एक देश है, एक वतन है – बच्चों के लिए देशभक्ति कविता

Dr. Mulla Adam Ali
0

"Ek Desh Hai Ek Vatan Hai" is a patriotic Hindi poem for children by Prabhudayal Srivastava. This beautifully written poem inspires unity, harmony, and love for the nation. A perfect read to introduce young minds to the values of togetherness and Indian identity.

Ek Desh Hai Ek Vatan Hai

ek desh hai ek vatan bal kavita

बाल साहित्य में राष्ट्रप्रेम को जागृत करने वाली रचनाएं बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं। मुट्ठी में है लाल गुलाल (बाल कविता संग्रह) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव द्वारा रचित यह देशभक्ति बाल कविता — "एक देश है, एक वतन है" — सरल भाषा में एकता, संगठन और भारतीयता की भावना का संचार करती है। यह कविता न केवल बच्चों को आपसी भेदभाव से ऊपर उठकर सोचने की प्रेरणा देती है, बल्कि उन्हें अपने देश के प्रति उत्तरदायित्व का भी बोध कराती है।

हिंदी देशभक्ति बालगीत

एक देश है एक वतन है


मिले हाथ से हाथ तो मिलकर,

दृढ़ ताकत बन जाते।

बड़े-बड़े दुश्मन तक इसके,

आगे ठहर न पाते।


ईंट से ईंट जुड़ी तो कई,

मंजिल का घर बन जाता।

अंगुली का मुट्ठी बन जाना,

किसे समझ न आता।


मधुमक्खी के झुंड बड़े,

शैतानों को डस लेते।

तिनकों वाली रस्सी से,

शेरों को भी कस देते।


टुकड़ों-टुकड़ों बटे देश पर,

परदेशी क्यों छाए?

इसी फूट के कारण वर्षों,

कब्जा रहे जमाए।


जाति-धर्म वर्गों का बँटना,

रहा देश को घातक ।

मिलकर रहने का फिर भी,

कुछ मोल न समझा अब तक।


रहना होगा हमें देश में,

हिन्दुस्तानी बनकर ।

एक देश है, एक वतन है,

कहो सभी से तनकर।


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

"एक देश है, एक वतन है" जैसी कविताएं नन्हे मन में राष्ट्रप्रेम के बीज बोती हैं। आज के समय में जब सामाजिक विघटन की प्रवृत्तियाँ प्रबल हो रही हैं, ऐसी रचनाएं बाल पाठकों को एकता, सहिष्णुता और देशभक्ति के मार्ग पर अग्रसर करने में सहायक सिद्ध होती हैं। यह कविता न केवल पाठ्यक्रम में उपयोगी है, बल्कि विद्यालयी मंचों, भाषणों और कविता पाठ प्रतियोगिताओं के लिए भी उपयुक्त सामग्री है।

ये भी पढ़ें; खुद सूरज बन जाओ न – बच्चों को प्रेरित करती बाल कविता

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top