Hindi Poetry Ritu Verma : हर पल न जाने क्यों? कुछ खोने का डर सता रहा

Dr. Mulla Adam Ali
0

Ritu Verma Poetry : Har Pal Na Jane Kyu

कविता कोश में आज आपके लिए रितु वर्मा की कविता "हर पल न जाने क्यों?" पढ़े और शेयर करें।

हर पल न जाने क्यों?

हर पल न जाने क्यों?

कुछ खोने का डर सता रहा।

कभी खुद को खोने का डर सता रहा 

तो कभी अपने भावनाओं के खोने का डर सता रहा।

कभी ऐसा लगता मानों आने वाले पल में क्या खो दु ?

उस बात का डर सता रहा ।

हर पल न जानें क्यों ?

कुछ खोने का डर सता रहा।

कभी अपने उम्मीदों को खोने का डर सता रहा ।

तो कभी अपने जीवन में आने वाले कल की डर सता रहा ।

तो कभी चलते रास्तों में लोगों की बातों का स्वर जब कानों में गूँजती है,

तब उनकी आवाजों का डर सता रहा।

और न जाने क्यों जैसे ही मैं दो कदम आगे की ओर अपने जीवन में आगे बढ़ाती हूं तब अतीत की कुछ यादें

पीछे की ओर जबरदस्ती मेरे हाथों को थाम पीछे की और जब खींचती है, तब न जानें क्यों 

मेरे भविष्य के खोने का डर सता रहा। 

हर पल न जानें क्यों ?

कुछ इस तरह मुझे 

कुछ खोने का डर सता रहा। 

- रितु वर्मा

दिल्ली (छत्तरपुर)

ये भी पढ़ें; Kitab Mahal Poetry By Stuti Rai : किताब महल

Hindi Poetry, Ritu Verma Hindi Poetry, Kavita Kosh, Hindi Kavita, Best Poetry in Hindi, Na Jane Kyu Poetry, Kuch Khone Ka Dar Kavita, Hindi Kavitayein...

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top