Story Mukti by Asgar Wajahat
वस्तुतः ‘मुक्ति’ की चादर शराफत की चादर है जिसे लेने की हिम्मत कोई नहीं करता यहाँ तक कि सैनिक भी नहीं। वह आदमी नहीं बनना चाहते हैं किंतु यह ‘शराफत’ ही है जो आतंकवाद की ‘बाप’ है। जिसे ओढ़कर कुशल-मंगल की स्थितियाँ आ सकती है और कहानी का शिष्य उसे हर किसी को देना चाहता है। लेखक कहता है कि “हर किसी ने शराफत की चादर छोड़ दी है” इसीलिए देश, समाज, व्यक्ति को बदहाल होना पड़ रहा है। सांप्रदायिकता आने से बेजार होना पड़ रहा है किंतु यह चादर जैसे ही ‘सत्यमेव जयते’ पर परदा डालती है, वैसे ही विस्फोट होता है। सत्य, सत्य होता है। वह स्वयं चीखता हुआ प्रकट होता है। उसमें वह ताकत होती है। तब शिष्य का मन भी प्रसन्न होता है। चेला कहता है “आप सब सुरक्षित हैं। मैं अपनी चादर न ही सरकार पर डालना चाहता हूँ न विपक्ष पर। मैं तो हाथ जोड़कर आपसे प्रार्थना कर रहा हूँ कि मेरी सहायता करें।“ का विचार कहानी द्वारा व्यक्त होती हैं।
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