प्यारी बोली हिंदी कविता – हिंदी भाषा की मिठास और गौरव

Dr. Mulla Adam Ali
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This beautiful poem “Pyari Boli Hindi” celebrates the sweetness, simplicity, and cultural richness of the Hindi language. It portrays Hindi as not just a medium of communication but a symbol of unity, pride, and identity for the nation. Poem on Hindi Diwas Pyari Boli Hindi Poem – Celebrating the Sweetness and Pride of Hindi Language.

Pyari Boli Hindi Poem

प्यारी बोली हिंदी कविता

प्यारी बोली हिंदी कविता – हिंदी दिवस कविता

यह कविता “प्यारी बोली हिंदी” हिंदी भाषा की मधुरता, सरलता और सांस्कृतिक समृद्धि का जीवंत चित्र प्रस्तुत करती है। कवि ने हिंदी को न केवल संवाद का माध्यम बताया है, बल्कि उसे भारतीय अस्मिता, गौरव और एकता का प्रतीक भी माना है। हर छंद में हिंदी की आत्मा झलकती है, जो दिलों को जोड़ती और जीवन में नई आशा जगाती है।

प्यारी बोली हिंदी


इतनी मीठी भाषा हिंदी,

जैसे दूध-बताशा हिंदी।

आशा नई जगाती मन में

करती दूर निराशा हिंदी।


संस्कृति की रंगोली हिंदी,

है सबकी हमजोली हिंदी।

करते शब्द ठिठोली हर पल,

इतनी प्यारी बोली हिंदी।


सीधी, सरल, सुसंगत हिंदी,

हर महफिल की रंगत हिंदी।

बड़ी सुकोमल, पावन जैसे

चंदन, रोली, अक्षत हिंदी।


गीत, कहानी, कविता हिंदी,

है बहती सुर सरिता हिंदी।

है यह स्वाभिमान देश का,

गौरव और अस्मिता हिंदी।


गंगा-जमुनी धारा हिंदी,

जोड़ रही जग सारा हिंदी।

भाषाओं के अंबर पर ज्यों

चमक रहा ध्रुवतारा हिंदी।


- फहीम अहमद

यह कविता हिंदी भाषा की मधुरता, सरलता और उसकी सांस्कृतिक गहराई को सुंदर ढंग से अभिव्यक्त करती है। इसमें हिंदी को प्रेम, एकता और स्वाभिमान का प्रतीक बताया गया है। सच में, हिंदी केवल भाषा नहीं, बल्कि भारतीयता की आत्मा और हमारी पहचान है।

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