Prabhudayal Shrivastava Hindi Bal Kavita Sangrah Mutti Mein Hain Lal Gulal Ki Kavitayen, Poetry for Childrens, Kids Poems.
Nanhi Bal Kavita In Hindi
Bal Kavita In Hindi : मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता छींक रहे पापा जुकाम से, बालमन की रोचक हिंदी बाल कविता छींक रहे पापा जुकाम से, पढ़िए मजेदार बाल गीत (Nanhi Duniya) और शेयर कीजिए।
Hindi Baal Geet
छींक रहे पापा जुकाम से
शीत लहर में आँगन वाले,
बड़ के पत्ते हुए तर बतर।
चारों तरफ धुंध फैली है,
नहीं कामवाली है आई।
और दूध वाले भैया ने,
नहीं डोर की बैल बजाई।
झाडू पौछा कर मम्मी ने,
साफ कर लिया है खुद ही घर।
दादा-दादी को दीदी ने,
बिना दूध की चाय पिलाई।
कन टोपा और स्वेटर मेरा,
मामी अलमारी से लाई।
मामाजी अब तक सोये हैं,
उनको बस से जाना था घर।
बर्फ कणों वाला यह मौसम,
मुझको तो है बहुत सुहाता।
दौड़ लगा हूँ किसी पार्क में,
ऐसा मेरे मन में आता।
बिना इजाजत पापाजी के,
यह कुछ भी न कर पाता पर।
विद्यालय जा पाएँ कैसे,
यही सोचते बैठे है हम ।
इंतजार है किसी तरह से,
शीत लहर कुछ हो जाये कम।
छींक रहे पापा जुकाम से,
उनको है हल्का-हल्का ज्वर।
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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