विनम्रता ही मनुष्य के व्यक्तित्व का आभूषण : विनम्र बनो और खुशियां पाओ | विनम्रता का क्या अर्थ है

Dr. Mulla Adam Ali
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Vinamr Bano : उन्नति चाहो तो विनम्र बनो : हिंदी अनमोल विचार : Anmol Gyan

विनम्रता ही मनुष्य के व्यक्तित्व का आभूषण

विनम्रता ही मनुष्य के व्यक्तित्व का आभूषण : विनम्र बनो और खुशियां पाओ - विनम्रता का क्या अर्थ है और कैसे विनम्र बनें

मनुष्य ने अपने गुणों के कारण अपना अलग अस्तित्व बना लिया है और अपना विकास कर लिया है। दूसरों में खुशियाँ बाँटने और स्वयं खुश रहने के लिए विनम्रता जैसे सद्गुण को अपनाना आवश्यक है। क्योंकि विनम्र व्यक्ति सबका प्रिय होता है और जिन लोगों में यह गुण नहीं होता, उसे पड़ोसी एवं समाज हीनता की दृष्टि से देखते हैं। भारतीय संस्कृति में विनम्रता का गुणगान किया गया है। विदुर नीति एवं चाणक्य नीति इसके उदाहरण हैं। यदि मनुष्य विनम्र न हो तो उसकी विद्वत्ता या सज्जनता कोई मायने नहीं रखती है। विनम्रता क्रोध, उत्तेजना एवं द्वेष का शमन करती है। इसी कारण विनम्र व्यक्ति समाज में सम्मान पाता है। आपने समाज में देखा होगा कि कुछ लोग बड़ी अकड़ के साथ पेश आते हैं। वे घमंडी एवं अभिमानी होते हैं। ऐसे लोगों को समाज तिरस्कृत करता है। इसीलिए विनम्रता को अपनाइए और समाज द्वारा प्रशंसा एवं सम्मान प्राप्त कीजिए। अपने से बड़ों का सम्मान करिए और उन्हें अभिवादन कीजिए। बदले में आपको भी आदर प्राप्त होगा और समाज में आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। विनम्र बनने के लिए किसी साधन या सिद्धि की आवश्यकता नहीं है। आप बड़ी सरलता से अपने आप को इस व्यवहार में ढाल सकते हैं। यदि आप विद्वान, धनी एवं सुन्दर होने के साथ विनम्र भी हैं तो सोने पे सुहागा और आप अधिक लोकप्रिय हो सकते हैं। वैसे यदि सुन्दर व्यक्ति कठोर वचनों का प्रयोग करे तो लोगों में वह अप्रिय होता है, इसके उलटे यदि व्यक्ति कुरूप होकर भी विनम्र हो तो लोगों में वह प्रिय होता है और लोग उसका आदर सम्मान करते हैं।

विनम्रता का अभाव आदमी को अभिमानी बना देता है। कुछ लोग अपने धन एवं शरीर पर ज्यादा अभिमान करते हैं। महिलाओं में यह दोष विशेष रूप से पाया जाता है। कुछ बन जाने पर उनमें घमंड आ जाता है। वह सबके साथ बड़ी अकड़ से बातें करने लगती हैं। कुछ साधारण लोगों के घर में तो बंगला, गाड़ी, फ्रीज, टीवी एवं वॉशिंग मशीन आने से ही ऐंठ आ जाती है। व दूसरों को हेय समझने लगते हैं और दूसरों से अकड़कर बातें करते हैं। ऐसे लोगों की पड़ोसी भी निन्दा करते हैं। परंतु विनम्र व्यक्ति सबके प्रशंसा का पात्र बन जाता है। लोग विनम्र व्यक्ति से अपार स्नेह करते हैं और कहते हैं "कितना भला आदमी है"। यही प्रशंसा आपके लिए मूल्यवान होगी और आपको सुख-शांति, यश एवं लाभ प्रदान करेगी।

