देखूँ कण-कण में भगवान: सर्वधर्म समभाव पर एक प्रेरक कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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A spiritual Hindi poem portraying God in every element of nature. Dr. Rakesh Chakr’s work inspires unity across religions. A divine message for teens to see humanity as one family.

Poem Unity And Divinity

देखूँ कण-कण में भगवान आध्यात्मिक बाल-कविता

Spiritual Nursery Rhyme : देश के नौजवान (किशोर काव्य कृति) से किशोरों के लिए आध्यात्मिक बोध कराती कविता "देखूँ कण-कण में भगवान", यह डॉ. राकेश चक्र की एक गूढ़ आध्यात्मिक बाल-कविता है, जो ईश्वर की सर्वव्यापकता और सर्वधर्म समभाव का संदेश देती है। यह कविता बताती है कि भगवान किसी एक रूप, मजहब या आकार में नहीं बल्कि हर जीव, हर तत्व और हर भाव में समाहित हैं। किशोरों के लिए यह कविता जीवन और आस्था को नई दृष्टि से समझने का अवसर है।

आध्यात्मिक बाल-कविता

देखूँ कण-कण में भगवान


देखूँ कण-कण में भगवान ।

वह ही राम और रहमान ।

हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई

सब प्यारी उसकी संतान ।।


वही मन में, ज्ञान है भरता

वही ऊँची, शान है रखता

वह ही, जग का पालन करता

वह ही, झरना बनकर झरता

वह ही, कष्टों को है हरता

वेष वही मानव का धरता

उसके जीव और इन्सान।।


वह ही मीठी नींद सुलाता

वह ही बच्चों में दिख जाता

वह ही सागर में, लहराता

वह ही पवन, बना है गाता

वही चाँद-सूर्य, बन जाता

वह ही सारी सृष्टि चलाता

उसका हम सब कर लें ध्यान।।


- डॉ. राकेश चक्र

यह कविता 'देखूँ कण-कण में भगवान' न सिर्फ एक धार्मिक विचार है, बल्कि मानवीय एकता, सद्भाव और अध्यात्म की ऊँचाई को दर्शाती है। इसमें बताया गया है कि भगवान किसी एक नाम या रूप तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन के हर कण में व्याप्त हैं। यह रचना आज के युवाओं को धार्मिक सहिष्णुता और समर्पण की राह पर चलने की प्रेरणा देती है

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