बिन मौसम बरसात: ऋतु और उल्लास से भरपूर बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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“Bin Mausam Barsaat” is a delightful seasonal Hindi poem for children by Dr. Rakesh Chakra. Celebrating spring rains, green fields, and the warmth of home, it evokes joy and festivity. Perfect for reading in schools and nature-themed programs.

Bin Mausam Barsaat

ऋतु और उल्लास से भरपूर बाल कविता

Poem on Season's : डॉ. राकेश चक्र की कविता 'बिन मौसम बरसात' उनकी बाल काव्य-कृति 'प्रेम के दीप जलाओ' से ली गई है। यह कविता फागुन की मस्ती, बच्चों की चहक, खेतों की हरियाली और घर की रसोई की खुशबू को जीवंत करती है। बच्चों के लिए यह कविता ऋतु-वर्णन और उत्सव का अनोखा अनुभव है।

Dr. Rakesh Chakra Poems in Hindi

बिन मौसम बरसात


देखो फागुन बरस रहा है।

सबका मन अब हरष रहा है।।


आओ 'सोनी', 'साक्षी' आओ।

गीत सभी को आज सुनाओ।

माँ से गर्म पकोड़ी लाओ।

खूब मज़े से सब ही खाओ।

प्रज्ञा वाली चाय पिलाओ,

रोम-रोम ही सरस रहा है।

सबका मन अब हरष रहा है।।


फैली खेतों में हरियाली।

मौल से खिलती डाली-डाली।

कोयल आई है मतवाली।

फूलों की है महक निराली।

सूरज की छिप जाती लाली।

मेघ, अन्न को परस रहा है।

सबका मन अब हरष रहा है।।


धनिया फूली, गोभी फूली।

पीली-प्यारी सरसों झूली।

हर डाली टेसू की फूली।

चलती चित्रकार की तूली।

मेथी, पालक, खाई मूली,

बदरा देखो गरज रहा है।

सबका मन अब हरष रहा है।।


- डॉ. राकेश चक्र

यह कविता बच्चों में ऋतुओं के प्रति संवेदनशीलता, ग्रामीण संस्कृति और घरेलू उत्सव की समझ विकसित करती है। यह स्कूल के पाठ्यक्रम और बाल गोष्ठियों में प्रस्तुत की जा सकती है।

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