Children's Poem On Puppet In Hindi : Bal Kavita Kathputli
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कविता कठपुतली : Bal Kavita Kathputli - कठपुतली पर कविता
कठपुतली
फुदक रही है चिड़िया जैसी,
लगती नटखट गुड़िया जैसी।
दिखा दिखा कर कलाबाजियाँ,
मन को लेती हर कठपुतली।
गोल-गोल आँखें मटकाती,
पैर हिलाती, हाथ नचाती।
रंग-बिरंगी सज-धज आती
रूप निराला घर कठपुतली ।
अपना जलवा खूब बिखेरे,
खेल दिखाती है बहुतेरे।
मिले इशारा अँगुलियों का
नाचे धागे पर कठपुतली।
फिरकी जैसी है फुर्तीली,
कुछ नखरीली, कुछ शर्मीली।
ऊपर-नीचे आगे-पीछे
डोले इधर-उधर कठपुतली।
हरकत ऐसी, कर दे जादू
खुश हो दादी, हँसते दादू।
बड़ी चुलबुली, सबके दिल में
कर जाती है घर कठपुतली।
उसकी है हर अदा निराली,
देख बजाते हैं सब ताली।
रोतों को भी जल्द हँसा दे,
आए कहीं नजर कठपुतली।
- डॉ. फहीम अहमद
असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,
संभल, उत्तर प्रदेश
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