जिंदगी की उलझन में - हिन्दी कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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एस्ट्रो शुभम त्रिपाठी की कविता : Hindi Kavita

Astro Shubham Tripathi's poem Zindagi ki entanglement

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जिंदगी की उलझन

जिंदगी की उलझन में हम यूं उलझ जाते हैं, कि हमे ही नहीं पता चलता की हम कहां जाते हैं।


अपने अरमानों को पाने का हम यूं साहस जुटाते हैं, लेकिन हमे पता ही नहीं चलता कि हम कहां जाते हैं।


अपनों को समझाने में हम यूं ही समय गवाते हैं, चाहे हम उन्हें जितना समझाएं वो समझ ही नहीं पाते हैं।


कभी कभी लगता है, कि हम ही गलत हैं, जो उनको समझाते हैं, क्योंकि शायद वो हमे अपना ही नहीं मान पाते हैं।


जीवन में अनेकों उलझनें सामने आती हैं, एक को सुलझाने चलो तो दुसरी को सुलझा नहीं पाते हैं।


अपने मंजिल को पाने को हमने सोचा ही था, कि दुनियां वालों के व्यंग शब्दों से अपने आप को ही घिरा हुआ पाते हैं।


समय ने भी क्या से क्या बना दिया हमे, चले थे मोह-माया से अलग होने, अब अपने आप को माया से ही घिरा हुआ पाते हैं।


जिंदगी की उठा-पटक में यैसे घिरे जा रहे, कि अब लगता हैं, हम अपने व्यक्तित्व को ही मिटा हुआ पाते हैं।

- एस्ट्रो शुभम त्रिपाठी कानपुर (यू.पी)

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