नाच बंदरिया नाच : बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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"Naach Bandariya Naach" by Prabhudayal Srivastava is a playful yet thought-provoking Hindi children’s poem. Through the dance of a monkey, it conveys moral lessons and highlights social issues in a fun way.

Naach Bandariya Naach : Hindi Children’s Poem

नाच बंदरिया नाच बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कविता

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता

मुट्ठी में है लाल गुलाल (121 बाल कविताएँ) से प्रभुदयाल श्रीवास्तव की बाल कविता नाच बंदरिया नाच। यह कविता बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक बुराइयों पर सोचने के लिए प्रेरित करती है। प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने बंदरिया के नृत्य के माध्यम से भ्रष्टाचार, गंदगी और अनुशासनहीनता जैसी समस्याओं पर व्यंग्यपूर्ण ढंग से प्रकाश डाला है।

नाच बंदरिया नाच


छम-छम-छम-छम नाच बंदरिया,

छम-छम-छम-छम नाच।


भीड़ खड़ी है नाच देखने,

कमर ज़रा मटका दे।

पैर पटक ले आगे पीछे,

घुंघरू ज़रा बजा दे।

नहीं हुई है अब तक बोहनी,

कमा रूपये दस पाँच बंदरिया।

छम..


हाथ पेट पर रखकर कह दे,

तू है भूखी प्यासी।

इन रुपयों से मिल जायेगी,

रोटी, पौना-आधी।

कह दे दान पुण्य वालों को,

देती कुदरत साथ बंदरिया।

छम..


बाथ रूम में बतला किसने,

पानी व्यर्थ बहाया।

बता बंदरिया कौन सड़क के,

पेड़ काटकर आया।

खीच-खीच कर बाहर ले आ,

उन लोगों का हाथ बंदरिया।

छम..


बतला किसने आज किये हैं,

नंबर दो के काम।

घूस खाई है जिसने उसका,

पकड़ खींचकर काना

मिला बेहिचक आँख ठीक से,

सबके चेहरे बाँच बंदरिया।

छम..


यह भी बतला सुबह गली में,

कचरा किसने फेंका।

पान तंबाकू खाकर किसने,

बीच सड़क पर थूका।

जिस-जिस ने भी सिग्नल तोडा,

तू डंडे से हाँक बंदरिया ।

छम..


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव की कविता “नाच बंदरिया नाच” केवल बच्चों को आनंदित करने वाली रचना नहीं है, बल्कि यह समाज की गंदी आदतों, भ्रष्टाचार और अनुशासनहीनता पर व्यंग्य भी करती है। घुंघरुओं की छम-छम और बंदरिया के नृत्य के माध्यम से कवि हमें यह संदेश देते हैं कि यदि हम छोटी-छोटी गलतियों से बचें और जिम्मेदार नागरिक बनें, तो समाज अधिक सुंदर और स्वच्छ बन सकता है।

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