चलो कबड्डी खेलें – त्रिलोक सिंह ठकुरेला की प्रेरणादायक बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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प्रेरक बाल कविता: त्रिलोक सिंह ठकुरेला द्वारा रचित “चलो कबड्डी खेलें” एक सुंदर बाल कविता है जो बच्चों में खेल भावना, सहयोग और शारीरिक स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करती है। पढ़िए पूरी कविता और जानिए कबड्डी के अद्भुत लाभ।

Hindi Prerak Bal Kavita

चलो कबड्डी खेलें / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

सोहन, मोहन, धीरज, नीरज, 

चलो कबड्डी खेलें ।

अजय, विजय, राकेश, रामधन,

सबको ही संग ले लें ।। 


आओ, मस्ती में भर खेलें 

हम दो टीम बनाकर ।

प्रतिस्पर्धी को छूकर आयें

पाला छूलें आकर ।


तन मन स्वस्थ-सबल हो जाते, 

हो जातीं दृढ़ हड्डी ।

बिना खर्च आनन्दित करता,

अद्भुत खेल कबड्डी ।। 


हर कोई उत्साहित होता 

कोई जीते, हारे । 

बढ़ता जाता भाईचारा 

मिलकर रहते सारे ।।


- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

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