A patriotic Hindi poem celebrating the glory of India. Dr. Rakesh Chakr’s work introduces young minds to the history of Bharat and the values of unity and education. A beautiful blend of culture, pride, and national duty.
Hindi Patriotic Poem
"भारतवर्ष हमारा" एक राष्ट्रप्रेम से भरपूर प्रेरणात्मक कविता है, जिसे डॉ. राकेश चक्र ने किशोरों को भारतीय इतिहास, सांस्कृतिक विविधता और देश की रक्षा व एकता के महत्व को समझाने हेतु रचा है। यह रचना राजा दुष्यन्त, शकुंतला और भरत के गौरवशाली प्रसंग से भारत नाम की उत्पत्ति भी सिखाती है। कविता के हर छंद में भाईचारे, शिक्षा और उज्जवल भविष्य का संदेश छिपा है।
राष्ट्रप्रेम से भरपूर प्रेरणात्मक बाल कविता
भारतवर्ष हमारा
अपनी धरती और वतन ये, है प्राणों से प्यारा।
आओ मिलकर नमन करें हम, भारतवर्ष हमारा।।
इसकी गौरव गाथाओं पर, हम सबको अभिमान है।
परहित में बलिदान हो गए, कहता जगत महान है।
रूप-रंग और भाषाओं का, प्यारा हिन्दुस्तान है।
सब पर प्यार लुटाता आया, सब जग में पहचान है।
मर्यादाएँ जीवित रखकर, है सबमें सौरभ भरना,
सभी बढ़ाएँ भाईचारा, घर-घर हो उजियारा।
अपनी धरती और वतन ये, है प्राणों से प्यारा ।।
है भारत कैसे नाम पड़ा, इक इसकी अमर कहानी
थे राजा दुष्यन्त, शकुन्तला थीं उनकी एक रानी,
था ज्येष्ठ पुत्र बलवान भरत, जो महत वीर वरदानी,
किये राष्ट्र हित काम, नहीं था जग में कोई सानी,
उसके ही इस नाम से भारत, है जग में विख्यात हुआ,
हम सब ऐसे काम करेंगे, जिससे दृढ़ हो भाईचारा।
अपनी धरती और वतन ये, है प्राणों से प्यारा ।।
इसकी रक्षा सबको करनी, इसका मान बढ़ाना है
इक माला में पिरो-पिरो कर, गाथा इसकी गाना है
सभी दिशाएँ राग सुनाएँ, ऐसी धुन अपनाना है
हटा उदासी, हर चेहरे की, नव मुस्कान जगाना है
शिक्षा से ही हर घर में ही जग मग हो उजियारा
झण्डा ऊँचा रहे देश का, है आँखों का तारा।
अपनी धरती और वतन ये, है प्राणों से प्यारा ।।
- डॉ. राकेश चक्र
डॉ. राकेश चक्र द्वारा रचित "भारतवर्ष हमारा" केवल एक देशभक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह किशोरों को भारतीय इतिहास, शिक्षा, एकता और देश की महानता को समझाने वाली एक अद्भुत काव्य रचना है। यह कविता सिखाती है कि कैसे व्यक्तिगत कर्तव्यों से मिलकर राष्ट्रीय गरिमा को ऊँचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है।
ये भी पढ़ें; बढ़ता रहूँ मैं पथ पर: भक्ति और आत्मबल से भरी प्रेरणात्मक बाल कविता