खुद सूरज बन जाओ न – बच्चों को प्रेरित करती बाल कविता

Dr. Mulla Adam Ali
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"Khud Suraj Ban Jao Na" is an inspiring Hindi poem for children by Prabhudayal Srivastava. Through a playful conversation with a bird, it teaches kids about goodness, knowledge, and becoming a source of light like the sun. A delightful blend of imagination and values.

Inspiring Hindi children Poem

khud suraj ban jao na bal kavita

बाल साहित्य में कल्पना और प्रेरणा का संगम बच्चों के मन को सकारात्मक दिशा देता है। अम्मा को अब भी है याद (५१ बाल कविताएँ) बाल कविता संग्रह से प्रभुदयाल श्रीवास्तव द्वारा रचित यह बाल कविता "खुद सूरज बन जाओ न" बच्चों की जिज्ञासा, कल्पनाशीलता और नैतिक जागरूकता को सुंदर रूप में व्यक्त करती है। चिड़िया से संवाद के माध्यम से यह कविता बच्चों को सिखाती है कि सच्चे हंस वे हैं जो भलाई के काम करते हैं, और सूरज बनने का अर्थ है – अपने ज्ञान और अच्छाई से दूसरों के जीवन में प्रकाश भरना।

प्रेरणादायक हिंदी बाल कविता

खुद सूरज बन जाओ न


चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

फुर्र-फुर्र कर कहाँ चली।

दादी अम्मा जहाँ सुखाती,

छत पर बैठीं मूँगफली।


चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

मूँगफली कैसी होती।

मूँगफली होती है जैसे,

लाल रंग का हो मोती।


चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

मोती मुझे खिलाओ ना

बगुला भगत बने क्यों रहते,

बनकर हंस दिखाओ न।


चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

हंस कहाँ पर रहते हैं।

काम भलाई के जो करते,

हंस उन्हीं को कहते हैं।


चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

भले काम कैसे करते।

सूरज भैया धूप भेजकर,

जैसे अँधियारा हरते।


चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,

सूरज से मिलवाओ ना

अपना ज्ञान बाँटकर सबको,

खुद सूरज बन जाओ ना


- प्रभुदयाल श्रीवास्तव

"खुद सूरज बन जाओ न" एक भावनात्मक और प्रेरणादायक बाल कविता है, जो छोटे पाठकों को अच्छे कार्यों की ओर प्रेरित करती है। कविता में कल्पना, संवाद, और सीख का अद्भुत समन्वय है। यह रचना विद्यालयी पाठ्यक्रम, मंचीय प्रस्तुतियों, तथा नैतिक शिक्षा की गतिविधियों के लिए अत्यंत उपयुक्त है। बच्चों के अंदर जागरूक नागरिक और बेहतर इंसान बनने की भावना यह कविता सहजता से भर देती है।

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