दुकान चलानेवाले व्यापारियों को इस बात का खासकर ध्यान रखना चाहिए कि उनकी दुकान में काम करनेवाले कामगारों का व्यवहार विनम्र हो। वर्ना उनको अच्छे ग्राहकों से हाथ धोना पड़ेगा। नौकरीपेशा लोगों को भी विनम्रता लोकप्रिय बनाती है। यदि वे अपने अधिकारियों एवं सहकर्मियों के साथ विनम्रता का व्यवहार करते हैं तो वे पदोन्नति पा सकते हैं। अभिमान या ऐंठ आपको लोगों का दुश्मन बना देंगे। लोग आपके विरुद्ध हो जायेंगे और इससे आपको अपने कार्यों में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। परंतु विनम्र व्यवहार से आप सबका विश्वास प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप चपरासी से भी विनम्रतापूर्वक व्यवहार करते हैं तो आपकी लोकप्रियता में चार चाँद लग जायेंगे। यदि घरेलू नौकरों के साथ आप विनम्रता का व्यवहार करेंगे तो वे भी आपके साथ वफादारी निभायेंगे, वर्ना वे आपको नुकसान पहुँचायेंगे।

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विनम्रता मनुष्य का सबसे बड़ा गुण माना गया है। संसार के सभी महापुरुषों में यह गुण देखने को मिला है। विनम्र व्यवहार के कारण उन्होंने ख्याति प्राप्त की और वे सफल रहे। विनम्रता का अर्थ नम्रतापूर्वक सिर झुकाकर बात करना, धीमे स्वर में बोलना, स्वर में मिठास घोलना ही नहीं है बल्कि आचरण भी उसी प्रकार का करना चाहिए। जिस कार्य को आप विनम्रता से सफलतापूर्वक कर सकते हैं, उसी कार्य को आप अकडबाज़ से नहीं कर सकते। व्यक्ति विनम्र बनने से उसका पतन नहीं होता है। क्योंकि अहंकारी मनुष्य सदा विनाश को प्राप्त हुआ है। विनम्र व सुशील पत्नी अपने पति का प्रिय बनती है परंतु यदि पत्नी सुंदर हो पर कर्कशा हो तो वह पति की घृणा का पात्र बन जाती है। यही बात पतियों के लिए भी लागू होती है। "महाभारत" में पांडवों ने विनम्रता पूर्वक पाँच गाँव मांगे थे परंतु वह न मिलने पर युद्ध हुआ और पांडवों की विजय हुई। विनम्र व्यक्ति का साथ लोग तब भी देते हैं, जब उसके साथ कोई अन्याय हुआ हो या दुर्व्यवहार हुआ हो। ऐसे समय सब लोग विनम्र व्यक्ति का पक्ष लेने के लिए तैयार रहते हैं।

घर, परिवार, समाज एवं पड़ोस में विनम्रता से कार्य ले जिससे आपको सहयोग प्राप्त होगा और सहयोग में बड़ा बल होता है। सहयोग के बल पर ही मनुष्य अपने क्षेत्र में प्रगति कर सकता है। कहीं-कहीं देखा जाता है कि पुत्र विनम्र न हो परंतु उसके माता-पिता विनम्र हो या उलटा कहीं पर माता- पिता विनम्र न हो परंतु पुत्र-पुत्री विनम्र दिखाई देते हैं। वास्तव में देखने में आता है कि अहंकार के कारण ही मनुष्य की विनम्रता मर जाती है। इसीलिए यदि आपको पुरस्कार मिले, अनायास ही कोई सफलता मिले या आप अपने परिश्रम के द्वारा सफलता हासिल करके समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त करते हैं तब भी मन में अहंकार की भावना न आने दें। इससे आपमें विनम्रता की भावना बनी रहेगी और आपके सम्मान में वृद्धि होगी।

विनम्रता का अर्थ कायरता नहीं है। कुछ गर्म खून के नौजवान सोचते हैं कि 'हम क्या किसी का खाते हैं फिर सिर झुकाकर बातें क्यों करें ? हम सिर झुकाकर बातें करेंगे तो लोग हमें डरपोक समझेंगे।' कुछ मतलबी लोग अपना काम निकालने के लिए दूसरों के संग विनम्रता का व्यवहार करते हैं और अपना काम खत्म होते ही आँखें दिखाने लगते हैं। किसी को विनम्रता से शिकायत करना उचित है क्योंकि झगड़कर मानसिक एवं नाना प्रकार की परेशानियाँ उत्पन्न करना भली बात नहीं है। इससे बात का बतंगड़ बन जाता है।

विनम्र व्यक्ति हर कार्य में सफल होता है। वह प्रत्येक बाधा या संकट को पार कर जाता है। उसकी अपनी प्रतिष्ठा होती है। इसीलिए घर, दफ्तर, नोकरी, व्यापार या परिचितों के बीच- सब साथ विनम्रता का व्यवहार करें। बदले में आपका आदर मिलेगा। विनम्रता ईश्वर प्रदत्त गुण हैं।

- स्मिता पाटिल

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