चाचा चक्र के सचगुल्ले : साक्षरता पर कविता | प्रेरक बाल गीत

Dr. Mulla Adam Ali
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A delightful Hindi poem inspiring children towards literacy. Dr. Rakesh Chakr blends humor and values through ‘Chacha Chakr’s Sachgulle’. A sweet call to make education a joyful journey for every child.

Chacha Chakr’s Sachgulle

चाचा चक्र के साक्षरता पर सचगुल्ले कविता

Prerak Bal Kavita : ‘चाचा चक्र के साक्षरता पर सचगुल्ले’ एक प्रेरणात्मक बाल कविता है, जिसमें डॉ. राकेश चक्र ने साक्षरता के महत्व को सरल, हास्यात्मक और बोधगम्य शैली में प्रस्तुत किया है। यह कविता बच्चों को पढ़ाई के प्रति उत्साहित करती है और समाज में शिक्षा के उजियारे की ओर इशारा करती है। कविता के माध्यम से शिक्षा को ‘माँ’ की तरह बताया गया है जो सबका ध्यान रखती है।

साक्षरता के महत्व पर प्रेरणादायक बाल कविता

चाचा चक्र के साक्षरता पर सचगुल्ले


अनमोल है शिक्षा सदा, पढ़ें-पढ़ायें रोज ।

यही ज्ञान का पुंज है, नई हो रहीं खोज ।।

नई हो रहीं खोज, कि जीवन बदल रहा है।

हुआ अंधेरा दूर, मनुज अब सम्हल रहा है।।

कहे 'चक्र' कविराय, कि बोल लें मीठे बोल ।

जग में जन-जन सब पढ़ें, है शिक्षा अनमोल ।।


साक्षरता हमसे कहे, कर लें अक्षर ज्ञान।

जग में तो ये ही सदा, देती है सम्मान ।।

देती है सम्मान, पढ़ो 'काके' की नानी।

पढ़ने की ना उम्र, कहें सब ज्ञानी-ध्यानी ।।

कहे 'चक्र' कविराय, मिटायें असाक्षरता ।

करलें मन एकाग्र, बढ़ायें हम साक्षरता ।।


शिक्षा से ही ज्ञान है, शिक्षा से ही मान।

है शिक्षा माँ की तरह, रखती सबका ध्यान ।।

रखती सबका ध्यान, पढ़ो मिल-जुलकर भइया।

घर-घर होगी ज्योति, गवेंगी रोज बधाईयां।।

कहे 'चक्र' कविराय, मिटायें सभी अशिक्षा।

शिक्षा से सम्मान, ज्ञान देती है शिक्षा ।।


- डॉ. राकेश चक्र

‘चाचा चक्र’ की यह कविता साक्षरता की मिठास से भरी हुई है। इसमें बच्चों को पढ़ने, स्नेह से बोलने और मिल-जुलकर ज्ञान की ओर बढ़ने की सीख दी गई है। यह रचना शिक्षा के उजियारे और समाज की सामूहिक प्रगति की प्रेरणा देती है। एक सच्चा और सशक्त भारत तभी बनेगा जब हर घर में शिक्षा की ज्योति जलेगी।

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