कौआ और कोयल – बाल कविता में मेहनत और ईमानदारी की सीख

Dr. Mulla Adam Ali
0

"Kaua Aur Koyal" is a thoughtful Hindi poem for children by Prabhudayal Srivastava. Through a witty conversation between a crow and a koel, the poem imparts the value of hard work and honesty over cunning behavior. A perfect blend of humor and life lesson.

Motivational Children's Poem in Hindi

motivational hindi children's poem

बाल साहित्य में जब पशु-पक्षियों के माध्यम से नैतिक शिक्षा दी जाती है, तो वह बच्चों के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव द्वारा रचित यह सुंदर बाल कविता "कौआ और कोयल" सरल शब्दों और रोचक दृश्य-चित्रण के माध्यम से यह संदेश देती है कि चालाकी से छीना गया भोजन कभी भी परिश्रम से कमाए गए अन्न जितना सुखद नहीं होता। यह कविता हास्य के माध्यम से नैतिकता की बात करती है।

प्रेरणादायक बाल कविता

कौआ और कोयल


रखे टोकरी सिर पर कोयल,

इठलाते- इठलाते आई।

कौए के घर की चौखट पर,

"सब्जी ले ले" टेर लगाई।


कौआ बोला नहीं पता क्या?

कितनी ज्यादा है मँहगाई।

सब्जी लेने के लायक अब,

नहीं रहा है तेरा भाई।


ऐसा कहकर कौए जी ने,

आसमान में दौड़ लगाई।

फिर नीचे आकर मुन्ना की,

रोटी झपटी, छीनी खाई।


कौए की हरकत को दुनिया,

वालों ने समझा चतुराई।

छीन-छीन कर खाने में ही,

लोग समझने लगे भलाई।


पर चिड़ियों ने चुग- चुग दाना,

जीवन की सच्चाई बताई।

कड़े परिश्रम की रोटी ही,

होती है सबसे सुखदाई।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

"कौआ और कोयल" एक सहज और प्रभावशाली बाल कविता है जो आज के यथार्थ को भी बच्चों की समझ के अनुसार प्रस्तुत करती है। इस कविता से यह संदेश स्पष्ट होता है कि मेहनत और ईमानदारी से अर्जित की गई वस्तु ही सच्चे आनंद की अनुभूति देती है। बच्चों के नैतिक विकास के लिए यह कविता अत्यंत उपयोगी और आदर्श रचना है — जो पाठशालाओं और बाल पत्रिकाओं में विशेष स्थान पा सकती है।

ये भी पढ़ें; एक देश है, एक वतन है – बच्चों के लिए देशभक्ति कविता

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top