तितली पर कविता : घुमक्कड़ तितली| Poem on Butterfly in Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
0

Poem on Butterfly in Hindi : Ghumakkad Titli Kavita

Poem on Butterfly in Hindi

तितली पर कविता इन हिंदी : तितली पर हिन्दी बाल कविता घुमक्कड़ तितली। तितली के विषय पर बेहतरीन बाल कविता घुमक्कड़ तितली। Ghumakkad Titli Kavita, Titli poem in Hindi, Dr. Faheem Ahmad Poetry on Butterfly in Hindi...

Ghumakkad Titli Kavita : Poem on Butterfly in Hindi - घुमक्कड़ तितली कविता

घुमक्कड़ तितली


अपनी मर्जी की मालिक है

तितली बड़ी घुमक्कड़।


नन्हीं है पर घूम चुकी

दुनिया का चप्पा-चप्पा।

खुश होकर झूमी मस्ती में

गाती लारा-लप्पा।


थकती नहीं जरा भी पगली

वह है पूरी फक्कड़।


देख चुकी है वह दुनिया का

रंग बिरंगा मेला।

लगा उसे जग का हर मंजर

फूलों सा अलबेला।


बूझे नई पहेली फूलों से

बन लाल बुझक्कड़।


हवा, रोशनी, मिट्टी, पानी,

खुशबू वाली बातें।

छिपी हुई नन्हें पंखों में

जाने क्या सौगातें।


कहाँ कहाँ से लाई क्या-क्या

भूली, बड़ी भुलक्कड़।


- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

ये भी पढ़ें;

बाल कविता : परियों का देश - Pariyon Ke Desh Bal Kavita

रानी तितली कहानी : Rani Titli Hindi Kahani

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top