गोलू की नींद – एक प्रेरक बाल कहानी | करुणा और पशु प्रेम की सीख

Dr. Mulla Adam Ali
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"गोलू की नींद" एक संवेदनशील और हृदयस्पर्शी बाल कहानी है, जो दया, करुणा और पशु प्रेम का सुंदर संदेश देती है। कहानी का नायक गोलू एक छोटी-सी उम्र में यह समझ जाता है कि इंसानियत सिर्फ इंसानों के लिए नहीं, बल्कि हर जीव-जंतु के लिए होती है। बरसात की एक रात में गोलू का संवेदनशील हृदय जब एक असहाय कुतिया और उसके पिल्लों के प्रति जागता है, तो यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची नींद वही है, जो किसी की मदद करने के बाद आती है।

Golu Ki Neendh : Bal Kahani

golu ki neendh story in hindi

एक दिल छू लेने वाली हिंदी बाल कहानी

गोलू की नींद

आधी रात बीत रही थी। गोलू को नींद नहीं आ रही थी। बाहर से आने वाली आवाजें उसे चौंका रही थी। बाहर से दो ही किस्म की आवाज़ आ रही थी-एक तो बरसात होने की, दूसरी बादलों के गरजने की। नहीं, वह इनसे डर नहीं रहा था। उसे डर कहो या चिंता एक और ही था।

उसकी गली में एक कुतिया है। काले रंग की होने के कारण सब उसे 'कोयल' कहते हैं। अभी कुछ दिन पहले उसने तीन पिल्लों को जन्म दिया था। गली में ही एक कोने में उसकी घूरी या घर बना हुआ था।

एक दिन उसके पिल्लों को देखने के लिए उसकी घूरी की तरफ गया था। घूरी की तरफ उसे जाते हुए देख, कोयल उस पर भोंकने लगी थी, ऐसा लगा जैसे वह उसको काट खायेगी।

गोलू वहां से भाग गया। उसे बड़ा गुस्सा आ रहा था। इस कोयल को मैं कभी बिस्किट देता हूं तो कभी रोटी। कई बार दूध भी दे देता हूं। यह मुझ पर भौंकने, मुझे काटने को तैयार हो गई? दिल में आता है, एक बड़ा पत्थर उस पर फेंक कर मारता हूं। नहीं-नहीं, ऐसा नहीं करूंगा। पत्थर से पिल्लों को चोट लग गई तो? कोयल भौंकी तो इसमें पिल्लों का क्या दोष?

उसने घर जाकर मम्मी को यह सब बताया तो उसकी मम्मी ने उसे समझाया- इसमें कोयल का कोई दोष नहीं है। कोई भी पशु हो, विशेषतः कुत्ते-बिल्ली, यदि कोई उनके नवजात बच्चों की तरफ जाता है, तो वह गुर्राते ही हैं। वह नहीं चाहते कि कोई उनके छोटे-छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचाए।

पर गोलू कोयल से गुस्सा ही रहा। अब उसे नींद न आने का कारण भी कोयल ही थी। जब भी बरसात होती है, गोलू की गली में पानी भर जाता है। वह धीरे-धीरे कई देर में निकलता है। गली के पानी से गोलू को यह परेशानी नहीं थी कि पानी उसके घर में आ जाएगा। उसे परेशानी थी पानी कोयल की घूरी में चला गया तो उसके छोटे-छोटे पिल्ले डूब जाएंगे। उन्हें कैसे बचाया जाए?

काफी देर तक वह इस पर सोचता रहा। जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो वह अपने पापा के पास गया। पापा सो रहे थे। पर गोलू के आने की आहट से वे जाग गये। क्या बात है बेटे?

पापा, मुझे नींद नहीं आ रही है।

क्यों? क्या बरसात से या मेघ गर्जन से डर लग रहा है?

नहीं, पापा.....

तो कल की चिंता सता रही है?

नहीं पापा, कल की नहीं, आज की अभी की। पापा, आपको पता ही है कि बरसात में अपनी गली में कितना पानी भर जाता है। कुछ घर, जिनके फर्श नीचे हैं, उन घरों में भी पानी घुस जाता है।

तुम क्यों फिक्र कर रहे हो। अपना घर तो ऊंचा बना हुआ है।

हां, पापा, पर उस कोयल का नहीं।

किस कोयल का? अपनी गली में तो कोई कोयल नहीं रहती है।

रहती है पापा। यह उस कुतिया का नाम है, जो वर्षों से अपनी गली में रह रही है। गली में ही एक कोने में उसकी घूरी है। उसमें वह रहती है। उसके साथ रहते हैं उसके छोटे-छोटे तीन पिल्ले। तीनों पिल्ले इतने छोटे हैं कि अपने आप चलकर कहीं जा नहीं सकते। यदि गली में भरने वाला पानी उनकी घूरी में चला गया तो वे पिल्ले डूब भी सकते हैं।

अब पापा की समझ में सारी बात आ गई। बोले-चलो, उनको बचाने का कोई उपाय करते हैं।

पापा और गोलू पानी में छप-छप करते चले। कोयल की घूरी के पास पहुंचे तो देखा कोयल सहायता के लिए चिल्ला रही है। उसकी घूरी के तीन तरफ पानी ही पानी है, जो किसी भी समय घूरी में जा सकता था।

पापा ने दो और गोलू ने एक पिल्ला उठा लिया। अब कोयल जरा भी नहीं भौंकी, बल्कि पूंछ हिलाने लगी।

तीनों पिल्लों को लेकर वे घर आए। कोयल तो उनके पीछे पीछे आई ही। गोलू के घर के पीछे एक खाली जगह पर लकड़ी की पुरानी पेटी रखी हुई थी। उसमें एक पुराना कपड़ा बिछाया और उन पर पिल्लों को सुला दिया। कोयल अपने आप उन पिल्लों के पास बैठ गई।

गोलू ने देखा, अब पिल्ले सुरक्षित है। उसने एक बड़ी सी उबासी ली और बोला-पापा, मुझे तो नींद आ रही है। इनको दूध-बिस्किट आप ही दे देना। इतना कह कर व सोने जाने लगा तो पापा को हंसी आ गई।

- गोविंद शर्मा

"गोलू की नींद" हमें यह सिखाती है कि सच्ची खुशी और शांति दूसरों की मदद करने से मिलती है। गोलू की तरह जब हम किसी असहाय जीव के दर्द को समझते हैं और उसके लिए कुछ करते हैं, तभी इंसानियत का असली अर्थ पूरा होता है। Golu Ki Neendh Hindi Kahani by Govind Sharma.

ये भी पढ़ें; बाल कहानी – गोलू और गिफ्ट: सच्चे उपहार की पहचान

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