बिहारीलाल के दोहे : जब जब वै सुधि कीजियै तब तब सब सुधि जाँहि

Dr. Mulla Adam Ali
0

बिहारीलाल के दोहे : जब-जब वै सुधि कीजियै, तब-तब सब सुधि जाँहि - Bihari Lal Ke Dohe with Meaning

Bihari Lal Ke Dohe with Meaning : बिहारीलाल के दोहे अर्थ सहित

जब-जब वै सुधि कीजियै, तब-तब सब सुधि जाँहि।

आँखिनु आँखि लगी रहैं, आँखें लागति नाहि॥

Jab-Jab Vai Sudhi Kijiye, Tab-Tab sab Sudhi Jaahin.

Ankhinu Ankhi lagi rahin, Aankhe laagati Naahi..

भावार्थ: बिहारी लाल भाग 51 "बिहारी सतसई" के इस दोहे में कहते हैं कि नायिका अपनी सखी से कहती जब भी अपनी प्रियतम को याद करती है तो तब अपनी चेतना (सुधि) खो जाती हूं। मेरी आंखों के ध्यान उनकी आंखों से लगी रहती है। इस तरह मुझे नींद भी नहीं आती। बेचैन होकर पूरी रात यूंही काट देते हैं।

ये भी पढ़ें; महाकवि बिहारी के दोहे : बंधु भए का दीन के, को तार्यौ रघुराइ

बिहारी के प्रसिद्ध दोहे, रीति काल के प्रमुख हिंदी कवि बिहारी लाल के दोहे हिंदी अर्थ सहित, Bihari Satasai Poem by Bihari Lal, हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि बिहारीलाल चौबे या बिहारी के दोहे हिंदी में, बिहारी सतसई के दोहे, बिहारी के नीति के दोहे, बिहारी के दोहे का अर्थ, जब-जब वै सुधि कीजियै, बिहारी के दोहे की व्याख्या, बिहारी के दोहे गागर में सागर, बिहारीलाल के नीति के दोहे, बिहारी के दोहे की विशेषता, बिहारी लाल के दोहे, बिहारीलाल के दोहे, बिहारी के दोहे class 8, बिहारी के दोहे class 10, बिहारी के दोहे class 11, Bihari Lal Ke Niti Ke Dohe, Bihari Lal Ke Dohe, Bihari Ke Dohe, Niti Dohe, Dohe in Hindi, Jab-Jab Vai Sudhi Kijiye, Hindi Dohe, Bihari ke niti ke dohe, bihari ke bhakti dohe, बिहारी के दोहे क्लास 8, भक्ति दोहे हिंदी में अर्थ सहित।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top