बढ़ता रहूँ मैं पथ पर: भक्ति और आत्मबल से भरी प्रेरणात्मक बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
0

A soulful Hindi poem of prayer and perseverance. Dr. Rakesh Chakr inspires youth to seek strength and divinity. A motivating path towards truth, courage, and devotion.

Motivational Poem in Hindi

प्रेरक बाल कविता बढ़ता रहूँ मैं पथ पर

प्रेरक बाल गीत : देश के नौजवान (किशोर काव्य कृति) से "बढ़ता रहूँ मैं पथ पर" एक आध्यात्मिक और भावपूर्ण कविता, जिसमें डॉ. राकेश चक्र ने जीवन में प्रभु से शक्ति, भक्ति, और विवेक की कामना के माध्यम से एक संतुलित और प्रेरक मार्ग की ओर बढ़ने का सुंदर चित्रण किया है। यह कविता किशोरों को सच्चाई, संयम, धैर्य और आत्मविकास की दिशा में अग्रसर रहने की प्रेरणा देती है।

आध्यात्मिक और भावपूर्ण बाल कविता

बढ़ता रहूँ मैं पथ पर


प्रभु ऐसी शक्ति दे दो।

तुम ऐसी भक्ति दे दो।।

चलता रहूँ मैं सत पर,

बढ़ता रहूँ मैं पथ पर।।


नयनों में तू बसा हो

सत प्रेम ही सखा हो

बस ! मैं ही तुझको देखूँ

मन, प्राण में रचा हो

तुम दिव्यता भी दे दो

'औ' भव्यता भी दे दो

चलता रहूँ मैं सत पर

बढ़ता रहूँ मैं पथ पर ।।


तुम सृष्टि के हो माली

अभिराम हो रखवाली

द्वारों पे जो भी आता

जाता न कोई खाली

तुम नव्यता भी दे दो

परिपूर्णता भी दे दो

चलता रहूँ मैं सत पर

बढ़ता रहूँ मैं पथ पर ।।


सन्मार्ग पर चला दो

रस धैर्य का पिला दो

तुम पास आ के मेरे

सुख पुष्प-सा खिला दो

तुम अस्मिता भी दे दो

'औ' सुष्मिता भी दे दो

चलता रहूँ मैं सत पर

बढ़ता रहूँ मैं पथ पर।।


- डॉ. राकेश चक्र

"बढ़ता रहूँ मैं पथ पर" केवल एक कविता नहीं, यह एक जीवन प्रार्थना है — जिसमें आत्मबल, ईश्वर भक्ति और नैतिक मार्ग पर निरंतर चलते रहने की आकांक्षा व्यक्त होती है। यह कविता किशोरों के मन में आस्था, आत्मनिष्ठा और सकारात्मक सोच की नींव रखती है।

ये भी पढ़ें; दिखा गए अपना परचम: देशभक्ति और सद्भावना पर प्रेरणात्मक बाल-कविता

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience, click here.

Accept !
To Top