Nanha Sipahi is a collection of 21 engaging children’s stories by Dr. Mulla Adam Ali, written in simple and expressive language. These stories gently combine entertainment with moral values, encouraging honesty, courage, kindness, patriotism, and care for nature. Designed for young readers, the book offers meaningful lessons through relatable characters and imaginative situations, making it both enjoyable and enriching for children of all ages.
Nanha Sipahi Baal Kahani Sangrah by Dr. Mulla Adam Ali
बाल साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि बच्चों के मन में संस्कार, संवेदना और सही सोच के बीज बोने का माध्यम है। इस पुस्तक में संकलित कहानियाँ बच्चों की कल्पनाशील दुनिया से जुड़ते हुए उन्हें जीवन के छोटे-छोटे, लेकिन महत्वपूर्ण मूल्यों से परिचित कराती हैं।
इस संग्रह की कहानियाँ सरल भाषा, सीमित आकार और रोचक शैली में लिखी गई हैं, ताकि बच्चे बिना किसी कठिनाई के पढ़ सकें और आनंद लेते हुए सीख सकें। सच्चाई, मेहनत, परिवार, देशप्रेम, पर्यावरण संरक्षण और करुणा जैसे विषय इन कथाओं के केंद्र में हैं, जो बालमन को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास करते हैं।
आशा है कि ये कहानियाँ बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाएँगी, उनके मन में प्रश्न जगाएँगी और उन्हें एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देंगी। यदि इन पन्नों के बीच बच्चों को अपने सपनों, अपने विचारों और अपने उत्तर मिल जाएँ—तो इस पुस्तक का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा।
पुस्तक विवरण;
- पुस्तक का नाम: नन्हा सिपाही
- लेखक: डॉ. मुल्ला आदम अली
- आईएसबीएन: 978-93-92824-47-0
- संस्करण: 2025
- प्रकाशक: विवेक पब्लिशिंग हाउस, जयपुर,
- पुस्तक मंगवाने के लिए कॉल करें: +9983340698
- श्रेणी: बाल कहानी संग्रह
- मूल्य 200 ₹
नई शैली, नई सोच: हिंदी बालकथाओं का नया रंग
डॉक्टर मुल्ला आदम अली… आप शायद इस नाम से परिचित होंगे। शायद इसलिए लिख रहा हूं कि इन्होंने स्वयं को उतना उजागर नहीं किया, जितना इन्होंने दूसरे हिंदी बालसाहित्य रचनाकारों को किया है और कर रहे हैं। फेसबुक आदि मीडिया मंचों पर कभी किसी रचना (कहानी, कविता, नाटक) को, तो कभी किसी पुस्तक को इस शानदार विधि से प्रस्तुत करते हैं कि उसे पढ़ने… पढ़ते रहने की तलब जागृत हो जाती है। लेखक-समीक्षक की फोटो के साथ पूरा परिचय भी होता है। निःसंदेह, उनके इस हिंदी प्रेम का प्रसाद मेरी रचनाओं को भी मिला है।
अब मेरे सामने उनकी हिंदी में रचित बालकथाओं की पांडुलिपि है। यह सामान्य आकार में, सरल शब्दों में लिखी इक्कीस बाल कहानियां हैं। कहानियों की शैली? आप कहेंगे कि कहानी की शैली तो कहानी में ही होती है। जी, ठीक है। यह भी सही है कि हर एकांकी नाटक में एक कहानी होती है — एकांकी नाटक में प्रारंभ से अंत तक पात्र, स्थान, संवाद और दृश्य परिवर्तन होते ही हैं। नाटक में कहानी होती है, पर क्या कहानी में नाटक होता है? आप कह सकते हैं कि कहानियों में नाटकीयता होती है, संवाद होते हैं।
