ख़्वाब पर एक कविता | स्तुति राय की कविता | Khwab Poem In Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Stuti Rai Ki kavita Khwaab : Hindi Kavita Khwaab

Stuti Rai Poetry Khwaab

Stuti Rai Poetry Khwaab : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी हिंदी विभाग की शोध छात्रा स्तुति राय की हिंदी कविता "ख़्वाब", पढ़े और साझा करें।

ख़्वाब

कितनी सुनीं होती होंगी वो आंखें

जिनमें कोई ख्वाब नहीं

पलता होगा,


कितनी बदसूरत हो जाएगी दुनिया

जहां नफरत आजाद रहेगी 

और प्रेम पिंजरे में,


बिना ख्वाबों के

उम्मीद कैसे जगेगी

बिना प्रेम के

नफ़रत कैसे ख़त्म होगी


हमें अपने सिद्धांत बदलने होंगे

हमें ख्वाबों के लिए

फूल लगाने होंगे,


हमें उम्मीदों के लिए

पेड़ लगाने होंगे

और प्रेम के लिए

कैद करना होगा

पिंजरे में नफ़रत को।

- स्तुति राय

शोध छात्रा,
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
वाराणसी

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