Hindi Heart Touching Story Promise on Mother's Day Special Kahani in Hindi, Dr. Nagesh Pandey 'Sanjay' Ki Kahaniyan.
Mother's Day Special Story : Promise
मातृ दिवस विशेष : "मदर्स डे पर डॉ. नागेश पांडेय 'संजय' की लिखी एक दिल छू लेने वाली हिंदी कहानी: मोनू का अपनी मां के लिए खास वादा और प्यार भरा सरप्राइज गिफ्ट। पढ़ें एक बेटे के अनमोल जज़्बात और मां-बेटे के रिश्ते की खूबसूरत दास्तान।"
हिन्दी कहानी मातृ दिवस पर विशेष
प्रॉमिस
'उठो बेटा, मोनू। नहीं तो स्कूल के लिए देर हो जाएगी।' रोज ही जब तक यह रटा-रटाया वाक्य आठ-दस बार मोनू के कानों में नहीं पड़ता, उसकी नींद कहां खुलती है। लेकिन आज न जाने क्या हुआ, मोनू खुद ही उठ गया। उठ ही नहीं गया, बिना कहे सुबह के अपने सारे काम भी निपटाए। मोनू ने अपने कमरे की सफाई की, अपनी स्टडी टेबल साफ की, कॉपी-किताबें बुक शेल्फ में करीने से रखी। अपने कपड़े भी वॉर्डरोब में तहाकर रखे। अपने शूज में पॉलिश की। एक दिन पहले स्कूल के टाइमटेबल के हिसाब से बुक्स और कॉपियां भी बस्ते में रखीं ताकि सुबह हड़बड़ी न रहे। मतलब सारे के सारे काम आज उसने खुद किए।
'क्या हो गया है इसे? यह एकदम इतना बदल कैसे गया?' मन ही मन यह सोचते हुए मम्मी ने टेबल पर नाश्ता लगाया। नाश्ते में मोनू की फेवरेट लौकी की पकौड़ी थी। उसने पहली बार इसे मामा के गांव में खाया था और फिर उसका ऐसा स्वाद चढ़ा कि पनीर की पकौड़ियां भूल गया। लेकिन आज हमेशा की तरह मोनू नाश्ते पर टूट नहीं पड़ा। उसने पहले मम्मी के गले में हाथ डाला। उनके माथे को चूमा फिर बोला, 'मम्मी मुंह खोलो, आ करो..।'
'अरे! मैं अभी थोड़े ही खाऊंगी.. तू खा न।' लेकिन मोनू कहां माना। उसने नाश्ते का पहला कौर मम्मी के मुंह में रख ही दिया और उन्हें प्यार से देखने लगा।
मम्मी भौंचक, 'क्या हुआ है तुझे? मैं सपना देख रही हूं क्या!'
'सपना नहीं, सब सच है मम्मी!' पहले मोनू थोड़ा शर्माया फिर बोला, 'मम्मी, आपको पता है न आज कौन-सा डे है?'
मम्मी तुरंत बोलीं, 'संडे है, और क्या, अच्छा अब समझी। आज स्कूल नहीं जाना है, रेस्ट का दिन है। तभी आज खुद सारा काम कर डाला है।'
'नहीं मम्मी, संडे-वंडे की कोई बात नहीं। आज मदर्स डे है।' मोनू ने चहकते हुए बताया। 'अच्छा.. अच्छा.. अब समझी। कितना अच्छा हो अगर मदर्स डे रोज हो तो...।' मोनू ने मम्मी की बात पूरी न होने दी। उनके मुंह पर हाथ रखते हुए अनमना-सा बोला, 'ओह मम्मी! अब मुझे चिढ़ाओ नहीं। आगे से मैं अपना सारा काम खुद ही करूंगा। मैंने संकल्प ले लिया है।'
'गुड.. वेरी गुड!' मम्मी की खुशी का ठिकाना न था। तब तक अंदर से पापा आ गए। एकदम बोल उठे, '...और इसके पास आपके लिए एक गिफ्ट भी है। इसने मुझसे...।' वह यह बोलते-बोलते रुक गए, जैसे कोई चूक हो गई हो। चूक तो हुई ही थी। उन्होंने मोनू से प्रॉमिस किया था कि मम्मी को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे।
'ओह पापा! आपने सारा सरप्राइज बेकार कर दिया।' मोनू रूठ सा गया।
'सॉरी.. सॉरी.. बेटा...!' पापा को अहसास हो गया था कि गलती हुई। मोनू संयत हुआ, बोला, 'नहीं पापा.. प्लीज। अब सॉरी नहीं बोलिए। मैं भी तो आपकी और मम्मी की बताई कितनी बातें भूल जाता हूं। मुझसे भी तो गलती होती है। मुझे तो अपनी गलती का अहसास भी नहीं होता, क्योंकि मोबाइल गेम में ऐसा खो जाता हूं कि मुझसे क्या करने को कहा गया था, इसका भी होश नहीं रहता।'
पापा हंसने लगे। मम्मी ने भी भावुक होकर मोनू को गले से लगा लिया। दोनों के मुख से एक ही बात निकली, 'अरे वाह। यह तो बड़ा समझदार हो गया है।'
'और मम्मी यह समझदारी मुझे मिली इस कहानी से।' कहते हुए मोनू ने अपने बस्ते से एक पत्रिका निकाली और झट से पन्ने पलट कर उसमें छपी कहानी 'सरप्राइज गिफ्ट' उन्हें दिखा दी।
मम्मी की खुशी का ठिकाना न था, वह बोलीं, 'अरे वाह! जो बातें हम तुझे न समझा सके। वह एक कहानी ने समझा दी। लाओ, यह पत्रिका मुझे दे दो। मैं भी यह कहानी पढूंगी।' 'मम्मी यही नहीं, आप बाकी कहानियां भी पढ़ना और रोज मुझे एक-एक कर सुनाना। आप खूब कहानियां पढ़ा करें। मुझे सुनाया और समझाया करें। मैं खुद पढ़ता हूं तो बहुत से कठिन शब्दों के अर्थ समझ में नहीं आते और मैं कहानी बीच में ही छोड़ देता हूं।' मोनू एक सांस में यह सब कह गया। पापा जल्दी से कमरे के अंदर जाकर बाहर आते हुए बोले, 'अरे, जब इतना सब हो ही गया है तो फिर मोनू का गिफ्ट भी आपको दिखा ही देते हैं। देखो, यह तस्वीर मोनू ने बनाई है, इसे अपनी ही पॉकेट मनी से फ्रेम कराने के लिए मुझसे कहा था।'
मम्मी ने लपक कर वह तस्वीर पापा के हाथों से ले ली। मोनू ने मम्मी का प्यारा-सा चित्र बनाया था। नीचे लिखा था, 'मेरी प्यारी मम्मी, हैप्पी मदर्स डे। अब मैं आगे से आपकी हर बात मानूंगा, प्रॉमिस ।'
मम्मी ने तस्वीर को सीने से लगा लिया और आंखों की गीली हो चुकी कोरों को पोंछने लगीं।
- डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
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