से रोज निकल जाती हैं 

मम्मी मेरी सचमुच लगतीं कितनी भोली। 

अभी-अभी 'आफिस' से आकर बैठ गई हैं 

''चाय पिला दो मम्मी'' यह नानी से बोली - 


बड़े सवेरे उठकर, करतीं घर का सारा काम

हफ्ते में पूरे छह दिन तो 'आफिस' जाती हैं।

थक जातीं सारा दिन 'आफिस' में ही मम्मी 

फिर भी घर पर आकर सबसे प्यार जताती हैं। 


रविवार का दिन पूरा परिवार जोहता है

एक- एक फरमाइश सबकी करतीं हैं पूरी। 

अच्छे खाने के संग अच्छा पढ़ना- लिखना 

मम्मी कहतीं जीवन में है सबको बहुत जरूरी। 


पापा तो बाहर रहते हैं कभी-कभी घर आते हैं 

लेकिन जब भी आते, ढेरों चीजें भर- भर लाते हैं। 

रोज रात को पापा हमको अच्छी-अच्छी बात बताते।

 मम्मी - पापा दोनों में तो पापाजी ज्यादा भाते हैं। 


जल्दी-जल्दी समय बीतता पापा जी का नहीं जवाब

जब तक पापा घर में रहते फैला रहता अपनापन। 

कल मम्मी से बात हुई थी पापा जी के जाने की

सोच- सोचकर सारी बातें मुझको होती है उलझन।।


- डॉ. सुरेन्द्र विक्रम

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