बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी कविताएँ : दीवाली इस तरह मनाएँ | मोहक मुस्कान फुलझड़ी | Poem on Diwali in Hindi

Dr. Mulla Adam Ali
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Diwali 2024 Par Bal Kavita : Diwali Poem for Children

Diwali Poem for kids in Hindi

बच्चों के लिए दिवाली पर हिंदी कविताएँ : खुशियों का त्योहार दीवाली, दीपों का त्योहार दीवाली या दीपावली पर बाल मन की कविता  1. दीवाली इस तरह मनाएँ 2. मोहक मुस्कान फुलझड़ी दीपावली की कविताएँ Poem on Diwali in Hindi Diwali Is Tarah Manaye Mohak Muskan Fooljhadi Children Poem on Diwali Festival. Diwali Hindi Bal Kavita By Dr. Faheem Ahmad... The Festival of Lights Diwali Kavita Poetry Poem in Hindi, Hindi Diwali Poem For Kids Diwali Kavita...

दीपों का त्यौहार दीपावली भारतवर्ष समेत दुनियां के लगभग सभी देशों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। दिवाली के त्योहार पर आधारित हिंदी की सुंदर कविताएँ पढ़िए आज के आर्टिकल में कविता दीवाली इस तरह मनाएँ, बाल कविता दिवाली पर मोहक मुस्कान फुलझड़ी। डॉ. फहीम अहमद की कविताएं दिवाली त्योहार पर।

Diwali Poem for kids in Hindi : दिवाली पर बाल कविता दीवाली इस तरह मनाएँ

Diwali Poem for kids in Hindi

1. दीवाली इस तरह मनाएँ


खुशियों वाले दीप जलाएँ।

दीवाली इस तरह मनाएँ।।


जहाँ अँधेरा, डाले डेरा

वहाँ जलाएँ दीप निराला।

कहीं अँधेरा रहे न बाकी

फैले कुछ इस तरह उजाला।

दुःख की छाया पास न आए

जो उदास हैं, वे मुस्काएँ।

दीवाली इस तरह मनाएँ।।


जो बेचारे दुःख के मारे

सब मिल उनके आँसू पोछें।

कैसे आएगी खुशहाली

कुछ उनके बारे में सोचें।

कर्तव्यों के दीप जलाकर

जीवन सबका सुखी बनाएँ।

दीवाली इस तरह मनाएँ।।


रूठ गईं जिनसे फुलझड़ियाँ

बाँटें हम उनको सौगातें।

खील बताशों के संग उनसे

कर लें मीठी-सी दो बातें।

प्रेम, दया, सेवा के दीपों

से हर घर-आँगन चमकाएँ।

दीवाली इस तरह मनाएँ।।


Children Poem on Diwali Festival : दिवाली पर कविता मोहक मुस्कान फुलझड़ी

Children Poem on Diwali Festival

2. मोहक मुस्कान फुलझड़ी


दीवाली की शान फुलझड़ी

हम बच्चों की जान फुलझड़ी।


लगती हमें खिलौने जैसी

देख जिसे खुश होते सारे।

बजें तालियाँ जब झरते हैं

जगमग करते खूब सितारे।


आँखों में बस जाती फौरन

कभी न खाए कान फुलझड़ी।


लगा उजालों का मेला जब

जलीं खूब सारी फुलझड़ियाँ।

ऐसा लगता नाच रही हैं

झिलमिल करती सारी परियाँ।


अंधकार के कान मरोड़े

करे उजाला दान फुलझड़ी।


लगती है हँसती गुड़िया - सी

करती बड़ी अनूठी खिलखिल।

जो रूठे हैं उन्हें मनाती

साथ सभी के जाती हिलमिल।


सबके दिल में घर कर जाती

ज्यों मोहक मुस्कान फुलझड़ी।


- डॉ. फहीम अहमद

असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी, एमजीएम कॉलेज,

संभल, उत्तर प्रदेश

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