स्तुति राय की कविता : उदासी

Dr. Mulla Adam Ali
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Udasi Hindi Poem by Stuti Rai

Udasi Hindi Poem by Stuti Rai

स्तुति राय की कविता उदासी : कविता कोश में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी की शोधार्थी स्तुति राय की कविता उदासी। हिन्दी कविता उदासी। Udasi kavita by Stuti Rai, Kavita Kosh, Hindi Poetry, Hindi Kavita Udasi in Hindi..

उदासी

उदासी का कोई सबब नहीं होता

कभी कभी पता हीं नहीं चलता

हम क्यों उदास हैं

बस हफ्तों उदास रहते हैं

अलग अलग लोगों की 

याद आती है

और कभी किसी की भी नहीं

बस उदास रहते हैं,

कभी कभी नदी किनारे खड़े हम

देखते रहते हैं ढलते सूरज की लालिमा को 

जो खींच देती है

नदी में एक लाल रेखा

और फिर उधर से आती

एक नाव

उस लालिमा को झकझोरती

आगे बढ़ जाती है

तब भी लगता है

हम उदास हो गए,

क्योंकि नई रेखा

बनाने से पहले ही

सूरज डूब चुका होता है

डूब चुकी होती है उसके साथ

उसकी लालिमा

बचे रह जातें हैं हम 

नदी किनारे

उदास खड़े

किनारे पर लगती नावें

उतरते हुए लोग 

और वहां सब कुछ छोड़

अकेले लौटते हुए

हम, मुझे यह भी

उदास कर जाता है।


- स्तुति राय

शोधार्थी

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी

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