Vimla Rastogi New Book Go-Go Ki Wapasi Children's Story Collection Review by Dr. Nagesh Pandey 'Sanjay', Hindi Bal Kahani Pustak Samiksha, Kids Stories Collection.
Go-Go Ki Wapasi
बाल कहानी पुस्तक समीक्षा : विमला रस्तोगी जी के बाल साहित्य संग्रह "गोगो की वापसी" में आठ अद्भुत कहानियाँ हैं, जो बच्चों के लिए मनोरंजन और शिक्षा का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत करती हैं। यह पुस्तक पशु-पक्षियों के माध्यम से बालकों को संवेदनशीलता, कल्पना और जीवन की महत्वपूर्ण सीख देती है। इस समीक्षा में हम विमला जी के लेखन की विशेषताएँ, उनके सरल और बोधगम्य शिल्प, और बच्चों के लिए उपयुक्त कथाओं की चर्चा करेंगे।
नई पुस्तक : "गो गो की वापसी"
अद्वितीय रचनाओं की सुगंध से बाल साहित्य के उपवन को महकाने वाली विमला रस्तोगी जी की रोचक कहानियों का संग्रह
- डॉ. नागेश पांडेय 'संजय'
विमला रस्तोगी जी बाल साहित्य की वरिष्ठ लेखिका हैं। लगभग 50 वर्षों से सृजन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। बालकों के लिए कहानी, कविता, नाटक-एकांकी, जीवनी और आलेख इत्यादि अनेक विधाओं में लेखन करने वाली विमला जी की पहली रचना एक नाटक थी : गुमराह जिसे 1970 में आकाशवाणी लखनऊ ने प्रसारित किया था।
हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ सम्मानपूर्वक प्रकाशित हुईं। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित उनकी पुस्तकें ‘विश्व की श्रेष्ठ लोककथाएँ’ और ‘सिस्टर निवेदिता’ तो बाल साहित्य के क्षेत्र में विशेष चर्चित हुई। विमला जी की दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अनेक पाठ्यक्रमों में भी उनकी रचनाएँ शामिल हैं। अनेक संपादित संकलनों में भी उन्हें सहज स्थान प्राप्त होता रहा है। यद्यपि प्रकाशन के मामले में वे बहुत ही निश्चिंत और निस्पृह रहने वाली लेखिका हैं। न उन्हें प्रकाशन की व्यग्रता रही और न ही पुरस्कारों की। इसके बावजूद उनका रचा साहित्य अपनी विशिष्टता के कारण लोकप्रियता की सीढियाँ चढ़ता रहाI हिंदी के अनेक प्रतिष्ठित समाचार पत्रों जैसे साप्ताहिक हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता, अमर उजाला में तो उनकी जाने कितनी रचनाएँ नियमित रूप से प्रकाशित होती रहीं।
मैं स्वयं उनका जिज्ञासु पाठक और मुक्त प्रशंसक रहा। इसीलिए जब 1996 में उनसे मेरी पहली भेंट बाल कल्याण समिति द्वारा आयोजित बाल साहित्य सम्मलेन में हरिद्वार में हुई तो लगा ही नहीं कि वे मेरे लिए अपरिचित या नयी हैं। बल्कि पहली ही भेंट से वे मेरी प्रिय लेखिका से सम्मान्या दीदी भी बन गईं। बाद में तो शिमला, बस्ती, खटीमा, दिल्ली आदि अनेक स्थानों पर आयोजित समारोहों में उनसे मिलना होता रहा और उनसे बना आत्मीय रिश्ता दिनानुदिन प्रगाढ़ होता गया। अब तो वे मुझे अपने परिवार की संरक्षिका जैसी लगती हैं। कुशल क्षेम की उनकी जिज्ञासाओं ने उन्हें मेरे परिवार का अभिन्न अंग बना दिया है।