पर नाटकों से अलग ढंग से डॉक्टर मुल्ला आदम अली ने एक नया प्रयोग किया है। पहले तो यह अजीब लगा, क्योंकि इस शैली में लिखी बालकहानी या बाल कविता पहले नहीं पढ़ी थी। पर जैसे-जैसे पढ़ता गया, आनंद बढ़ता गया। हर कहानी के प्रारंभ में नाटक की तरह छोटा-सा दृश्य, स्थान की जानकारी और छोटा-सा संवाद। नाटक या एकांकी की तरह शुरू, पर बाद में पूरी कहानी, कहानियों की तरह। पढ़ते हैं तो मजा आ जाता है। धन्यवाद और बधाई, मुल्ला आदम अली जी, इस नए प्रयोग के लिए। आप सफल हैं।
सभी इक्कीस कहानियां बालकोपयोगी हैं, और बालसाहित्य के हर उम्र के पाठक के लिए उपयोगी हैं। बाल साहित्य लेखन की पहली शर्त होती है — भाषा की शुद्धता, सरलता और सीमित आकार। इन कहानियों ने यह शर्त पूरी की है। किसी भी बाल साहित्य पाठक को बात समझने के लिए अतिरिक्त समय या शक्ति खर्च नहीं करनी होगी।
यदि सभी 21 कहानियों पर समीक्षात्मक-परिचयात्मक टिप्पणी लिखी जाए तो भूमिका लंबी हो जाएगी। इसलिए कुछ का जिक्र करना चाह रहा हूं, हालांकि इच्छा है कि सभी पर लिखा जाए।
मुझे लगा, सबसे पहले मैं ‘फटे कपड़े की मुस्कान’ पर कुछ लिखूं। पर क्या लिखूं, सब कुछ सीधी सरल भाषा में मुल्ला जी ने लिख ही दिया। गरीबी कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि मेहनत की सबसे बड़ी प्रेरणा होती है। जो हिम्मत नहीं हारते, वही इतिहास बनाते हैं। अर्थात गरीबी या फटे कपड़ों की शर्म मत करो, मेहनत करते रहो — एक दिन वह फटा कपड़ा अवश्य ही मुस्कुराएगा।
अक्षित नाम का छोटा बच्चा गांव में रहता था। उसकी मुलाकात एक शहरी रोबोट से हो जाती है। रोबोट बताता है कि वह बहुत कुछ सिखा सकता है — गणना, विज्ञान… पर अक्षित ने बालसुलभ मांग की: उसे कुछ खेल सिखाओ। रोबोट हिचकता है, पर कहता है कि इसके लिए हमें कुछ अभ्यास करना होगा। इसे कहते हैं बालमन की सरलता।
कुछ कहानियां तो नैतिक कथा-सी लगती हैं, जैसे ‘चोरी की सजा’। इसमें विक्की प्रिंसिपल साहब की पेंसिल चुरा लेता है। उसे सजा मिलती है। क्या? यही कि वह सच बोलने लग जाता है, स्वीकार करता है कि उसने चोरी की। फलस्वरूप उसकी चोरी की आदत हमेशा के लिए छूट जाती है। गलती सुधर गई, तो वह अच्छा बच्चा बन गया।
इस संग्रह में कुछ कहानियां सामाजिकता के साथ देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भी शिक्षा देती हैं। किसी भी देश के नागरिक में ये गुण होना ही देश-समाज की तरक्की की गारंटी है। पढ़िए कहानी — ‘वीर साहिल और तिरंगे की शक्ति’। इसे पढ़ते ही आप समझ जाएंगे कि एक सु-नागरिक में क्या गुण होना चाहिए।
परिवार की एकता जरूरी है, कम बोलने में ताकत है, अच्छा खाने की आदत स्वस्थ रखती है, सच्चाई का व्यवहार फलदायी होता है — यह सब अपने आप में एक इनाम है। इसकी प्रेरणाएं कहानियों में यत्र-तत्र आसानी से मिल जाती हैं।
ईद जैसे त्योहारों पर हमें गिफ्ट मिलते हैं। निःसंदेह, हम अपने लिए अपनी मर्जी के गिफ्ट की कामना करते हैं। पर मजा तो तब आता है, जब हामिद की तरह किसी ऐसे गिफ्ट की कामना करें जिससे उसके सभी दोस्तों, परिचितों के मन भी खुश हो जाएं। पढ़िए कहानी — ‘हामिद की सच्ची ईद’।
इस तरह, सभी कहानियां पाठक को सब कुछ देती हैं — मनोरंजन, प्रेरणा, आलोकित पथ, हिम्मत… और क्या चाहिए!
