The poem “Season of Books” beautifully captures the joy of new beginnings in school life. With colorful books, fresh notebooks, and endless dreams, it celebrates the happiness of learning and the excitement of curiosity.
Kitabon Ka Mausam
किताबों का खिलखिलाता मौसम
यह कविता “किताबों का मौसम” बच्चों की पढ़ाई से जुड़ी मासूम खुशियों और नई शुरुआतों की झलक प्रस्तुत करती है। इसमें किताबों, कॉपियों और रंग-बिरंगे सपनों का ऐसा चित्रण है, जो न सिर्फ विद्यार्थियों की उमंगों को दर्शाता है, बल्कि शिक्षा को एक आनंददायक यात्रा के रूप में सामने लाता है। कवि ने पढ़ाई को बोझ नहीं, बल्कि खिलखिलाहट और ख्वाबों का सुंदर मौसम बताया है।
किताबों का मौसम
लगा खिलखिलाने
किताबों का मौसम।
अहा! खूब प्यारी
रँगीली किताबें।
हैं फूलो के जैसी
सजीली किताबें।
सजा सब के मन मे
गुलाबों का मौसम।
शुरू हो गए दिन
रबर -पेंसिल के।
हँसीं कापियां फिर
किताबों से मिल के।
सजाया किताबों ने
ख्वाबों का मौसम।
नई क्लास में अब
नई हैं उमंगें।
उड़ीं मन के नभ में
हज़ारों पतंगें।
सवालों के दिन हैं
जवाबों का मौसम।।
- डॉ. फहीम अहमद
कविता “किताबों का मौसम” बच्चों की पढ़ाई और नई शुरुआत से जुड़ी उस ताजगी को दर्शाती है, जिसमें किताबें केवल ज्ञान का साधन नहीं बल्कि रंग-बिरंगे सपनों और उमंगों का स्रोत बन जाती हैं। यह रचना शिक्षा के आनंद, मित्रता और जिज्ञासा को मनमोहक शब्दों में पिरोती है और यह संदेश देती है कि सवाल-जवाब की इस यात्रा में ही जीवन के सबसे सुंदर ख्वाब सँवरते हैं।
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