अपरिहार्य कारणों से विमला जी का सृजन बाधित भी हुआ और एक समय ऐसा भी रहा कि बाल साहित्य से उनकी उपस्थिति एकदम गायब-सी हो गई लेकिन उनके द्वारा रचित साहित्य की सुगंध सदैव बाल साहित्य में बनी रही और उनकी कीर्ति उनके आत्मीय जनों के मन को महकाती रही, यह संतोष का विषय है।
वे निस्वार्थ भाव से बाल साहित्य का प्रणयन करने वाली लेखिका हैं। राजधानी में रहकर भी उन्होंने संपर्कों का लाभ नहीं उठाया। कभी भी यशप्रार्थिनी नहीं रहींI कोई उनकी चर्चा करे, न करे। उनके मन में किंचित परिवाद नहीं होता। तथापि यह सुखद है कि सुधी और विज्ञ समीक्षक उनके साहित्य की चर्चा अपने ग्रंथों में सदैव करते रहे हैं।
विगत वर्षों में उनकी कई पुस्तकें आई हैं। अब नई पुस्तक ‘गोगो की वापसी’ के नाम से बाल साहित्य जगत के समक्ष है। इसमें उनकी आठ ऐसी कहानियाँ हैं जो पशु-पक्षियों पर आधारित है। शिशुओं को ऐसी कथाओं में विशेष रूप से रुचि होती है। प्राक-अवस्था के बालकों को भी इनसे आनंद मिलता है। ऐसी रचनाएं बच्चों का मनोरंजन तो करती ही हैं, इनसे उनकी कल्पना शक्ति का भी विकास होता है और कहीं न कहीं मानवेतर प्राणियों के प्रति बालकों के मन में रागात्मक आत्मीयता भी उपजती है। वे उनके प्रति संवेदनशील होते हैं। इसे इन कहानियों का अप्रत्यक्ष अवदान कह सकते हैं।
विमला रस्तोगी जी की ये कहानियां उनके मंजे हुए कथा शिल्पी की छवि परोसती हैं। इनकी भाषा सरल और सहज हैI इनमें कथा-रस विद्यमान है। कहानियों का ताना-बाना बालकों के इर्द-गिर्द ही बुना गया है इसलिए कहानियों के पात्रों से उनका सहज तादात्म्य बनते देर न लगेगी। संवाद स्वाभाविक और चुटीले हैं और भाषा शैली भी बोधगम्य है अस्तु, छोटे बच्चों को यह पुस्तक विशेष रूप से पसंद आएगी, इसमें संदेह नहीं।
गोगो की वापसी शीर्षक कथा बहुत ही मजेदार है जिसमें गोगो नामक एक हुनरमंद बंदर के नटखट अंदाज के क्या कहने! उस पर वातावरण की सजीव प्रस्तुति के चलते यह कहानी आद्यांत पाठक को पकडे और जकड़े रहती है। गोगो नारियल के पेड़ों के मालिक रमालू का सच्चा साथी है और उसके लिए pedon पर चढ़कर नारियल तोड़ता है। गोगो की हुनरमंदी ही मालिक से उसके बिछोह का कारण बन जाती है। फिर गो गो की वापसी कैसे होती है? यह मैं क्यों बताऊँ? यह जानने के लिए तो आपको पुस्तक को पढ़ना होगा।
निश्चित रूप से इस पुस्तक की अन्य कहानियाँ बच्चे कहाँ गए, लाल मुर्गी, सबसे प्यारा घर, खरगोश की दुकान ऐसे बनी रंगीन दीवाली, मेढकी राजकुमारी, झूंठी शान पढ़कर भी बच्चों का प्रचुर मनोरंजन होगा। उन्हें कोई न कोई जीवनोपयोगी सीख भी प्राप्त होगी।
मनोरंजन की चाशनी में लिपटी इन कहानियों के लिए विमला दीदी को हार्दिक बधाई देते हुए, उनकी बड़ाई करना मुझे अछोर सुख प्रदान कर रहा है। उनकी सृजन और प्रकाशन यात्रा अभी जारी है। वह निरंतर उत्कृष्ट साहित्य के सृजन में सोत्साह संलग्न और सक्रिय हैं अत: उनकी आगामी कृतियों के लिए भी पूरे मन से शुभकामना देता हूँ।
गोगो की वापसी संग्रह बच्चों में लोकप्रिय हो, अपनी सम्मोहक सुगंध से बाल साहित्य के उपवन और बालकों के मन को महकाए, यही मेरी कामना है।
शुभेच्छु
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