A beautiful Hindi poem glorifying the land of Uttarakhand. Dr. Rakesh Chakr presents the natural, cultural, and spiritual richness of the Himalayas. A motivational piece for teens to embrace nature, education, and harmony.
Uttarakhand Par Kavita
Poem on Uttarakhand : देश के नौजवान (किशोर काव्य कृति) से "उत्तराखण्ड दुलारा" डॉ. राकेश चक्र की एक अत्यंत प्रेरणात्मक किशोर-कविता है, जो उत्तराखंड की प्राकृतिक शोभा, धार्मिक स्थलों, वन्य जीवन, और सांस्कृतिक धरोहर का मधुर व भावपूर्ण चित्रण करती है। यह कविता युवाओं में पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामूहिक विकास का संदेश देती है। कविता का हर छंद उत्तराखंड को ‘भारत का मस्तक’ कहकर सम्मान देता है।
भारत का मस्तक उत्तराखंड पर विशेष कविता
उत्तराखण्ड दुलारा
प्यारे भारत का है न्यारा, उत्तराखण्ड दुलारा।
मस्तक श्वेत हिमालय का है, भारत का रखवारा ।।
ऊँचे-ऊँचे पर्वत फैले, हैं लगते अद्भुत न्यारे।
वृक्ष लगे हैं बांज-चीड़ के, जीवन यही सँवारे।
गंगा-यमुना की कल-कल से, मन हर्षित सबके वारे।
हैं जंगल फैले दूर-दूर तक, हुए पल्लवित प्यारे।
पूज्य धाम हैं, नवप्रभात है, जन-जन में उजियारा ।।
प्यारे भारत का है न्यारा, उत्तराखण्ड दुलारा ।।
ये पर्वत ही शान हमारी, शुचिता के सरताज हैं।
जल, जीवन के स्रोत ग्लेशियर, बुझा रहे जन प्यास हैं।
जंगल करते स्वच्छ पवन को, इन पर हमको नाज है।
प्यार और उपकार सिखाते, पक्षीगण के साज हैं।
मनमोहक हैं वन्य जीव सब, दृश्य है अद्भुत प्यारा ।।
प्यारे भारत का है न्यारा, उत्तराखण्ड दुलारा ।।
धरती सोना उगल रही है, घाटी अरु मैदानों में।
सभी तरह के अन्न-फलों को, पाते हम मैदानों में।
धाम बद्री-केदारनाथ, गंगा बसती प्राणों में।
शान्ति, एक्य. सत्य भावना, भरती रही जवानों में।
तपोस्थली ऋषियों की ये, पर्वत न्यारा प्यारा-सारा ।।
प्यारे भारत का है न्यारा, उत्तराखण्ड दुलारा ।।
ठोस नींव हम सब डालेंगे, श्रम, विश्वास जगाएँगे।
स्वास्थ्य और शिक्षा हो घर-घर, अब दृढ़ लक्ष्य बनाएँगे।
भू की थाती वन्य जीव सब, मिलकर इन्हें बचाएँगे।
वृक्ष लगाएँ और न काटें, बादल बरसें गाएँगे।
घर-घर में खुशहाली छाए, हो विकास सबका नारा ।।
प्यारे भारत का है न्यारा, उत्तराखण्ड दुलारा ।।
पुष्प बुरांश राज्य का अपना, है दिल को ताजा रखता।
मृग कस्तूरी खुशबू देकर, है जंगल में रस भरता।
खग मुनाल मोहक है प्यारा, जग में कहीं नहीं मिलता।
देवदार और चीड़ यहाँ पर, है श्वासों में सुख भरता।
प्यार लुटाता जन-जन पर ही, आँखों का उजियारा ।।
प्यारे भारत का है न्यारा, उत्तराखण्ड दुलारा ।।
- डॉ. राकेश चक्र
यह कविता केवल उत्तराखंड की सुंदरता का वर्णन नहीं करती, बल्कि यह एक जागरूकता का आह्वान है। यह रचना बच्चों और किशोरों को प्रकृति प्रेम, सांस्कृतिक सम्मान और राष्ट्र निर्माण की दिशा में प्रेरित करती है। ‘उत्तराखण्ड दुलारा’ एक ऐसी कविता है, जो उत्तराखंड को शब्दों के माध्यम से आत्मा में बसाती है।
ये भी पढ़ें; देखूँ कण-कण में भगवान: सर्वधर्म समभाव पर प्रेरक कविता