सृजनशील बाल साहित्यकार: सृष्टि पांडेय का परिचय

Dr. Mulla Adam Ali
0

Srishti Pandey: A Creative Voice in Children's Literature

सृष्टि पांडेय समकालीन बाल साहित्य की एक प्रतिभाशाली और समर्पित रचनाकार हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही साहित्य की दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जनपद के खुटार कस्बे में जन्मी सृष्टि जी को साहित्यिक विरासत अपने पिता, प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नागेश पांडेय 'संजय' से प्राप्त हुई। काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से हिंदी में एम.ए. और यूजीसी नेट उत्तीर्ण कर उन्होंने शैक्षिक व साहित्यिक दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की।

बाल साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान अत्यंत उल्लेखनीय है। उनके बाल कविता संग्रह "चुनमुन के गीत" और "राजू भैया बड़े खिलैया" बच्चों के मनोविज्ञान और भाषा के सहज प्रवाह को दर्शाते हैं। उनकी रचनाएँ देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं जैसे बाल वाटिका, बाल वाणी, प्रभात खबर, बाल प्रभा आदि में प्रकाशित होती रही हैं। साथ ही, वे अनेक महत्वपूर्ण बाल साहित्य संकलनों का हिस्सा भी रही हैं। उनकी कुछ रचनाओं का अनुवाद ओड़िया भाषा में भी हुआ है, जो उनके लेखन की व्यापक पहुँच को दर्शाता है।

चित्रांकन में भी उनकी विशेष रुचि है। कई बाल पत्रिकाओं और पुस्तकों के लिए उन्होंने चित्रांकन एवं मुखपृष्ठ डिज़ाइन किए हैं। उन्हें कई प्रतिष्ठित संस्थाओं से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें डॉ. राष्ट्रबंधु स्मृति बाल साहित्यकार सम्मान, प्रताप नारायण मिश्र युवा बाल साहित्य सम्मान, एवं वृंदावन लाल पंड्या स्मृति पुरस्कार शामिल हैं।

राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से भेंट और नमामि गंगे परियोजना में वक्ता के रूप में सहभागिता उनके सार्वजनिक योगदान की प्रेरणादायक मिसाल हैं। सृष्टि पांडेय का रचनात्मक कार्य बाल साहित्य को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने वाला है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी।

सृजनशील बाल साहित्यकार : सृष्टि पांडेय

srishti pandey biography in hindi

संक्षिप्त परिचय

नाम: सृष्टि पांडेय

जन्म: शाहजहांपुर (उ. प्र.) के खुटार कस्बे में ।

माता: श्रीमती समीक्षा पांडेय

पिता : डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'

शिक्षा : काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से एम. ए. (हिंदी), यू.जी.सी. नेट

प्रकाशित पुस्तकें : चुनमुन के गीत, राजू भैया बड़े खिलैया (बाल कविता संग्रह)

पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन : बाल वाटिका, बाल वाणी, देवपुत्र, अपूर्व उड़ान, बाल प्रभा, दैनिक हरिभूमि (बाल भूमि), प्रभात खबर, ट्रिब्यून, हिंदी मिलाप, साहित्य भारती, अपना बचपन, बच्चों का देश, टाबर टोली, उजाला, बाल प्रहरी, बाल किलकारी, बाल साहित्य समीक्षा, अभिनव बालमन, समकालीन स्पंदन, नेशनल दुनियाँ, अंडरलाइन आदि पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।

संकलनों में प्रकाशन : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से प्रकाशित प्रतिनिधि बाल कविता संचयन (सम्पादक : डॉ. दिविक रमेश), एक हजार शिशुगीतों के संकलन 'शिशुगीत सलिला (संपादक : कृष्ण शलभ), 'बन्दर भैया' (सम्पादक: डॉ. सतीशचन्द्र भगत) , बचपन की फुलवारी(सम्पादक :मनोज), तितली तो है कुछ तो चालाक (संपादक : आर.पी. सारस्वत) आदि संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित। कुछ बाल कविताओं का ओड़िया भाषा में अनुवाद ।

चित्रांकन : बाल प्रभा (बाल पत्रिका) में चित्रांकन। कई पुस्तकों में चित्रांकन और मुखपृष्ठ डिजाइन किए। 

पुरस्कार/सम्मान : बाल कल्याण एवं बालसाहित्य शोध केंद्र, भोपाल द्वारा द्वारा डॉ. राष्ट्रबंधु स्मृति बाल साहित्यकार सम्मान (2016), भाऊराव देवरस सेवा न्यास, लखनऊ से प्रताप नारायण मिश्र युवा बाल साहित्य सम्मान, हरप्रसाद पाठक स्मृति पुरस्कार समिति, मथुरा द्वारा वृंदावन लाल पंड्या स्मृति पुरस्कार। भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर द्वारा सम्मान।

विशेष:

  • राष्ट्रपति भवन में 14 नवम्बर, 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणव मुखर्जी जी से भेंट
  • नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा नमामि गंगा परियोजना के अंतर्गत नमो घाट में आयोजित समारोह में विशेष वक्ता के रूप में प्रतिभागिता ।

संपर्क सूत्र : 237, सुभाष नगर, शाहजहाँपुर 242001 (उ.प्र.)

दूरभाष : 09451645033

ई मेल: shrishti.nps@gmai.com

 सृष्टि पांडेय की रचनाएँ

सृष्टि पांडेय द्वारा रचित "पर्यावरण बचाएँ हम" और "सूरज भैया" दो सुंदर, शिक्षाप्रद और मनोहारी बाल कविताएँ हैं। इन कविताओं के माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण, अनुशासन और प्रकृति प्रेम की सीख मिलती है।

srishti pandey poetry in hindi

पर्यावरण बचाएँ हम


पृथ्वी पूरी तरह घिरी है,

भीड़ यहाँ पर बहुत बड़ी है।

वृक्ष काटते लोग यहाँ

और फैक्ट्री बहुत यहाँ।

बढ़ता रोज प्रदूषण है,

जिसमें सिमटा कण-कण है ।

कैसे इसे मिटाएँ हम, 

कैसे अलख जगाएँ हम ?

सपना देखा मैंने कल, 

बड़ी समस्या का है हल । 

पौधे खूब लगाएँ हम,

पर्यावरण बचाएँ हम।

srishti pandey ki bal kavita

सूरज भैया


सूरज भैया यह बतलाओ ,

इतनी गर्मी क्यों बरसाते?

और सर्दियों के दिन मे तो

डरते डरते नभ पर आते?


पेड़ों का भोजन बनवाते, 

सभी ग्रहों को हो चमकाते।

सुबह शाम तुमसे ही होती,

सदा नियम का पाठ पढ़ाते।


क्या मम्मी है तुम्हे जगाती ? 

या ट्रिन ट्रिन कर घड़ी उठाती?

अच्छा सुनो, बताओ तुमको,

क्या ठंडी कुल्फी है भाती?


आइसक्रीम तुम्हें खानी हो,

या पीना हो ठंडा पानी।

तो चुपके से मुझे बताओ,

नानी बहुत बड़ी हैं दानी।


उनसे कहकर जो बोलोगे,

भैया, तुमको भिजवाऊँगी।

लेकिन गर्मी से राहत दो,

खूब तुम्हारे गुण गाऊँगी।


- सृष्टि पांडेय

शोधार्थी (हिंदी विभाग) 
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

ये भी पढ़ें; डॉ. नागेश की कहानियों में नटखट बचपन

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. learn more
Accept !
To Top