डॉक्टर मुल्ला आदम अली को एक बार फिर बधाई देते हुए कामना करता हूं कि वे बाल पाठक के लिए इसी तरह प्रेरणादायी बाल साहित्य की रचना करते रहें। निश्चित ही आप सफल होंगे। साहित्य भी आपकी कलम से लाभान्वित होगा। शुभकामनाएं।
नन्हा सिपाही: बाल मनोरंजन और नैतिक मूल्यों से सजी 21 हिंदी बालकथाएँ
बाल साहित्य को ऐसे साहित्य के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो बच्चों की रुचि का हो। इसका प्रमुख उद्देश्य बाल मनोरंजन है। इसके साथ ही इसके द्वारा बच्चों को परोक्ष रूप से नैतिक शिक्षा दी जा सकती है और उनको ज्ञानवर्धन किया जा सकता है।
बाल साहित्य अत्यंत सरल और छोटे शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसमें वाक्य भी छोटे होते हैं। बाल साहित्य में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें बच्चे समझ सकें और जिनका उच्चारण करने में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। बाल साहित्य में कहानी हो या कविता, अधिक लम्बी नहीं होनी चाहिए।
साहित्य के समान बाल साहित्य की भी विधाएँ होती हैं- बाल कविता, बाल कहानी, बाल उपन्यास, बाल धारावाहिक, बाल नाटक, बाल एकांकी आदि। इन सभी का आकार सीमित होना चाहिए तथा सभी में आवश्यक रूप से बाल मनोरंजन होना चाहिए। स्वस्थ बाल मनोरंजन के अभाव में इन्हें बाल साहित्य नहीं कहा जा सकता है। इसीलिए मनोरंजन को बाल साहित्य का तत्व कहा जाता है।
वर्तमान समय में गोविन्द शर्मा, दिविक रमेश, सुरेन्द्र विक्रम, बानो सरताज काजी, मंगला रामचन्द्रन, उषा यादव, रोहिताश्व अस्थाना, पवित्रा अग्रवाल, भगवती प्रसाद द्विवेदी, विमला भंडारी, रमेश चन्द्रपंत, जाकिर अली ‘रजनीश’, अरशद खान, साजिद खान, मो. फहीम, अजय जनमेजय, गिरिराजशरण अग्रवाल, संजीव जायसवाल ‘संजय’, राजीव सक्सेना, रविन्द्र रवि, नागेश पाण्डेय ‘संजय’, विकास दवे आदि साहित्यकार बड़ी लगन के साथ बाल साहित्य का सृजन कर रहे हैं। इन्हीं में एक नाम है- डॉ. मुल्ला आदम अली। आदम अली नवोदित बाल साहित्यकार हैं। आप की बाल कविताएँ और बाल कहानियाँ प्रायः देखने को मिलती रहती हैं। उनकी पहली कृति है-‘नन्हा सिपाही । यह एक बाल कहानी संग्रह है। इसकी एक कहानी ही इसका शीर्षक है। इसके साथ ही इसमें ‘सच्चाई की जीत’, ‘हामिद की सच्ची ईद’, फटे कपड़ों की मुस्कान’, पेड़ की पुकार, घोंसला’, ‘छोटी सी पहल’, ‘परिवार की ताकत, सच्चाई का इनाम’ जैसी २१ कहानियाँ हैं। इनमें देशभक्ति, पर्यावरण संरक्षण तथा जीवन मूल्यों की परोक्ष रूप से शिक्षा दी गई है, बच्चों का मनोरंजन तो है ही।
‘नन्हा सिपाही की कहानियों को पढ़कर इसे रंग-बिरंगे फूलों का गुलदस्ता कहा जा सकता है। मेरा विश्वास है कि यह पुस्तक हिन्दी बाल साहित्य के इतिहास में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाएगी।
अपनी बात
