“Dheere Dheere Gaana Badal” is a gentle Hindi poem for children by Dr. Rakesh Chakra. Through a child’s voice, it requests the clouds to shower gently, avoid storms, and spread love. A perfect poem that blends nature, emotions, and innocence.
Dheere Dheere Gaana Badal
Children's Poem on Nature : डॉ. राकेश चक्र की यह बाल कविता 'धीरे धीरे गाना बादल' उनके संग्रह 'धीरे धीरे गाना बादल' का शीर्षक गीत है। कविता में बादलों से बच्चों की मासूम अपील, ओलों का डर, फसल की उम्मीद और प्रकृति से प्रेम का अद्भुत चित्रण है। स्कूलों व बाल पत्रिकाओं के लिए आदर्श रचना।
Hindi Prakriti Par Komal Bal Geet
धीरे धीरे गाना बादल
धीरे-धीरे गाना बादल,
ओले मत बरसाना बादल,
गुस्सा कभी न लाना बादल,
वर्षा तो कर जाना बादल ।।
ओलों से धरती डरती है,
चींटी 'औ' चिड़िया मरती है।
बूढ़ी माँ का घर कच्चा है,
सिकुड़ी राम-राम करती है।
गर्मी में तुम आना बादल ।।
रवी फसल महकी 'औं' फूली,
सरसों, मूली, धनिया फूली।
नहीं उड़ रही है गोधूली,
चित्रकार की चलती तूली।
सब पर प्यार लुटाना बादल ।।
बच्चों को ओले हैं प्यारे,
खेल करें वे न्यारे-न्यारे।
कैसा सुख है, कैसा दुख है?
समझ न पाएँ बच्चे सारे।
बिजली मत चमकाना बादल ।।
- डॉ. राकेश चक्र
यह कविता बच्चों को संवेदनशीलता, प्रकृति के प्रति करुणा और मौसमी बदलावों की समझ देने में मदद करती है। इसे कक्षा पाठ, बाल वाटिका या बच्चों की काव्य प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया जा सकता है।"
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