“गोलू और गिफ्ट” एक संवेदनशील बाल कहानी है जो बच्चे की मासूम भावनाओं, सच्चे उपहार के अर्थ और सृजनात्मक सोच को सुंदर ढंग से प्रस्तुत करती है। कहानी में गोलू एक फूल से जुड़ी अपनी भावना के माध्यम से यह सिखाता है कि असली गिफ्ट वह होता है जो दिल को छू जाए और सदा के लिए याद रह जाए।
Golu aur Gift : Prerak Bal Kahani
दादा-पोते के प्यार से भरी हृदयस्पर्शी कहानी
गोलू और गिफ्ट
गोलू अपनी मम्मी के साथ ननिहाल आया हुआ था। गोलू को देखकर सब खुश हो रहे थे। क्योंकि गोलू उनके पास दो साल बाद आया था। पहले आया तब से अब बड़ा हो गया था। हर चीज को गौर से देखना, उसके बारे में क्यों, कैसे सवाल करना गोलू की आदत थी।
गोलू के वापस अपने पापा, दादा-दादी के पास जाने का समय आ गया था। उसी दिन उसके मामा एक भारी गमला लेकर आए। उसमें लगे पौधे पर इतना सुंदर फूल खिला हुआ था कि सब उसे देखकर खुश हो रहे थे। गोलू ने भी देखा। उसे तो वह औरों से भी ज्यादा अच्छा लगा। उसने कह दिया - मामा, यह फूल तो मैं ले जाऊंगा आप अपने लिए और ले आना।
उसकी बात सुनकर सब हंस पड़े। गोलू नहीं हंसा। क्योंकि वह गंभीर था। मामा ने भी ले जाने की स्वीकृति दे दी।
उस रात गोलू को मुश्किल से नींद आई। सपने में उसे वही फूल दिखाई दे रहा था तो आंख खुलने पर वह कमरे से बाहर बरामदे में उस फूल को जरूर देखकर आता। नींद की इस गड़बड़ से वह सुबह देर तक सोता रहा। जब वह जागा तो यह देखकर हैरान रह गया कि फूल मुरझा गया है और किसी भी समय टूट कर गिर सकता है। वह रुंआसा हो गया। तभी मामा आ गए। उन्होंने पूछा तो बोला- मैं यह फूल और गमला ले जाना चाहता था। पर फूल तो बचा ही नहीं। मैं क्या ले जाऊंगा? मामा ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा-बेटा, हम तुम्हारे लिए खिलौने कपड़े आदि कई गिफ्ट लाए हैं। वे लेकर जाओगे ही। वे मुरझाते नहीं है। तुम उनसे खुश रहोगे।
गोलू लगभग रोते हुए बोला-खिलौने, कपड़े तो मेरे पास पहले से ही बहुत है। हमारे घर में गमले भी बहुत है। उनमें पौधे भी हैं। पर ऐसा फूल किसी गमले में नहीं है। मुझे तो यही चाहिए।
मामा हंसते हुए बोले- मैं कल ही समझ गया था कि यह तुम्हें बहुत-बहुत पसंद है। पर मैं तुम्हें बताना भूल गया कि यह फूल एक या दो दिन से ज्यादा नहीं खिलता है। फिर यह गमला कितना भारी है। तुम इसे रेल या बस के सात आठ घंटे के सफर में नहीं ले जा सकते।
पर इन बातों का गोलू पर कोई असर नहीं हुआ। वह रोता ही रहा तो मामा हंसते हुए बोले- यदि तुम रोना बंद कर हंसना शुरू करो तो मैं बताऊंगा कि ऐसा ही फूल कल तुम्हारे घर में होगा।
कैसे?
यही तो बताना है। पहले हंसो। गोलू हंसे इससे पहले ही घर में कई बच्चे आ गए। बात आगे नहीं बढ़ी। मामा को कहीं जाना जरूरी हो गया। इसलिए जाते-जाते कह गए कि तुम फिक्र मत करो। घर पहुंचते ही तुम्हें ऐसा ही गमला, पौधा और खिला हुआ फूल मिलेगा।
वाह, मामा ने सच बोला था। मेरे घर में, मेरे सामने वैसा ही गमला, पौधा और खिला हुआ फूल है- यही निकला था गोलू के मुंह से, जब वह घर पहुंचा।
बाद में दादा ने बताया- तुम्हारे मामा समझ गए थे कि तुम्हें यह फूल कितना पसंद आया है। उन्हें पता था कि रात में यह फूल मुरझा जायेगा। इसलिए उन्होंने मोबाइल से फूल के कई फोटो लिए, पौधे और गमले के भी। उन्होंने वे सारे फोटो मुझे भेज दिए और बता भी दिया कि गोलू को यह सब बहुत पसंद है। आप इसका इंतजाम करें। मैं नर्सरी वाले के पास गया। उसे ये फोटो दिखाए तो उसने मेरे लिए गमले, पौधे का इंतजाम कर दिया। यह बता दिया कि आज इस पर फूल खिलेगा। वह रात में किसी समय मुरझा जायेगा। इसलिए अब तुम दिन में इसे अच्छी तरह से देख लो, निहार लो। कल यह फूल नहीं दिखेगा। हां, इस जैसा नया फूल खिल सकता है।
वह गोलू था। उसने आज ही फूल को सुरक्षित करने का मन बना लिया।
कैसे?
ऐसे कि वह ड्राइंग शीट लाया और लाया रंग-बिरंगे स्केच पेन। अपने उस प्यारे फूल का चित्र बनाने पर जुट गया।
चित्र बन गया। एकदम वैसा ही, जैसा खिला हुआ फूल था। अपने बनाए चित्र को देखकर वह खुश हो गया।
फूल का चित्र लेकर वह दादा को दिखाने गया। उसने फूल की पेंटिंग को अपने पीछे छुपा कर पूछा-दादा जी, बताइए आपको दिखाने के लिए मैं क्या लाया हूं?
दादा ने बता दिया तो गोलू को हैरानी हुई। पूछा-आपको कैसे पता चला ?
जब तुम बना रहे थे तब मैं तुम्हारे पीछे खड़ा था। तुम फूल का चित्र बनाने में इतने मग्न थे कि तुम्हें पता ही नहीं चला।
वाह, आप मेरे पीछे क्यों खड़े हुए?
क्योंकि गोलू मेरा दोस्त है। अब तीनों ही हंस रहे थे- गोलू, गोलू के दोस्त दादाजी और गोलू का बनाया फूल का चित्र भी।
दादाजी बोले-वैसे आज मैं तुम्हें कुछ और कहने वाला था। पर तुमने मुझसे वही कहवा लिया जो रोज कहता हूं।
आप क्या कहना चाहते थे?
दादा ने कहा- तुम्हारी ड्राइंग देखकर कहना चाहता कि मेरा गोलू मेरे लिए गिफ्ट है।
हां दादू, यह गमला और फूल आपसे मुझे मिला गिफ्ट... तो यह ड्राइंग मेरी ओर से आपको।
वैसे दोनों दोस्त सदा की तरह एक दूसरे के गले मिल रहे थे।
- गोविंद शर्मा
निष्कर्ष: कहानी “गोलू और गिफ्ट” यह सिखाती है कि उपहार की असली कीमत उसकी वस्तु में नहीं, बल्कि भावना में होती है। गोलू ने यह समझ लिया कि सच्चा गिफ्ट वही है जो हमें खुश करे और जिसे हम अपने मन से सृजन करें। Golu and Gift Hindi Motivational Children's Story by Govind Sharma.
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