"Mister Girdhone Ji" is a humorous Hindi children’s poem that playfully describes the quirky habits of a chameleon. Through fun verses, it captures its running, pausing, color-changing, and amusing behavior from a child’s perspective.
Mister Girdhone Ji: A Funny Hindi Children’s Poem
बच्चों के लिए फनी बाल कविता
"मिस्टर गिरधोने जी" एक मनोरंजक और हास्यप्रद बाल कविता है, जिसमें गिरगिट जैसे जीव के अजीबो-गरीब स्वभाव और चाल-ढाल को मज़ेदार अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है। कवि ने उसकी दौड़ने, रुकने, सिर हिलाने और रंग बदलने की आदतों को बच्चों की नज़र से बड़े ही रोचक ढंग से चित्रित किया है। यह कविता न केवल बच्चों को हँसी और आनंद देती है, बल्कि जीव-जगत की विशेषताओं से परिचित भी कराती है।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता
मिस्टर गिरधोने जी
ओ मिस्टर गिरधोने जी ।
बिना इजाजत छाना करते,
घर के कोने-कोने जी ।
ओ मिस्टर गिरधोने जी ।
पूँछ उठाकर दौड़ लगाते ।
थोड़ा चलकर फिर रुक जाते ।
सिर मटकाते दाएं -बाएं,
क्या भोजन पर घात लगाते ?
खड़े-खड़े ही क्या शिकार पर,
करते जादू टोने जी ।
तुम गिरगिट भी कहलाते हो ।
रंग बदलू माने जाते हो ।
रंग बदलने में क्यों पीछे,
इंसानों से रह जाते हो ?
इंसानों की तुलना में क्यों,
अब बन जाते बोने जी ।
डायनासोर सरीखे दिखते।
कद काठी में छोटे कद के ।
जंगल पर्वत घूमा करते,
बिना डरे निर्भय बेखटके ।
नहीं पता है कब जगते हो,
कब जाते तुम सोने जी ।
दौड़ लगाकर जब तुम आते।
हम सब बच्चे हैं डर जाते ।
ताली ठोक-ठोक कर या फिर,
हाँक लगाकर तुम्हें भगाते ।
पत्थर कभी मारते हम तो,
क्या लगते तुम रोने जी ?
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
“मिस्टर गिरधोने जी” एक हास्य और मनोरंजन से भरपूर बाल कविता है, जिसमें गिरगिट जैसे जीव की आदतों और विशेषताओं को बच्चों की दृष्टि से मज़ेदार ढंग से चित्रित किया गया है। कवि प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने बड़े ही सरल और चुटीले अंदाज़ में बच्चों को हँसाने के साथ-साथ प्रकृति और जीव-जंतुओं की दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया है। यह कविता न केवल बाल साहित्य की रोचकता को बढ़ाती है, बल्कि बच्चों के मन में जिज्ञासा और कल्पनाशक्ति भी जगाती है।
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