पर्यावरण विशेष बाल कहानी : पेड़ और बादल

Dr. Mulla Adam Ali
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Environmental Children Stories : Tree and Clouds - Eco-friendly stories for kids

Environmental Children Stories

पर्यावरण दिवस पर बाल कहानी पेड़ और बादल : आज आपके लिए प्रस्तुत है पर्यावरण पर रोचक बालकथा "पेड़ और बादल", खासकर बच्चों के लिए पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बाल साहित्यकार गोविन्द शर्मा जी द्वारा लिखी गई कहानी पेड़ और बादल। पर्यावरण केंद्रित बाल कहानियों में पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चों को प्रेरित करने वाली पर्यावरण के विषय पर बेहतरीन कहानी पेड़ और बादल, पेड़ और बादल एक ऐसी बालिका की कहानी है जिसके पिता चंद पैसों के लिए पेड़ काट देते हैं और बादल उसके घर की तलाश में विफल रहने पर कहीं और बरस कर लौट जाते हैं। कहानी में बादल और बालिका का संवाद झकझोर देने वाला है।

कहानियों में पर्यावरण : पर्यावरण बाल कथाएं

पेड़ और बादल Ped aur Baadal

वह छोटी लड़की गुड़िया परेशान थी। उसके यहाँ बरसात नहीं हुई थी। उसने उड़ कर जाते बादलों से बार-बार कहा-यहीं बरसो, यहीं। हमें बरसात की जरूरत है, कोई बादल न बोला, न रुका। वह रूठ कर घर के भीतर जाने वाली थी कि एक बादल रुक गया। वह बोला- पानी बरसाने के लिये हमें क्यों कह रही हो। हम तो वे बादल हैं, जो बरस कर वापस अपने घर जा रहे हैं। हमारे भीतर पानी नहीं है।

तो, जाते समय तुम यहाँ क्यों नहीं रुके? बरसात के बिना हम सब परेशान हो रहे हैं। हमें कहीं और बरसने का आदेश मिला था।

हमारे यहाँ कब बरसोगे तुम लोग ?

बादल ने कुछ सोचा और बोला- पानी लेकर बरसने की मेरी बारी तो अब एक महीने बाद आयेगी। तब मैं तुम्हारे लिये स्पेशल आर्डर लेकर आऊँगा। तुम्हारे यहाँ जरूर बरसूँगा।

गुड़िया खुश हो गई। ताली बजाकर नाचने लगी। बादल बोला- तुम्हारे घर का, खेत का पता बताओ मुझे। जब पानी से भरा होता हूँ तो बरसने की जल्दी होती है।

गुड़िया ने कहा- अरे, हमारा घर तो कोई भी दूर से पहचान लेगा। देखो, घर के सामने सात पेड़ हैं। घर के पीछे भी सात पेड़ हैं। घर की दाईं तरफ तीन और बाईं तरफ चार पेड़ हैं। कुल हुए इक्कीस । ऐसा नजारा कहीं और देखने को नहीं मिलेगा।

ठीक है, एक महीने के लिये बाय बाय..।

ठीक एक, महीने बाद वह दिन आ गया। गुड़िया जानती थी कि जब भी बरसात आती है, उसके घर की छतें चूती हैं। वह छाता खोलकर बैठ गई। सारा दिन बैठी रही। रात में भी बादल के बरसने का इंतजार किया। कई बादल घर के ऊपर से गुजरे, पर बरसा कोई नहीं। गुड़िया सोच रही थी हो सकता है, वह बादल अपनी ड्यूटी पर न आया हो या उसको कहीं और भेज दिया हो।

बादल देखने के लिये वह घर से बाहर आई। पहले तो वह खुद बादलों को आवाज लगाती थी, अब एक बादल खुद ही उसे देखकर रुक गया।

बादल बोला- ऐ गुड़िया, तुम्हारा घर कहाँ है?

गुड़िया खुश हो गई। अरे, यह तो वही दोस्त बादल है। अब आया है बरसने ।

अरे भाई, जहाँ मैं खड़ी हूँ, वही तो है हमारा घर। जल्दी बरसो न हमारे घर पर।

क्या कह रही हो ? यह तुम्हारा घर है? एक महीने पहले तुमने मुझे घर का जो पता बताया था, यह तो वह नहीं है। तुमने बताया था कि घर के आगे सात, पीछे सात, एक तरफ तीन और दूसरी तरफ चार पेड़ हैं। कुल इक्कीस पेड़ । मुझे तो यहाँ एक भी दिखाई नहीं दे रहा।

पहले तुम बरसात कर हल्के हो जाओ। फिर बताती हूँ....।

मैंने तुम्हें बताया था कि जब हम पानी से भरे होते हैं, तब हमें बरसने की जल्दी होती है। मैंने तुम्हारा घर खूब ढूँढा। तुम्हारा घर नहीं मिला तो मैं कहीं और बरस आया हूँ। मैं खाली हूँ।

गुड़िया मायूस हो गई। उदास स्वर में बोली- मैंने तो रोका था, पर बापू नहीं माने। बोले- पैसों की जरूरत है। उन्होंने सारे पेड़ एक व्यापारी को बेच दिये। वह सबको काट कर ले गया।

इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। हम बादल तो ऊपर उड़ते हुए पेड़ों से ही जगह को पहचानते हैं। पेड़ नहीं तो बरसात नहीं। अब कुछ नहीं हो सकता है। अब तो इस वर्ष का हमारा काम पूरा हो गया। अगले वर्ष... नहीं अभी तुम या तुम्हारे बापू ज्यादा नहीं तो, उतने ही पौधे उसी जगह लगा दोगे तो मैं अगले वर्ष बरसने के लिये जरूर आऊँगा।

जाते बादल को गुड़िया ने टा-टा किया, वह एक बार उदास हुई, पर सदा के लिये नहीं। अगले ही दिन सबने देखा- वह और उसके बापू पौधारोपण कर रहे हैं।

- गोविंद शर्मा

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