प्रिय बच्चों,
कहानी केवल कल्पना नहीं होती—कहानी एक अनुभव होती है, जो हमारे दिलों को छूती है, हमें कुछ नया सोचने पर मजबूर करती है, और हमारे भीतर छिपी अच्छाई को बाहर लाने की प्रेरणा देती है।
जब मैं यह कहानियाँ लिख रहा था, तो मेरे सामने तुम सभी थे- मासूम, जिज्ञासु, कुछ समझने को आतुर, और दुनिया को अपने नन्हें कदमों से बदल देने की चाह रखने वाले बच्चे। यही सोचकर हर कहानी में मैंने जीवन की कोई न कोई छोटी लेकिन बेहद जरूरी सीख पिरोने की कोशिश की है।
‘सच्चाई की जीत’ हो या ‘फटे कपड़े की मुस्कान’, ‘नन्हा सिपाही हो या ‘हामिद की सच्ची ईद’—हर कहानी तुम्हें यह बताना चाहती है कि असली ताकत दिल की होती है, और असली वीरता उस अच्छाई में होती है जो हम रोजमर्रा की छोटी बातों में दिखाते हैं।
इन कहानियों में कभी पेड़ पुकारते हैं, कभी एक गिलहरी घायल होती है, तो कभी एक छोटा बच्चा तिरंगे की शान को समझता है। कहीं एक जादुई पेन है, तो कहीं एक रोबोट खुशी की खोज में निकल पड़ता है। लेकिन हर कहानी का उद्देश्य एक ही है—तुम्हारे दिल में संवेदनशीलता, सच्चाई, साहस, और करुणा के बीज बो देना।
मैं चाहता हूँ कि तुम जब इन कहानियों को पढ़ो, तो सिर्फ पात्रों से नहीं, अपने आप से भी जुड़ो। सोचो कि अगर तुम चिंकी होते, या गुड्डू, या वीर साहिल—तो तुम क्या करते? यह सोच ही तुम्हें एक बेहतर इंसान बनने की ओर ले जाएगी।
मुझे पूरा विश्वास है कि तुम्हारे जैसे होशियार, भावुक और समझदार पाठकों के लिए ये कहानियाँ सिर्फ मनोरंजन नहीं, जीवन के सबक बन जाएंगी। अगर मेरी कहानियों ने तुम्हारे चेहरे पर एक मुस्कान ला दी, तुम्हें कुछ अच्छा करने की प्रेरणा दी—तो मेरा लेखन सफल हो गया।
अपने दिल को सच्चा रखो, अपने सपनों को ज़िंदा रखो—और हमेशा याद रखो कि तुममें दुनिया को बेहतर बनाने की शक्ति है।
अनुक्रम
- सच्चाई की जीत
- पेड़ की पुकार
- जंगल के सच्चे दोस्त
- नन्हा सिपाही
- बूँद-बूँद की कहानी
- छोटू और घायल गिलहरी
- गुड्डू और परीक्षा का डर
- जादुई झील और परियों का रहस्य
- फटे कपड़े की मुस्कान
- रोबोट और खुशी की खोज
- घोंसला
- छोटी सी पहल
- चोरी की सजा
- वीर साहिल और तिरंगे की शक्ति
- परिवार की ताकत
- कम बोलने की ताकत
- पौष्टिक आहार की शक्ति
- हामिद की सच्ची ईद
- चतुर बंदर और उसकी दोस्ती
- सच्चाई का इनाम
- चिंकी और जादुई पेन
निष्कर्ष;
यह कहानी-संग्रह बच्चों के लिए मनोरंजन के साथ-साथ जीवन मूल्यों का सहज पाठ है। सरल भाषा और नई शैली में रची गई ये बालकथाएँ बालमन को सोचने, समझने और सही राह चुनने की प्रेरणा देती हैं। यदि इन कहानियों ने बच्चों के हृदय में सच्चाई, संवेदनशीलता और साहस की एक छोटी-सी चिंगारी भी जगा दी, तो यही इस पुस्तक की सबसे बड़ी सफलता होगी।
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