मैं हिन्दी हूँ | Main Hindi Hoon Kavita | Poem on Hindi Day

Dr. Mulla Adam Ali
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Main Hindi Hoon Kavita : Poem on Hindi

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Poem on Hindi Diwas : राष्ट्रीय हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस पर विशेष कविता कोश में प्रस्तुत है हिंदी भाषा पर बेहतरीन कविता "मैं हिंदी हूं", पढ़े और शेयर करें। Main Hindi Hu Poem on World Hindi Day, National Hindi Day Kavita Main Hindi Hun.. अपनों की भाषा हिंदी पर कविता, सपनों की भाषा हिंदी पर कविता।

मैं हिन्दी हूँ

अंग्रेजों की भाषा से पददलित

मुख्मलीन दीनहीन

अभागिन उपेक्षित

अपने नालायक कपूतों द्वारा

अपने घर में परायी 

राष्ट्रभाषा हूँ

मैं हिन्दी हूँ।


सदियों से विछाये जाल में

उलझे हैं उनके मानसपुत्र

बेड़ियाँ पहनाये मेरे हाथों में

गर्वित हैं सत्ता के जादूगर

काले अंग्रेज।

महारानी विलायती अंग्रेजी है

और मैं दासी बनी सिसकती हूँ

संसद के बाहर वोट पर विलखती हूँ

मैं हिन्दी हूँ।


वे चले गये

लेकिन उनकी वाणी गूंजती है

संसद में

वह शासन करती है

आदेश देती है -

उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के पन्नों में

जहाँ मेरा प्रवेश वर्जित है

सच मानिये

नहीं जानते हैं तो जानिये

मैं भारतमाता की वाणी हूँ

में हिन्दी हूँ।

उनकी ही वाणी में लिखा है

मेरे देश को चलानेवाला संविधान

इसीलिए तो तरस रहे हैं लोग

सस्ते न्याय के लिए

शान्ति और सद्भाव के लिए,

आखिर इस खेल में शामिल है

देशी गद्दार

सदियों तक झेली है राष्ट्र ने गुलामी

ऐसे ही मक्कारों के चलते,

मैं ही दे सकती हूँ अपने देश को

सस्ता, सुलभ, शीघ्र और पूरा न्याय

मैं हिन्दी हूँ।


अंग्रेजी का ही वर्चस्व है प्रशासन में

प्रशासक वर्ग के चयन में,

प्रतियोगिता परीक्षाओं में,

इसीलिए तो उग आये हैं देश में

कुकुरमुत्ते की तरह अंग्रेजी स्कूल,

और इसी भाषा के बल पर

अमर बैल बना है धनी वर्ग

गरीब जनता के ऊपर।

अंग्रेजी की देन

आतंक और भ्रष्टाचार की जगह

मैं ही सबको समानता का अवसर दूँगी

प्रेम और सदाचार का पाठ पढ़ाऊँगी

समरसता कायम करूँगी

भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखूँगी

मैं हिन्दी हूँ।

- उमेश कुमार पाठक 'रवि'

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