हम लड़के हिंदी कविता : Hum Ladke Hindi Poem by Kunal Meena

Dr. Mulla Adam Ali
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Hum Ladke Hindi Poem by Kunal Meena

Hum Ladke Hindi Poem by Kunal Meena

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हम लड़के


रहते है परदेश में हम पर 

घर की याद बहुत सताती है

माँ का प्यार, पिता की डांट

आंखें गीली कर जाती है।


दिल दुखता है हमारा भी

हमें भी पीड़ा रूलाती है

जिम्मेदारी के बोझ से

मुस्कान हमारी भी खो जाती हैं


ड्यूटी करके, खाना पकाना

तब माँ की बहुत याद आती है

वो,प्यार भरी थपकी की रोटी

यारों! हमको पास बुलाती है।


सुनो! आसन नही लड़का होना

हर पीड़ा छिपानी होती है

मारकर अपनी इच्छाओं को

जिम्मेदारी निभानी होती है।


- कुनाल मीना

दौसा, राजस्थान

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