Hindi Verse Story Nayi Musibat by Dr. Surendra Vikram, Hindi Padhya Katha, Children's Poems Hindi, Kids Poems.
Dr. Surendra Vikram Poetry
हिंदी पद्य कथा : भैंस और घोड़े की दोस्ती, फिर मनमुटाव और एक मज़ेदार सीख देती नैतिक पद्यकथा। बच्चों के लिए रोचक कविता जो सिखाती है कि ग़लत निर्णय कैसे मुसीबत बुलाते हैं। पढ़िए सुरेन्द्र विक्रम की बाल कविता, शेयर कीजिए।
बच्चों के लिए मज़ेदार नैतिक पद्यकथा
नई मुसीबत स्वयं बुलाई
भैंस और घोड़ा जंगल में
दोनों मिलकर रहते साथ।
खाते-पीते, मौज-मनाते
जोड़ा करते सबसे हाथ।
अगल-बगल दोनों के घर थे
दोनों के थे दो-दो बच्चे ।
सुबह शाम खेला करते थे
गाना गाते, खाते लच्छे।
दोनों घर को सुखी देखकर
शुरू हो गई कानाफूसी ।
दोनों को लड़वाएँ कैसे
यही सोचती गुल्लो मौसी।
भैंस गई थी चारा लेने
गुल्लो मौसी को था मौका।
घोड़ा घर में रहा अकेले
उसने आकर मारा 'चौका'।
उससे जितना हो सकता था
किया भैंस की खूब बुराई ।
घोड़े से यह रही पूछती
'मेरी बात समझ में आई'।
गुल्लो मौसी की बातों से
खड़े हुए घोड़े के कान।
नाक फुलाकर,माथा झटका
लिया उसी क्षण मन में ठान।
शाम हुई तो गूँजे किस्से
घोड़ा भैंस लड़े दोनों।
बिना बात की बात हुई
बेमतलब रहे अड़े दोनों।
तू -तू ,मैं-मैं शोर-शराबा।
सहमे-सहमे दोनों बच्चे ।
डर के मारे काँप रहे थे,
वे दिमाग से दोनों कच्चे।
लड़ते-लड़ते हार गए ,तब
घोड़ा भगा गाँव की ओर।
उसे वहाँ पर मिला आदमी
जमकर मचा रहा था शोर।
रोते-रोते घोड़े ने सब
अपनी कथा सुनाई उसको।
मदद करो मुश्किल में मैं हूँ
युक्ति नहीं समझाई उसको।
मोटा डंडा, रस्सी लेकर
अभी चलो तुम मेरे साथ।
जकड़ भैंस, रस्सी से लेना
डंडा रखना अपने हाथ ।
हो जाएगी भैंस तुम्हारी
तब उसको घर लाना तुम।
मीठा-मीठा दूध मिलेगा
सेहत खूब बनाना तुम।
बात समझकर चला आदमी
लेकर मोटी रस्सी, डंडा ।
गाँठ बाँध मोटी रस्सी में
उसने एक बनाया फंदा ।
भैंस फँसी मोटी रस्सी में
तो,घोड़ा खुश होकर बोला।
धन्यवाद अब मैं चलता हूँ
मौज करो तुम मिस्टर भोला।
था चालाक आदमी, बोला-
अच्छी बात दूध है पीना ।
लेकिन मैंने यह भी जाना
संग तुम्हारे अच्छा जीना।
ताँगा एक नया ले लूँगा
इससे होगी मदद हमारी।
मिला करेंगे मुझको पैसे
ढोओगे तुम रोज सवारी।
अब तो कान खड़े घोड़े के
गलती उसको समझ में आई।
लेकिन अब क्या हो सकता था
नई मुसीबत स्वयं बुलाई।
- डॉ. सुरेन्द्र विक्रम
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