गोलू मस्त मोलू: कामचोरी की सच्ची सीख देने वाली मज़ेदार कहानी

Dr. Mulla Adam Ali
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‘गोलू मस्त मोलू’ एक मज़ेदार और सीख से भरपूर बाल कहानी है, जो बच्चों को काम और मदद के असली अर्थ को समझाती है। यह कहानी सिखाती है कि किसी का काम करना चोरी नहीं, बल्कि सहायता कहलाती है। हास्य के साथ नैतिक संदेश देने वाली यह कहानी बच्चों के मन को छू जाती है।

Golu Mast Molu: A Funny Story with a Moral Lesson 

गोलू मस्त मोलू हिंदी नैतिक बाल कहानी

बाल साहित्यकार श्री गोविंद शर्मा जी का नवीनतम बालकथा संग्रह गोलू मेरा दोस्त से बच्चों के लिए नैतिक कहानी।

काम और मदद की समझ सिखाने वाली कहानी

गोलू मस्त मोलू

आज घर में गोलू ने अपने पड़ोसी मोलू को ऐसी बात कह दी, जिसे सुनकर पहले तो उसे गुस्सा आया। फिर वह रोने लगा। सबको रोते-रोते ही बताया कि गोलू ने उसे क्या कह दिया।

मोलू ने गोलू के मम्मी पापा को भी बताया। उन्हें भी यह बुरा लगा। घर के सब सदस्यों के सामने गोलू से पूछा गया-क्या तुमने आज मोलू को चोर कहा है?

हां, कहा है। क्योंकि यह चोर है।

क्या चुराया है तुम्हारा इसने? पेन, पेंसिल किताब.....।

नहीं, इनमें से इसने कोई चीज नहीं चुराई। यह सब तो इसको मांगने पर दे देता हूं। इसने जो चुराया, उसे चुराने वाले को हमारे सर भी चोर कहते हैं।

कुछ हमें भी पता चले कि उसने तुम्हारा क्या चुराया है?

इसने मेरा काम चुराया है।

क्या काम? तुम किसी फैक्ट्री, दुकान या दफ्तर में तो काम करते नहीं, जो तुम्हें वहां से हटवा कर खुद काम करने लगे।

नहीं, इसने.....

ओह तो, इसने तुम्हारा होमवर्क चुरा लिया और अपने नाम से स्कूल में दिखा दिया।

नहीं, यह भी नहीं। आप मुझे बोलने देंगे, तभी तो बताऊंगा न।

अरे भाई, तुम्हें बुलवाने के लिये ही हम इतनी देर से बोल रहे हैं। बताओ, जल्दी बताओ।

आज ही मैं बाहर बरामदे में बैठा अपना होमवर्क कर रहा था। तब मैंने वहां अपनी दो-तीन पेंसिल छीली थी। उनके छिलके फर्श पर गिरे थे। मैंने कुछ नोटबुक के कवर भी बदले थे। पुराने कवर वही फर्श पर गिरा दिए थे। कुछ दूसरे कागज भी फाड़ कर गिराए थे। सोचा था, सारा काम करने के बाद इन्हें साफ करूंगा। इतने में पिछले दरवाजे से एक दोस्त ने आवाज दी तो मैं वहां चला गया। मेरे पीछे से यह मोलू किसी काम से अपने घर आया। बरामदे के फर्श पर मेरे द्वारा बिखेरा गया कूड़ा देखा इसने। इसने उस सारे कूड़े को साफ किया और डस्टबिन में डालने चला। मैं वापस आया और इसे देखा तो मैंने इसे रोकना चाहा, पर इसने मेरी आवाज को अनसुना किया और मुझे अनदेखा किया और वह कचरा डस्टबिन में डाल आया।

तो इसमें चोरी क्या हुई? इसे चोर कैसे कह सकते हैं?

कल ही हमें सर ने बताया कि कामचोर होना बहुत ही गलत है। मैं इसको चोर इसलिए कहता हूं कि कूड़ा साफ करना, डस्टबिन में डालना मेरा काम था इसने मेरा वह काम चुराया था।

उसकी बात सुनकर एक बार तो सब चुप हो गए। फिर सबकी हंसी छूट गई।

पापा बोले-बेटा, कामचोर से सर का मतलब यह नहीं था कि

किसी का काम चुरा लेना। कामचोर उसे कहते हैं जो काम करने से जी चुराता है। दूसरे का काम, यदि जरूरी हो तो, करने को मदद करना, सहायता या हेल्प करना कहते हैं। इसने तो तुम्हारी सहायता की है। इसे चोर नहीं कह सकते।

कुछ ही देर में गोलू बात समझ गया। उसने मोलू से सॉरी बोला और जेब से निकाल कर दो टोफियां उसे पकड़ा दी। मोलू भी खुश हो गया। क्यों न हो? वह भी तो गोलू की तरह मस्तमोलू है।

- गोविंद शर्मा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी की मदद करना गलत नहीं, बल्कि एक अच्छी आदत है। काम से भागना बुरा है, लेकिन दूसरों की सहायता करना सच्ची इंसानियत है।

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